एक बाधा हुई दूर, दूसरी आई, टनल में ही गुजरेगी फंसे मजदूरों की रात

—सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को बचाने की जद्दोजहद

46.8 मीटर तक अब तक खुदाई

1.8 मीटर तक ड्रिलिंग गुरुवार को

11.4 मीटर के आसपास खुदाई शेष

इंट्रो

टनल में फंसे 41 मजदूरों को बचाने की जद्दोजहद जारी है। बुधवार को आई सरिया की बाधा को दूर करने के बाद फिर से ड्रिलिंग शुरू की गई। गुरुवार को 1.8 मीटर की ड्रिलिंग की गई और अमेरिकी आगर मशीन का प्लेटफार्म हिलने लगा। ऐसे में मशीन रोक दी गई। मजदूरों के रेस्क्यू के लिए अब कुछ वक्त और लगेगा।

नई दिल्ली। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने गुरुवार को कहा कि उत्तराखंड में सिलक्यारा सुरंग के अंदर फंसे 41 श्रमिकों को शुक्रवार तक बाहर निकाला जा सकता है। श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए ‘ड्रिलिंग’ कार्य में बाधाओं का सामना करना पड़ा, जिसके कारण बचाव कार्य अस्थायी रूप से रोक दिए गए थे। हसनैन ने प्रेस वार्ता में कहा, मुझे उम्मीद है कि अगले कुछ घंटों में या कल तक हम इस अभियान में सफल हो जायेंगे। एनडीएमए सदस्य ने यह भी कहा कि कर्मियों को बचाने के लिए क्षैतिज ‘ड्रिलिंग’ में तीन-चार और बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि बचाव अभियान की समयसीमा पर अटकलें लगाना उचित नहीं होगा क्योंकि यह युद्ध लड़ने जैसा है। उन्होंने कहा कि 41 एम्बुलेंस सुरंग स्थल पर मौजूद हैं और गंभीर स्थिति वाले श्रमिकों को हवाई मार्ग से ले जाने की भी सुविधाएं हैं। यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था और पिछले 11 दिनों से 41 श्रमिक उसके अंदर फंसे हुए हैं जिन्हें निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव अभियान चलाया जा रहा है। सिलक्यारा में सुरंग में मलबे में ‘ड्रिलिंग’ के दौरान आई बाधा को दूर करने के बाद बृहस्पतिवार को सुबह फिर से बचाव अभियान शुरू कर दिया गया। सरकार के नवीनतम मीडिया बुलेटिन के अनुसार, एनएचआईडीसीएल ने ऑगर बोरिंग मशीन का इस्तेमाल करके श्रमिकों को बचाने के लिए सिलक्यारा छोर से क्षैतिज बोरिंग फिर से शुरू कर दी है। पाइप के सामने एक धातु की वस्तु (लैटिस गर्डर रिब) आ गई थी और पाइप को आगे नहीं डाला जा सका। गैस कटर का इस्तेमाल करके धातु की वस्तु को काटने का काम पूरा हो गया है। मीडिया बुलेटिन में कहा गया है कि नौवें पाइप को डालने का काम अपराह्न 1310 बजे शुरू हुआ था और पाइप अतिरिक्त 1.8 मीटर तक पहुंचा दिया गया है।

पांच-विकल्प कार्य योजना

सरकार ने श्रमिकों को बचाने के लिए पांच-विकल्प कार्य योजना शुरू की है और पांच एजेंसियों अर्थात तेल और प्राकृतिक गैस निगम, सतलुज जल विद्युत निगम, रेल विकास निगम, राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम (एनएचआईडीसीएल) और टिहरी हाइड्रो विकास निगम को विशिष्ट जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। मजदूरों को बचाने के लिए क्षैतिज ‘ड्रिलिंग’ के लिए आवश्यक उपकरण मौके पर पहुंच गए हैं।

6 इंच चौड़ी पाइप से भेज रहे खाना-पानी

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री वीके सिंह और एनडीआरएफ के महानिदेशक अतुल करवाल बचाव प्रयास की समीक्षा के लिए गुरुवार को सिल्क्यारा में थे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी सिल्क्यारा पहुंचे। 6 इंच चौड़ी ट्यूब का उपयोग करने वाली संचार प्रणाली के माध्यम से उन्होंने फंसे हुए श्रमिकों को बताया कि हम लगभग 45 मीटर तक आ गए हैं। अब हम आपके बहुत करीब हैं।

सिर्फ 1.8 मीटर ड्रिल

राज्य सरकार के नोडल अधिकारी नील नीरज खैरवाल ने बताया कि बुधवार रात 45 मीटर के निशान पर जोरदार झटका लगने के बाद दोपहर करीब 2 बजे ड्रिलिंग 1.8 मीटर ही पूरी हो पाई। इससे पूरी ड्रिलिंग मशीन को बाहर निकालना पड़ा। उसे फिर से तैयार करना पड़ा और उसका रास्ता रोकने वाले लोहे के गर्डर को विशेषज्ञों ने एनडीआरएफ की मदद से काटा। इसके बाद ड्रिलिंग शुरू हुई, लेकिन फिर उसे रोकनी पड़ी।

मशीन का बेस हिला, रुका काम

अमेरिकी ऑगर ड्रिल मशीन का बेस हिलने की वजह से फिलहाल ड्रिलिंग रोक दी गई है। आज की रात भी मजदूरों को सुरंग की कैद में गुजारनी होगी। सचिव नीरज खैरवाल का कहना है कि बेस को मजबूत बनाने का काम जारी है। सुबह छह बजे दोबारा ड्रिल शुरू की जाएगी। इसके बाद कल दिन तक ऑपरेशन सफल होने की संभावना है।

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