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–एनसीईआरटी की सभी किताबों में बदलेगा देश का नाम, प्रस्ताव पेश
—पाठ्यक्रम में संशोधन के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति ने की अनुशंसा
—सभी कक्षाओं की पाठ्यपुस्तकों में किया जाएगा बदलाव
–एनसीईआरटी ने कहा- अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी
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इंट्रो
विपक्षी गठबंधन द्वारा अपना नाम इंडिया रखे जाने के बाद इस मसले पर लगातार बहस जारी है। अब खबर है कि एनसीईआरटी की किताबों में जल्द ही हर जगह से ‘इंडिया’ के स्थान पर ‘भारत’ का प्रयोग किया जाएगा। एनसीईआरटी पैनल ने प्रस्ताव दिया है। इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद बच्चों को इंडिया की जगह भारत पढ़ाया जाएगा। इधर, इस मामले में सियासत भी गरमा रही है। इस बीच, एनसीईआरटी ने कहा कि अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी।
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नई दिल्ली। राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद द्वारा पाठ्यक्रम में संशोधन के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति के अध्यक्ष सी.आई. आइजक के अनुसार, समिति ने पाठ्यपुस्तकों में ‘इंडिया’ की जगह ‘भारत’ शब्द के इस्तेमाल, ‘प्राचीन इतिहास’ के स्थान पर ‘क्लासिकल हिस्ट्री’ शुरू करने, सभी विषयों के पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) शुरू करने की सिफारिश की। हालांकि, एनसीईआरटी के अध्यक्ष दिनेश सकलानी ने कहा कि समिति की सिफारिशों पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। आइजक ने कहा, समिति ने सर्वसम्मति से सभी कक्षाओं की पाठ्यपुस्तकों में ‘भारत’ शब्द के इस्तेमाल की सिफारिश की है। हमने ‘प्राचीन इतिहास’ के स्थान पर ‘क्लासिकल हिस्ट्री’ पढ़ाने की भी अनुशंसा की है। आइजक ने कहा, भारत सदियों पुराना नाम है। 7,000 साल पुराने विष्णु पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में भारत नाम का इस्तेमाल किया गया है। भारत नाम पहली बार आधिकारिक तौर पर तब सामने आया जब सरकार ने हाल में नयी दिल्ली में हुए जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान \”प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया\” के बजाय “प्रेसिडेंट ऑफ भारत” के नाम से निमंत्रण भेजा था। सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नाम पट्टिका पर भी इंडिया के बजाय भारत लिखा गया। आइजक ने कहा कि समिति ने पाठ्यपुस्तकों में विभिन्न लड़ाइयों में “हिंदुओं की विजयों” पर प्रकाश डालने के लिए कहा है। भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (आईसीएचआर) के अध्यक्ष के पद पर भी आसीन आइजक ने कहा, पाठ्यपुस्तकों में हमारी विफलताओं का उल्लेख किया गया है। लेकिन मुगलों और सुल्तानों पर हमारी विजयों का नहीं। उन्होंने कहा, अंग्रेजों ने भारतीय इतिहास को तीन चरणों प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक में विभाजित किया। इसमें भारत को अंधकारमय, विज्ञान और प्रगति से अनभिज्ञ बताया गया। इसलिए, हमने सुझाव दिया है कि भारतीय इतिहास के शास्त्रीय काल को मध्यकालीन और आधुनिक काल के साथ-साथ स्कूलों में पढ़ाया जाए। एनसीईआरटी राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 के अनुरूप स्कूली पाठ्यपुस्तकों के पाठ्यक्रम को संशोधित कर रही है।
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19 सदस्यीय समिति
परिषद ने हाल ही में पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तकों और शिक्षण सामग्री को अंतिम रूप देने के लिए 19 सदस्यीय राष्ट्रीय पाठ्यक्रम एवं शिक्षण सामग्री समिति का गठन किया था। आइजक ने कहा, समिति ने सभी विषयों के पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान प्रणाली को शामिल करने की भी सिफारिश की है। समिति के सदस्यों में आईसीएचआर के अध्यक्ष रघुवेंद्र तंवर, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की प्रोफेसर वंदना मिश्र, डेक्कन कॉलेज डीम्ड विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति वसंत शिंदे और हरियाणा के एक शासकीय विद्यालय में समाजशास्त्र पढ़ाने वाली ममता यादव शामिल हैं।
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क्या होगा बदलाव
00 पाठ्यपुस्तकों में इंडिया की जगह भारत शब्द के इस्तेमाल
00 प्राचीन इतिहास के स्थान पर क्लासिकल हिस्ट्री
00 सभी विषयों के पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान प्रणाली
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समिति का ऐसा तर्क
उच्च स्तरीय समिति ने कहा कि असल में इंडिया शब्द का आमतौर पर इस्तेमाल ईस्ट इंडिया कंपनी और 1757 के प्लासी के युद्ध के बाद होना शुरू हुआ था। वहीं भारत शब्द का जिक्र विष्णु पुराण जैसे प्राचीन लेखों में मिलता है, जो 7 हजार साल पुराने हैं। ऐसे में समिति ने आम सहमति से सिफारिश की है कि सभी कक्षाओं की किताबों में भारत के नाम का इस्तेमाल होना चाहिए।
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कांग्रेस ने उठाए सवाल
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा कि हम रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस, इंडियन फॉरेन सर्विसेज क्यों कहते हैं? हमारे पासपोर्ट पर लिखा है – रिपब्लिक ऑफ इंडिया। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि इस सरकार के साथ कुछ गलत हुआ है। वे भारतीयों के दिमाग को भ्रमित क्यों कर रहे हैं? उन्होंने जो भी रुख अपनाया है वह पूरी तरह से जनविरोधी और भारत विरोधी है। मैं आपको बता रहा हूं उन्हें (एनसीईआरटी) एनडीए सरकार द्वारा मजबूर किया गया है। ये बिल्कुल गलत है।
राजद ने कहा-एक उन्मादी प्रतिक्रिया
राजद के नेता मनोज झा ने कहा, इंडिया गठबंधन के जन्म के बाद से, भाजपा नेताओं की ओर से कई प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। मेरा मानना है कि यह एक उन्मादी प्रतिक्रिया है। अब एनसीईआरटी यह कर रहा है। आप अनुच्छेद 1 के साथ क्या करेंगे जो कहता है कि इंडिया दैट इज भारत। मैं इसका अर्थ नहीं समझ पा रहा हूं इनमें से कोई भी। यदि इंडिया गठबंधन अपना नाम बदलकर भारत कर लेता है, तो वे क्या करेंगे?
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