— ड्यूटी के दौरान पहली बार अग्निवीर की गई जान, सेना ने दी ससम्मान अंतिम विदाई
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इंट्रो
सियाचिन की दुर्गम ऊंचाइयों पर ड्यूटी के दौरान अग्निवीर गावटे अक्षय लक्ष्मण की मौत हो गई। ड्यूटी के दौरान पहली बार अग्निवीर की मौत हुई है। भारतीय सेना के फायर एंड फ्यूरी कोर ने ट्वीट किया है कि लक्ष्मण के सर्वोच्च बलिदान को सलाम करते हैं और परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं। सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे और बल के सभी रैंक के कर्मियों ने संवेदना जताई है।
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नई दिल्ली। सियाचीन से एक बुरी खबर सामने आई है। यहां ड्यूटी के दौरान एक अग्निवीर की मौत हो गई है। सेना की लेह स्थित ‘फायर एंड फ्यूरी कोर’ ने रविवार को यह जानकारी दी। सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे और बल के सभी रैंक के कर्मियों ने महाराष्ट्र के अग्निवीर गवते अक्षय लक्ष्मण की मौत पर शोक व्यक्त किया है। सेना में सेवाएं देने के लिए ‘अग्निपथ’ योजना को जून 2022 में लाया गया था। गवाते अक्षय लक्ष्मण इसी के तहत सेना का हिस्सा बने थे। उनकी सियाचिन जैसे कठिन युद्धक्षेत्र में तैनाती थी। उनकी एक ऑपरेशन के दौरान जान चली गई। अभी यह पता नहीं चल पाया है कि लक्ष्मण की मौत का कारण क्या है। ‘फायर एंड फ्यूरी कोर’ ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, फायर एंड फ्यूरी कोर’ के सभी अधिकारी सियाचिन की दुर्गम ऊंचाइयों पर ड्यूटी के दौरान अग्निवीर (ऑपरेटर) गवते अक्षय लक्ष्मण के सर्वोच्च बलिदान को सलाम करते हैं और उनके परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं। गौरतलब है कि हाल ही में एक अन्य ‘अग्निवीर’ सैनिक की दुखद मृत्यु पर काफी बवाल हुआ था। ‘अग्निवीर’ अमृतपाल सिंह की मौत पर विरोधी पार्टियों ने आरोप लगाया था कि ‘अग्निवीरों’ को सैन्य सम्मान नहीं दिया जाएगा। सेना ने इस मामले में स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा था कि सेवा के दौरान बलिदान देने वाले सभी सैनिकों को सम्मान दिया जाता है चाहे वह अग्निवीर हो या अन्य सैनिक। अमृतपाल सिंह के मामले में यह पाया गया था कि उनकी मृत्यु खुद से चलाई गई गोली के कारण हुई।
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परिजन को कई तरह की सहायता
सूत्रों के मुताबिक, अग्निवीरों की शर्तों में निधन की स्थितियों के बारे में भी जिक्र है। ऐसे में युद्ध में हताहत अग्निवीर के मृतक के निकटतम परिजन को कई तरह की सहायता दी जाएगी। इनमें 48 लाख रुपए गैर-अंशदायी बीमा, 44 लाख रुपये की अनुग्रह राशि, सरकार के समान योगदान और ब्याज के साथ अग्निवीर द्वारा योगदान की गई सेवा निधि (30%) शामिल है। परिजनों को मृत्यु की तारीख से चार साल पूरे होने तक शेष कार्यकाल के लिए वेतन (13 लाख रुपये से अधिक) भी मिलेगा। उन्हें सशस्त्र बल युद्ध हताहत निधि से आठ लाख रुपए का योगदान भी दिया जाएगा।
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सबसे ऊंचे सैन्यीकृत क्षेत्र
काराकोरम पर्वतीय श्रृंखला में लगभग 20,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित सियाचिन हिमनद को दुनिया के सबसे ऊंचे सैन्यीकृत क्षेत्र के रूप में जाना जाता है जहां सैनिकों को अत्यधिक ठंड और तेज हवाओं से जूझना पड़ता है।अभी यह पता नहीं चल पाया है कि लक्ष्मण की मौत का कारण क्या है।
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जून में जवान की हुई थी मौत
सेना के अनुसार, इससे पहले जून में सियाचिन ग्लेशियर में आग लगने की दुर्घटना में सेना के एक जवान की मौत हो गई थी, जबकि तीन सैनिक घायल हो गए थे। सेना के एक प्रवक्ता ने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण घटना के दौरान गंभीर रूप से जलने के कारण रेजिमेंट मेडिकल ऑफिसर कैप्टन अंशुमान सिंह की मौत हुई थी। अधिकारियों ने बताया कि तीन अन्य कर्मियों को धुएं के कारण सांस लेने में तकलीफ हुई और वे काफी हद तक झुलस गए थे।
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इससे पहले अमृतपाल को नहीं दिया था गार्ड ऑफ ऑनर
बता दें कि कुछ दिनों पूर्व पंजाब के मानसा के अग्निवीर अमृतपाल सिंह की मौत के बाद अंतिम संस्कार के दौरान सेना की ओर से गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिए जाने पर पंजाब के विपक्षी दलों ने दुख जताया था। हालांकि सेना ने बयान जारी कर अमृतपाल की मौत सर्विस राइफल से लगी गोली से होना बताया था और कहा था कि मौजूदा नीति के अनुसार गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया गया।
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