-सुप्रीम कोर्ट ने प्रत्यर्पण कार्यवाही के खिलाफ दायर याचिका की खारिज
नई दिल्ली। खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नूकी हत्या की साजिश रचने के आरोपी निखिल गुप्ता को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। चेक गणराज्य में उसकी गिरफ्तारी व प्रत्यर्पण कार्यवाही के खिलाफ दायर याचिका शीर्ष अदालत ने खारिज कर दी। निखिल के परिवार के एक सदस्य ने कंसुलर एक्सेस यानी राजनयिक पहुंच की मांग वाली याचिका दाखिल की थी। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा, ‘हम ज्यादा कुछ नहीं कर सकते। आप वियना संधि के तहत राजनयिक पहुंच के हकदार हैं, जो आपको पहले ही मिल चुका है।’ पीठ ने गुप्ता के परिजनों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सीए सुंदरम से कहा कि इस अदालत को विदेशी अदालत के अधिकार क्षेत्र और संप्रभुता तथा देश के कानून का सम्मान करना चाहिए और इसलिए वह मामले के गुण-दोष में नहीं जा सकती। सुंदरम ने जब यह बताने की कोशिश की कि गुप्ता को एकांत कारावास में रखा गया है और अभियोग के बाद उन्हें राजनयिक पहुंच नहीं दी गई तो पीठ ने कहा, ‘हम आपको विदेशी अदालत के बारे में कुछ भी बोलने की अनुमति नहीं देंगे।’ पीठ ने कहा कि 17 सितंबर, 2023 को गुप्ता को इस मामले में राजनयिक पहुंच मिली है और उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय का भी रुख किया है, जहां कुछ आदेश पारित किए गए हैं।
अमेरिका ने लगाया है आरोप
दरअसल, अमेरिका ने भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता पर खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया है। निखिल गुप्ता को चेक गणराज्य में हिरासत में लिया गया था। उसके परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। याचिका में निखिल को हिरासत में लिए जाने को अवैध बताया गया था। इसके साथ ही मदद व जांच के निर्देश देने की गुहार लगाई गई थी। परिवार ने सुप्रीम कोर्ट से मदद के लिए विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय को निर्देश देने और चेक अधिकारियों से हस्तक्षेप की गुहार लगाई थी।
30 जून जेल में बंद है निखिल
याचिका में कहा गया था कि निखिल गुप्ता कानून का पालन करने वाले भारतीय नागरिक हैं। उन्हें हिरासत में लेकर प्राग के जेल में रखा गया है। उनकी जान को खतरा है। निखिल जून से चेक गणराज्य के जेल में बंद है। याचिका में कहा गया था कि 30 जून 2023 से निखिल चेक अधिकारियों की अवैध हिरासत में है।
अमेरिका के आदेश पर हुई थी गिरफ्तारी
बता दें कि चेक गणराज्य के न्याय मंत्रालय ने निखिल गुप्ता की गिरफ्तारी की पुष्टि की थी। यह कार्रवाई अमेरिका के आदेश पर की गई थी। अमेरिका ने गुप्ता पर खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया है। अमेरिकी अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि एक अज्ञात भारतीय सरकारी कर्मचारी के कहने पर निखिल गुप्ता ने अमेरिकी धरती पर पन्नू को मारने की साजिश रची।
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पीएम मोदी के खिलाफ टिप्पणी, खेड़ा को सुको से भी झटका
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। शीर्ष अदालत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर की गई टिप्पणी के मामले में खेड़ा के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी और आपराधिक कार्यवाही रद्द करने से इनकार कर दिया है। बता दें, अदालत गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुनवाई कर रही थी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब कांग्रेस नेता पवन खेड़ा को मुकदमे का सामना करना पड़ेगा। न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि वह उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने की इच्छुक नहीं है। पीठ ने कहा, ‘माफ कीजिए, हमारा कोई इरादा नहीं है।’ इससे पहले, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आपराधिक मामला रद्द करने की खेड़ा की याचिका खारिज कर दी थी।
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विधायकों की अयोग्यता से जुड़ी गोवा कांग्रेस प्रमुख की याचिका खारिज
गोवा कांग्रेस अध्यक्ष गिरीश चोडनकर की याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने स्थगित कर दी है जिसमें राज्य विधानसभा अध्यक्ष के आदेश को बरकरार रखा गया था। इसके तहत भाजपा में शामिल हुए 10 विधायकों को अयोग्य ठहराने की उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने मामले को यह कहते हुए टाल दिया कि इसे गैर विविध दिनों मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को सुना जाना चाहिए। बॉम्बे हाईकोर्ट की गोवा पीठ ने 24 फरवरी, 2022 को स्पीकर के आदेश को चुनौती देने वाली कांग्रेस नेता चोडनकर और एमजीपी के विधायक द्वारा दायर दो याचिकाओं को खारिज कर दिया था। जहां कांग्रेस के 10 विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे, वहीं एमजीपी के दो विधायकों ने भाजपा पार्टी के प्रति निष्ठा बदल ली थी। स्पीकर की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने कहा कि यह मुद्दा अब केवल अकादमिक चर्चा तक सीमित रह गया है, क्योंकि जिन विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की गई थी, वे 2017 में चुने गए थे। गोवा में पिछला विधानसभा चुनाव 2022 में हुआ था।
शीर्ष अदालत में दायर अपनी याचिका में गिरीश चोडनकर ने कहा है कि उच्च न्यायालय ने गलत आधार पर स्पीकर राजेश पाटनकर के आदेश को बरकरार रखने में गंभीर गलती की है क्योंकि 10 विधायक विधायक दल के दो-तिहाई सदस्य थे और उन्होंने दूसरे के साथ विलय करने का फैसला किया था।
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