-सुप्रीम कोर्ट ने तीन राज्यों की सरकारों को लगाई फटकार
-पंजाब को हरियाणा से सीख लेने कहा
-सरकारों को आरोप-प्रत्यारोप से बचने की दी सलाह
नई दिल्ली। वायु प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त हो गया है। मंगलवार को कई याचिकाओं की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली, पंजाब और उत्तर प्रदेश सरकार को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा- बीते छह साल में यह सबसे प्रदूषित नवंबर रहा है। हमें समस्या पता है और उस समस्या को दूर करना आपका काम है। इस मुद्दे में आप किसानों को विलेन नहीं बना सकते, बल्कि पंजाब को हरियाणा से सीख लेनी चाहिए। कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि इस मामले में किसानों को खलनायक बनाया जा रहा है, जबकि यहां कोर्ट में उनकी कोई सुनवाई ही नहीं हो रही है। उसके पास पराली जलाने के कुछ तो कारण होंगे।
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण को लेकर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। इस दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि खेतों में पराली जलाने की घटनाएं कम नहीं हुई हैं। 984 एफआईआर दर्ज किए गए हैं और एडवोकेट जनरल के मुताबिक, वे जमीन मालिकों के खिलाफ हैं राजस्व रिकॉर्ड में इंट्रियां की गई हैं। पंजाब में हुई कुल पारली जलाने की घटनाओं में से फील्ड विजिट के बाद पता चला कि केवल 20 फीसदी मामलों में ही जुर्माना लगाया गया है। दो करोड़ रुपये से अधिक का पर्यावरणीय मुआवजा लगाया गया है, जिसमें से 18 लाख रुपये की वसूली की जा चुकी है। बाकी रकम भी वसूल की जानी चाहिए, जहां तक पराली जलाने को नियंत्रित करने के लिए उपायों का सवाल है, केंद्र द्वारा दायर स्थिति रिपोर्ट स्पष्ट करती है।
मामले की अगली सुनवाई 5 को
सुप्रीम कोर्ट 5 दिसंबर को मामले पर अगली सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित करने के निर्देश देने वाले 2019 के आदेश से उत्पन्न मुद्दे को चिह्नित किया है। उनका कहना है कि इस रिकॉर्ड में पंजाब का कोई डेटा नहीं रखा गया है। स्थिति रिपोर्ट से पता चला है कि मशीनों की संख्या 128378 है और सीएचसी की संख्या 25417 है। पराली जलाने को कम करने के लिए नए उपाय अपनाने के सुझाव दिए गए हैं इनकी जांच कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा की जाएगी।
केंद्र व राज्य भूलें आपसी राजनीति
जस्टिस धूलिया ने कहा कि आप किसानों को फ्री में मशीन क्यों नहीं देते जबकि मशीने चलाने में डीजल और मैन पावर भी लगता है। जस्टिस कौल ने कहा कि पंजाब राज्य को किसानों को वित्तीय प्रोत्साहन देने के तरीके में हरियाणा राज्य से सीख लेनी चाहिए। जस्टिस कौल ने कहा कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार को इसमें राजनीति को भूल जाना चाहिए और यह पता लगाना चाहिए कि यह कैसे करना है। अगर आरोप-प्रत्यारोप का खेल जारी रहा तो जमीन सूख जाएगी, पानी गायब हो जाएगा।
तत्काल कदम उठाएं दिल्ली-यूपी सरकार
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-यूपी सरकार को तत्काल कदम उठाने और रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि खुले में कूड़ा जलाने की समस्या यूपी-दिल्ली में पहले भी रही है। यह उनकी जिम्मेदारी है कि ऐसी गतिविधि पर रोक लगाएं। जस्टिस कौल ने कहा कि पिछले 6 वर्षों में नवंबर सबसे प्रदूषित रहा है।समस्या पता है और सिद्धांत भी पता है. लोगों को इससे कोई सरोकार नहीं है कि आप इसे कैसे करते हैं।
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