–इंफाल वेस्ट जिले में फिर भड़क उठी हिंसा
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इंट्राे
मणिपुर में बीते कई महीनों से दो समुदाय मैतेई और कुकी के बीच हिंसा जारी है। इस हिंसा के दौरान प्रदर्शनकारियों ने कम से कम दो घरों में आग लगा दी और कई राउंड गोलियां चलाई। हमले के बाद आरोपी मौके से भाग गए, जिससे इलाके में तनाव फैल गया। पुलिस ने कहा कि सुरक्षा बलों और अग्निशमन सेवा कर्मियों ने आग पर काबू पा लिया है।
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इंफाल। मणिपुर के इंफाल वेस्ट जिले में फिर हिंसा भड़क उठी जहां कम से कम दो घरों में आग लगा दी गई और कई राउंड गोलीबारी हुई। पुलिस ने गुरुवार को यह जानकारी दी। पुलिस ने बताया कि यह घटना बुधवार रात करीब 10 बजे पटसोई पुलिस थाना क्षेत्र के न्यू कीथेलमनबी की है। उन्होंने बताया कि हमले के बाद आरोपी मौके से भाग गए, जिसके बाद से इलाके में तनाव है। पुलिस ने बताया कि सुरक्षाबलों और अग्निशमन विभाग के कर्मचारियों ने आग पर काबू पा लिया। उन्होंने बताया कि घटना के बाद इलाके में इकट्ठा हुईं मेइती समुदाय की महिलाओं को सुरक्षा बलों ने आगे बढ़ने से रोक दिया। पुलिस ने बताया कि इलाके में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात कर दिया गया है और स्थिति नियंत्रण में है। मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में जनजातीय एकजुटता मार्च के बाद तीन मई को जातीय हिंसा भड़क गई थी। हिंसा की घटनाओं में अब तक 180 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। मणिपुर की आबादी में मेइती समुदाय के लोगों की जनसंख्या लगभग 53 प्रतिशत है। वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी आदिवासियों की आबादी करीब 40 प्रतिशत है और वे ज्यादातर पर्वतीय जिलों में रहते हैं।
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पुलिस का दावा- काबू में हालात
सुरक्षाबलों ने महिलाओं को आगे बढ़ने से रोका और शांति कायम करने की कोशिश की। पुलिस ने दावा किया है कि हालात को काबू में कर लिया गया है। हालांकि गुरुवार सुबह तक फायरिंग की आवाज रुक-रुक कर आती रही। जुलाई से लापता दो स्टूडेंट्स की हत्या की बात सामने आने के बाद से ही मणिपुर में हिंसा हो रही है।
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दो छात्रों की हत्या के बाद भड़की थी हिंसा
राज्य में 23 सितंबर को मोबाइल इंटरनेट से बैन हटने के बाद दो स्टूडेंट्स के शवों की फोटो सामने आई थी, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। इसके बाद हिंसा भड़की थी। वायरल फोटो में दोनों की बॉडी जमीन पर पड़ी हुई नजर आ रही है। साथ ही लड़के का सिर कटा हुआ है। हालांकि दोनों के शव अभी तक नहीं मिले हैं। जुलाई में दोनों स्टूडेंट्स एक दुकान में लगे सीसीटीवी कैमरे में दिखाई दिए थे, लेकिन उसके बाद से उनका पता नहीं चल सका है।
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अब तक 180 से अधिक की जान जा चुकी
अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद 3 मई को मणिपुर में जातीय झड़पें होने के बाद से 180 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और कई सैकड़ों लोग घायल हो चुके हैं। मणिपुर की आबादी में मेइतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं। आदिवासी – नागा और कुकी – 40 प्रतिशत से कुछ अधिक हैं और पहाड़ी जिलों में रहते हैं।
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क्रॉस और एक सामुदायिक फ्लैग पर नया विवाद
मणिपुर के मोइरांग शहर के पास एक पहाड़ी के ऊपर क्रॉस और एक सामुदायिक फ्लैग लगे होने से मैतेई और कुकी समुदाय के बीच काफी विवाद खड़ा हो गया है। राजधानी इंफाल से 60 किमी दूर इस झील के किनारे के जिले के रहने वाले मैतेई इसे अपना पवित्र स्थल मानते हैं। मोइरांग का मैतेई समुदाय थांगजिंग पहाड़ी को अपने देवता इबुधौ थांगजिंग का तीर्थ स्थल मानता और वहां प्रार्थना के लिए जाता है। इस समुदाय का मानना है कि थांगजिंग पहाड़ी वाली जगह करीब 2,000 साल पुरानी है। इस जगह को अब क्रॉस और फ्लैग लगाकर पवित्र किया जा रहा है।
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