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—8 दिन से जिंदगी बचाने की जद्दोजहद, 50 घंटे बाद ड्रिलिंग फिर शुरू
—टनल में रुकावट का पता लगाएगा रोबोट
—लंबवत ड्रिलिंग शुरू करने के लिए बीआरओ रास्ता बनाने में जुटा
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में टनल धंसने से 41 मजदूर 8 दिन से फंसे हैं। सिलक्यारा की ओर से शुक्रवार दोपहर 2 बजे से बंद पड़ी ड्रिलिंग रविवार शाम चार बजे (50 घंटे बाद) फिर से शुरू हो गई। अब टनल में 5 तरफ से ड्रिलिंग की जाएगी। यहां से खाना अंदर भेजने के लिए एक और छोटा पाइप ड्रिल किया जाएगा। सुरंग की छत और मलबे के बीच की जगह का निरीक्षण करने के लिए रोबोट तैनात किए जाएंगे।
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उत्तरकाशी। सिलक्यारा सुरंग के एक हिस्से के ढहने के आठवें दिन रविवार को उसमें फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने की कवायद में तेजी आई है। इसके तहत सीमा सड़क संगठन सुरंग के ऊपर से ‘लंबवत ड्रिलिंग’ शुरू करने के लिए रास्ता बनाने में जुटा है। यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुंरग के एक हिस्से के ढहने से पिछले सात दिनों से फंसे श्रमिकों तक पहुंचने के लिए ‘लंबवत ड्रिलिंग’ के विकल्प पर शनिवार शाम से काम शुरू किया गया। मौके पर मौजूद एक अधिकारी ने कहा कि उम्मीद है कि बीआरओ द्वारा बनाया जा रहा रास्ता दोपहर तक तैयार हो जाएगा जिससे सुरंग के ऊपर चिह्नित बिंदु तक मशीनें पहुंचाने के बाद ‘लंबवत ड्रिलिंग’ शुरू की जा सके। मौके पर पहुंचे प्रधानमंत्री कार्यालय के कई अधिकारी और देश-विदेश के विशेषज्ञ फंसे श्रमिकों को सकुशल बाहर निकाले जाने के लिए चलाए जा रहे बचाव कार्यों की निगरानी के लिए सिलक्यारा में डटे हुए हैं।
पिछले एक सप्ताह से अमल में लाई जा रही योजनाओं के इच्छित परिणाम न मिलने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय में उपसचिव मंगेश घिल्डियाल और प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे सहित वरिष्ठ अधिकारियों और विशेषज्ञों ने पांच योजनाओं पर एक साथ काम करने का निर्णय लिया था। खुल्बे ने संवाददाताओं को बताया कि इन पांच योजनाओं में सुरंग के सिलक्यारा और बड़कोट, दोनों छोरों से ड्रिलिंग करने के अलावा सुरंग के ऊपर से लंबवत ड्रिलिंग और सुरंग के बायें और दाएं से ड्रिलिंग करना शामिल है। 12 नवंबर को दीवाली वाले दिन की सुबह सुरंग का एक हिस्सा ढह गया था और तब से 41 श्रमिक उसके अंदर फंसे हुए हैं । श्रमिकों को निकालने के लिए सुरंग के मलबे को भेदकर स्टील की कई पाइप डालकर ‘निकलने का रास्ता’ बनाने की योजना में तकनीकी अड़चन आ जाने से शुक्रवार दोपहर बाद से ही अमेरिकी ऑगर मशीन से की जा रही ड्रिलिंग का काम ठप है। मौके पर स्थापित नियंत्रण कक्ष से मिली जानकारी के अनुसार, फंसे श्रमिकों तक पर्याप्त भोजन तथा अन्य जरूरी सामान पहुंचाने के लिए बड़े व्यास के पाइप डाले गए हैं। खुल्बे ने कहा कि ठोस प्रयासों से चार-पांच दिन में या उससे भी पहले अच्छे परिणाम मिल सकते हैं।
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अब रोबोट की ली जाएगी मदद
आपदा सचिव डॉ रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि रेस्क्यू ऑपरेशन में अब रोबोट की मदद ली जाएगी। सुरंग में मशीनों के इस्तेमाल से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मलबा लगातार गिरने से रेस्क्यू में बाधा आ रही है। सुरंग की छत और मलबे के बीच की जगह का निरीक्षण करने के लिए रोबोट तैनात किए जाएंगे ताकि जीवन बचाने के लिए एक और पाइपलाइन डाली जा सके। इसके अतिरिक्त, यदि पर्याप्त जगह है, तो इसका उपयोग श्रमिकों को वहां से सुरक्षित बाहर निकालने के लिए हो सकेगा।
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बहुत जल्द एक और लाइफ सपोर्ट पाइप
अधिकारी ने बताया कि अभी भोजन और अन्य आवश्यक सामान भेजने के लिए एक ही लाइफलाइन पाइप है. हम इसके ऊपर एक और पाइप डाल रहे हैं क्योंकि वहां मलबा कम था। वहां हम 42 मीटर तक चले गए हैं और कुछ मीटर ही बचे हैं। जब वह तैयार हो जाएगा तो हमारे पास लाइफ सपोर्ट के लिए एक और पाइप होगा। उन्होंने कहा कि कई एजेंसियां काम कर रही हैं। रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) द्वारा मुख्य सुरंग के दोनों किनारों पर साइड सुरंगों का निर्माण किया जाना है, जो वर्तमान में इसके लिए माप ले रही है।
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गडकरी बोले-श्रमिकों को निकालना बड़ी प्राथमिकता
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने रविवार को कहा कि सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को बचाने की हर मुमकिन कोशिश की जा रही है और उन्हें जल्द बाहर निकालना सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ मौके पर पहुंचे। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विषम हिमालयी परिस्थितियों को देखते हुए बचाव अभियान चुनौतीपूर्ण है। उन्होंने कहा कि यहां मिट्टी का स्तर एक समान नहीं है और यह मुलायम और कठोर दोनों है जिससे यांत्रिक अभियान चलाया जाना मुश्किल है।
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सुरंग के अंदर की स्थिति अच्छी नहीं
सुरंग में काम करने वाले लोडर ऑपरेटर मृत्युंजय कुमार ने बताया कि सुरंग के अंदर की स्थिति अच्छी नहीं है। बताया कि एक सप्ताह का समय हो गया है। लेकिन अंदर फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए खास काम नहीं हुआ है। बताया कि वह झूठ बोल बोलकर उन्हें यह कहते हैं कि मशीन लगी हुई है, तुम्हें जल्द बाहर निकाल दिया जाएगा। लेकिन उनका हौसला टूट रहा है। वह कहते हैं कि सूखा खाने पर वह कब तक जीयेंगे। तुम काम कर भी रहे हो या झूठ बोल रहे हो। बताया कि उन्हें भी स्थिति का अंदाजा है, इसलिए वह कितना झूठ बोल सकते हैंं। कहा कि मेट मशीन आए तो कुछ हो सकता है।
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विदेशी विशेषज्ञों की मदद से जुटेंगी छह टीमें
सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए अब पहाड़ के ऊपर और साइड से ड्रिलिंग होगी। वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए चार स्थानों की पहचान की गई है, वहां तक पहुंचने के लिए ट्रैक बनाने का काम सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) को सौंपा गया है। विदेशी विशेषज्ञों की मदद से पांच विकल्पों पर केंद्र और राज्य की छह टीमें रविवार से काम शुरू करेंगी। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी सीएम पुष्कर सिंह धामी के साथ सिलक्यारा पहुंचेंगे।
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