आतंकवादियों के डर से सिर्फ होंठ हिलाकर फिल्म की शूटिंग, पाकिस्तान से आई उजमा का खास रोल

निर्देशक विवेक अग्निहोत्री की फिल्म ‘कश्मीर फाइल्स’ को बनाने में आई दिक्कतों की तमाम कहानियां आप अब तक पढ़ चुके हैं। विवेक दिग्गज फिल्म निर्देशक हैं। उनके सियासी संपर्क भी काफी मजबूत हैं। लेकिन, क्या होता है जब कोई नया निर्देशक कश्मीर समस्या पर फिल्म बनाने निकल पड़ता है? क्या होता है जब ऐन शूटिंग के वक्त दर्जन भर बंदूकधारी आतंकवादी मौके पर पहुंच जाते हैं? क्या होता है जब आसपास मौजूद लोगों के डर के चलते कलाकार खुलकर फिल्म के संवाद भी नहीं बोल पाते हैं? और, कैसे फिल्म की यूनिट एक फर्जी क्लैपबोर्ड के सहारे कश्मीर समस्या की फिल्म की शूटिंग इन्हीं आतंकवादियों के नाक के नीचे से करके निकल आती है। है ना अपने आप में एक फिल्मी कहानी, तो चलिए आज आपको बताते हैं कि कश्मीर समस्या पर निर्माणाधीन फिल्म ‘काशी टू कश्मीर’ की मेकिंग के सिहरा देने वाले किस्से…

किस्सा ’काशी टू कश्मीर’ का
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को कश्मीर में थे। उनका निर्वाचन क्षेत्र काशी है। और जिस फिल्म की हम बात करने जा रहे हैं उसका नाम ’काशी टू कश्मीर’ ही है। इस फिल्म की शूटिंग करीब छह साल पहले शुरू हुई। करीब करीब पूरी हो चुकी इस फिल्म को बनाने में फिल्म की यूनिट ने जो पापड़ बेले हैं, उस पर अपने आप में अलग से एक फिल्म बन सकती है। उन दिनों कश्मीर का माहौल अच्छा नहीं था। लोगों भनक न लगे कि फिल्म का विषय क्या है इसके लिए काफी सावधानियां बरती गईं। सबसे बड़ी सावधानी जो इन लोगों ने बरती वह थी बिना बोले फिल्म की शूटिंग कर लेना।

शूटिंग पर नहीं बोले जाते संवाद
चूकि फिल्म कश्मीर समस्या पर बनाई जा रही थी और इसकी ज्यादातर शूटिंग कश्मीर के अनंतनाग, कुपवाड़ा, बांदीपुरा जैसे आतंकवाद से प्रभावित स्थलों पर हुई। शूटिंग के दौरान फिल्म का असल मुद्दा छुपाने के लिए दो क्लैप बोर्ड बनवाए गए थे। एक पर फिल्म ’काशी टू कश्मीर’ लिखा था और दूसरे पर ‘रॉक बैंड पार्टी’। कश्मीर में शूटिंग के दौरान ‘रॉक बैंड पार्टी’ वाला क्लैप दिखाया जाता था। शूटिंग के दौरान कलाकारों को हिदायत दी गई थी संवाद बोलने हैं सिर्फ संवादों के हिसाब से होंठ चलाने हैं। ऐसा इसलिए कि संवाद सुनकर वहां के स्थानीय लोग बवाल न शुरू कर दें।

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