-तेजस की जगह लेगा एलसीए मार्क-1ए
-एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने दी जानकारी
नई दिल्ली। भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने मजबूत सेना की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमारे क्षेत्र में अस्थिर और अनिश्चित भू-राजनीतिक परिदृश्य के कारण, एक मजबूत और विश्वसनीय सेना की आवश्यकता अनिवार्य हो गई है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि मिग-21 लड़ाकू विमान अब भारतीय वायुसेना का हिस्सा नहीं रहेंगे। इनकी जगह एलसीए तेजस विमान लेंगे। आईएएफ चीफ मार्शल वीर चौधरी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी जानकारी दी है। चौधरी ने बताया कि तेजस फाइटर जेट के एलसीए मार्क 1ए की 83 खेप के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किया है। इससे हमारे पास इसके 180 विमान हो जाएंगे।’ उन्होंने कहा कि 2025 तक मिग-21 लड़ाकू विमानों को बेड़े से बाहर कर दिया जाएगा। इसकी जगह वायु सेना के बेड़े में एलसीए तेजस को शामिल किया जाएगा। मिग-21 स्क्वाड्रन की जगह एलसीए मार्क 1ए को शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यही प्रस्ताव मौजूद है। एलसीए मार्क 1ए के शामिल होने से इन मिग-21 की कमी पूरी हो जाएगी।
तेजस के एलसीए एमके-1ए की खासियत
यह तेजस विमान का अपग्रेडेड वर्जन है। इसमें कई आधुनिक उपकरण लगे हैं। रडार वॉर्निंग रिसीवर, आत्मरक्षा के लिए जैमर पॉड सहित और भी कई खासियतें हैं। यह विमान हवा से हवा, हवा से सतह पर मार करने के लिए सबसे सटीक हथियार है। यह विमान वजन में भी हल्का है। इसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ही बनाएगा। यह अपनी श्रेणी का सबसे हल्का और सबसे छोटा बहुउद्देश्यीय सुपरसोनिक लड़ाकू विमान है।
चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार है सेना
वीआर चौधरी ने कहा, ‘हम खुफिया, निगरानी और आईएसआर के माध्यम से सीमाओं के पार स्थिति की लगातार निगरानी कर रहे हैं। हम सीमाओं के पार संसाधनों और क्षमताओं के निर्माण पर ध्यान देते हैं। हमारी परिचालन योजनाएं गतिशील हैं और उस स्थिति के आधार पर बदलती रहती हैं जो हम किसी भी मोर्चे पर विकसित हो रहे हैं। उन स्थानों पर जहां वास्तव में संख्या या विरोधी की ताकत का मुकाबला नहीं किया जा सकता है, हम बेहतर रणनीति और बेहतर प्रशिक्षण के माध्यम से इसका मुकाबला करेंगे।’ उन्होंने कहा कि जानकारी के आधार पर आईएसआर योजनाओं में बदलाव किया जाता रहता है।
एलएसी पर चीन की वायुसेना की बढ़ती हलचल
एलएसी पर चीन की वायुसेना की बढ़ती हलचल को लेकर भारत के वायुसेना प्रमुख मार्शल वीआर चौधरी का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा, भारतीय वायुसेना की ऑपरेशनल प्लानिंग बेहद गतिशील है। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हर चुनौती से लड़ने को हम तैयार हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय वायुसेना आईएसआर (खुफिया, निगरानी और टोही) सिस्टम के माध्यम से सीमाओं पर स्थिति की लगातार निगरानी कर रही है। साथ ही एयर चीफ मार्शल चीफ वीआर चौधरी ने कहा, अगले सात-आठ सालों में भारतीय वायुसेना को मजबूत करने की तैयारी हो रही है। भारतीय वायुसेना तकरीबन 3 लाख करोड़ रुपये के सैन्य उपकरण और रक्षा हार्डवेयर को शामिल करने पर विचार कर रही है।
पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर जमीनी हकीकत बताते हुए उन्होंने कहा, स्थिति वैसी ही बनी हुई है जो एक साल पहले थी। साथ ही उन्होंने कहा, कुछ विवादित क्षेत्रों में सैनिकों की वापसी हुई है। लेकिन अभी तक पूरी तरह से वापसी नहीं हुई है। जब तक सेना पूरी तरह से पीछे नहीं हट जाती तब तक हम तैनात रहेंगे।
एमआरएफए मामला काफी समय से लटका
उन्होंने कहा कि एमआरएफए (मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट) मामला काफी समय से लटका हुआ है। इसके लिए प्रमुख निर्णय लिए जाने हैं। उम्मीद है कि जल्द कुछ फैसला लिया जाएगा। आईएएफ प्रमुख ने कहा, ‘हमें रूस से S-400 मिसाइल सिस्टम की तीन इकाइयां प्राप्त हुई हैं। शेष दो अगले वर्ष तक मिलने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण मिसाइलें मिलने में देरी हुई है। भारतीय वायु सेना अगले सात से आठ वर्षों में ढाई से तीन लाख करोड़ रुपये के सैन्य प्लेटफार्मों, हार्डवेयर को शामिल करने पर विचार कर रहा है।
पाकिस्तान चीन के साथ कर रहा साझेदारी
पूर्वी लद्दाख में एलएसी की स्थिति पर वायुसेना प्रमुख ने कहा कि वह स्थिती पर लगातार नजर रख रहे हैं। वहीं, वायु सेना के प्रमुख चौधरी ने कहा कि दोनों देशों चीन और पाकिस्तान के बीच प्रौद्योगिकी की अदला-बदली हो रही है। पाकिस्तान जेएफ-17 लड़ाकू विमान का निर्माण कर रहा है और जे-10 विमानों को भी अपने बेड़े में शामिल कर रहा है। ऐसे में जहां प्रौद्योगिकी से हमला होगा वहां हम प्रौद्योगिकी से जबाव देंगे। उन्होंने कहा कि अगर हम कहीं प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल नहीं कर पाएं तो प्रशिक्षण और रणनीति से जीत हासिल करेंगे।
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