मंत्री बनाकर मैदान में उतारा, फिर भी हारे

—राजस्थान विधानसभा चुनाव, कांग्रेस के रूपेंद्र सिंह कुन्नर को मिली जीत

जयपुर। राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले की श्रीकरणपुर सीट पर भाजपा को बड़ा झटका लगा है। यहां भाजपा प्रत्याशी सुरेंद्रपाल सिंह टीटी कांग्रेस प्रत्याशी रुपिंदर सिंह कुन्नर से 12 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हार गए हैं। सरकार बनने के एक महीने बाद ही भाजपा को करणपुर विधानसभा सीट पर हार का सामना करना पड़ा है। चुनावी नतीजे से सरकार की सेहत पर भले ही कोई असर ना पड़े लेकिन इससे भाजपा को किरकिरी का सामना करना पड़ रहा है। भाजपा ने करणपुर से प्रत्याशी सुरेंद्रपाल सिंह टीटी को मंत्री बना दिया था, लेकिन अब चुनाव में हार के बाद उन्हें यह पद छोड़ना होगा। नियम के मुताबिक, किसी ऐसे व्यक्ति को मंत्री बनाया जा सकता है जो विधानसभा का सदस्य ना हो, लेकिन छह महीने के भीतर चुनाव जीतकर विधायक बनना आवश्यक है।

कांग्रेस प्रत्याशी रुपिंदर सिंह को 12 हजार से अधिक वोट से जीत मिली। रुपिंदर सिंह ने कुल 94761 वोट हासिल किए तो भाजपा के सुरेंद्रपाल सिंह टीटी को 83500 वोट मिले। भाजपा और कांग्रेस की सीधी टक्कर में अन्य सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। 3 दिसंबर को 199 सीटों पर वोटों की गिनती में बहुमत हासिल करने वाली भाजपा के लिए यह पहली परीक्षा थी। 5 जनवरी को करणपुर में हुए मतदान में कुल 81.38 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। राजस्थान में विधानसभा की 200 में से 199 सीटों के लिए 25 नवंबर को मतदान हुआ, जिसका परिणाम 3 दिसंबर को घोषित किया गया। परिणामों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को 115 और कांग्रेस को 69 सीटें मिलीं। करणपुर में जीत के बाद कांग्रेस के विधायकों की संख्या बढ़कर 70 हो गई है। बता दें कि गंगानगर जिले में कुल 6 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से 5 सीटों पर 3 दिसंबर को ही चुनाव का नतीजा आ चुके था। इस दौरान 2 पर बीजेपी तो 3 सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा था। अब कांग्रेस ने यहां श्रीकरणपुर सीट पर चुनाव जीतने कर बढ़त बना ली है। कांग्रेस का अब गंगानगर में चार सीटों पर कब्जा है। भाजपा यहां दो सीटों पर सिमट गई है।

कांग्रेस का सहानुभूति कार्ड

करणपुर सीट पर कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव 2023 की घोषणा के दौरान गुरमीत सिंह कुन्नर को चुनावी मैदान में उतारा था, लेकिन गुरमीत सिंह के आस्कमिक निधन के बाद यहां पार्टी को दूसरे प्रत्याशी को उतारना पड़ा। कांग्रेस ने लिहाजा गुरमीत सिंह के बेटे रूपेंद्र सिंह कुन्नर को ही मैदान में उतारा। रूपेंद्र सिंह ने अपने पिता की मौत के बाद इस सीट पर चुनाव लड़ा और अब जीत हासिल कर ली है। कांग्रेस का सहानुभूति कार्ड यहां काम आया है और उन्हें जीत मिली है।

काम नहीं आया भाजपा का दांव

हालांकि इस सीट पर चुनाव जीतने के विए भाजपा ने भी पूरा जोर लगाया था। पार्टी ने अपने प्रत्याशी को जीत से पहले ही मंत्री बनाकर जीत की उम्मीद बढ़ा दी थी। सुरेंद्र पाल सिंह को पार्टी ने चार विभागों जिम्मा भी सौंपा था, लेकिन भाजपा का यह दांव काम नहीं आ सका।

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