नई दिल्ली। जी-20 और पी-20 के सफल आयोजन के बाद दुनिया के कम से कम 163 देश एक बार फिर से दिल्ली में जुटेंगे। भारत के नेतृत्व में ये देश दुनिया को ऊर्जा संकट से बचाने की गंभीर समस्या से निकालने और सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाने की रणनीति पर विचार करेंगे। इंटरनेशनल सोलर एलायंस में शामिल 193 देशों में 163 देशों ने अब तक इसमें शामिल होने पर अपनी सहमति दे दी है। 30 अक्तूबर से शुरू होने जा रही इस बैठक में अंतिम समय तक कुछ और देश भी इसमें शामिल होने पर सहमत हो सकते हैं। भारत इस समय इंटरनेशनल सोलर एलायंस की अध्यक्षता कर रहा है और उसके नेतृत्व में ही दुनिया कार्बन उत्सर्जन की समस्या से मुक्ति पाने के उपायों पर विचार करेगी। पूरी दुनिया में सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाने में एक सबसे बड़ी समस्या सामने आ रही है। इसका उपयोग बड़ी इमारतों और बड़ी संस्थाओं की ओर से ज्यादा हो रहा है। आम आदमी तक इसकी पहुंच बहुत धीमी गति से बढ़ रही है। इससे जीवाश्म ईंधनों पर लोगों की निर्भरता नहीं कम हो रही है जिससे कार्बन उत्सर्जन का अपेक्षित लक्ष्य नहीं हासिल किया जा सका है। अमेरिकी, यूरोपीय और भारत जैसे कुछ देश इस दिशा में बेहतर काम कर रहे हैं, लेकिन गरीब देश अभी भी इस पर बेहतर काम नहीं कर पा रहे हैं। तकनीक पहुंच इसमें सबसे बड़ी बाधा है।
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