‘जैविक पिता को बच्चे के ‘अपहरण ’ का आरोपी नहीं माना जा सकता

  • हाईकोर्ट का अहम आदेश

मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि अगर कोई कानूनी निषेध लागू नहीं है तो जैविक पिता के खिलाफ उसके बच्चे के अपहरण का मामला दर्ज नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि पिता भी मां के साथ बच्चे का कानूनी अभिभावक होता है, ऐसे में बच्चे को अपने साथ ले जाने के लिए उसके खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया जा सकता। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने यह आदेश दिया है। जस्टिस विनय जोशी और जस्टिस वाल्मिकी एसए मनेजेस की पीठ ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए बीती 6 अक्तूबर को यह आदेश दिया, जो गुरुवार को उपलब्ध हुआ। कोर्ट ने कहा कि जो भी व्यक्ति बच्चे की देखभाल करता है, उसे अभिभावक माना जाता है। हमारा मानना है कि अगर कोई कानूनी निषेध नहीं है तो पिता के खिलाफ अपने ही बच्चे के अपहरण का मामला दर्ज नहीं किया जा सकता। एक पिता द्वारा अपने बच्चे को साथ ले जाना, बच्चे को सिर्फ एक प्राकृतिक अभिभावक से दूसरे अभिभावक के पास ले जाने के समान है।

याचिकाकर्ता ने दी ये दलील

इस आदेश के साथ ही कोर्ट ने याचिका दायर करने वाले पिता के खिलाफ दर्ज अपने ही बच्चे के अपहरण की एफआईआर को रद्द कर दिया। दरअसल याचिकाकर्ता के खिलाफ उसकी पत्नी ने मुकदमा दर्ज कराया था। दोनों का तलाक का मामला चल रहा है। 29 मार्च 2023 को महिला ने याचिकाकर्ता के खिलाफ अपने तीन साल के बच्चे के अपहरण का मामला दर्ज कराया था। इस पर याचिकाकर्ता ने एफआईआर रद्द कराने के लिए हाईकोर्ट का रुख किया।

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