98 वर्ष की उम्र में निधन
चेन्नई। देश की ‘हरित क्रांति’ में अहम योगदान देने वाले प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन का गुरुवार को यहां निधन हो गया। वह 98 वर्ष के थे। उनके परिवार में तीन बेटियां हैं। उनकी एक बेटी डॉ. सौम्या स्वामीनाथन विश्व स्वास्थ्य संगठन की पूर्व मुख्य वैज्ञानिक हैं। खाद्य एवं पोषण सुरक्षा के कट्टर पैरोकार स्वामीनाथन के पथप्रवर्तक कार्य ने 1960 के दशक के दौरान अकाल के खतरे को रोक दिया था। भूख के खिलाफ आजीवन लड़ने वाले योद्धा स्वामीनाथन का कुछ वक्त से उम्र संबंधी बीमारियों के लिए इलाज चल रहा था। उन्होंने आज यहां अपने आवास पर सुबह सवा 11 बजे अंतिम सांस ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र के प्रति सेवा के लिए स्वामीनाथन की प्रशंसा की। मूर्मू ने कहा कि स्वामीनाथन ने अपने पीछे एक समृद्ध विरासत छोड़ी है जो दुनिया को मानवता के लिए एक सुरक्षित और भूख-मुक्त भविष्य की ओर ले जाने में मार्गदर्शक का काम करेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वामीनाथन के निधन पर दुख जताया और कहा कि कृषि क्षेत्र में उनके अभूतपूर्व योगदान ने लाखों लोगों के जीवन को बदला और राष्ट्र के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की। तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि, मुख्यमंत्री एम के स्टालिन और पी आर पांडियन सहित किसान संगठनों के नेताओं ने स्वामीनाथन के निधन पर शोक जताया। कांग्रेस ने उन्हें हरित क्रांति का प्रमुख वैज्ञानिक वास्तुकार बताया और कृषि क्षेत्र में उनके योगदान की प्रशंसा की। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि स्वामीनाथन ने 70 के दशक के मध्य तक भारत को चावल और गेहूं में आत्मनिर्भर बना दिया था। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि भारत खेती और किसानों में लाए सकारात्मक बदलावों तथा खाद्य सुरक्षा में योगदान के लिए स्वामीनाथन को हमेशा याद रखेगा।
अकाल के खतरे को रोक दिया
1960 के दशक में जब भारत अकाल की ओर बढ़ रहा तब स्वामीनाथन गेहूं और चावल की अच्छी उपज देने वाली किस्मों को विकसित करने के लिए विश्व खाद्य पुरस्कार (1987) पाने वाले पहले व्यक्ति बने। ‘वर्ल्ड फूड प्राइज फाउंडेशन’ के अनुसार, गेहूं का उत्पादन कुछ ही वर्षों में दोगुना हो गया था जिससे देश आत्मनिर्भर बना और लाखों लोग भुखमरी से बच गए थे। उन्हें दुनियाभर के विश्वविद्यालयों से डॉक्टरेट की 84 मानद डिग्री प्राप्त हुई थीं। वह ‘रॉयल सोसायटी ऑफ लंदन’ और ‘यूएस नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज’ समेत कई प्रमुख वैज्ञानिक एकेडमी के फेलो रहे हैं। वह 2007 से 2013 तक राज्यसभा सदस्य भी रहे।
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