‘हम वैश्विक चुनौतियों के समाधान करने को भी प्रतिबद्ध’

  • हिंद-प्रशांत सेना प्रमुख सम्मेलन में बोले रक्षा मंत्री राजनाथ

नई दिल्ली। नई दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में दो दिवसीय 13वां हिंद-प्रशांत सेना प्रमुख सम्मेलन आईपीएसीसी शुरू हो गया है। पहले दिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसमें भाग लिया। उन्होंने कहा कि हिंद-प्रशांत एक महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक क्षेत्र के रूप में विकसित हुआ है। यह क्षेत्र सीमा विवाद और समुद्री डकैती जैसी जटिल सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस दौरान कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र के छोटे देशों की जलवायु परिवर्तन संबंधी चिंताओं को ध्यान में रखना जरूरी है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को उचित महत्व मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी सदस्य देशों द्वारा जी-20 नई दिल्ली के नेताओं की घोषणा को स्वीकार करना एक बड़ी सफलता थी। पीएम मोदी ने हिंद-प्रशांत के लिए एक मंत्र दिया जो आपसी सम्मान, संवाद, सहयोग, शांति, समृद्धि पर आधारित है। उन्होंने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र का महत्व केवल समुद्री व्यापार या संचार की लाइनों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसके व्यापक राजनीतिक, सुरक्षा और राजनयिक आयाम भी हैं।

अनुकूल बुनियादी ढांचे की मांग

राजनाथ सिंह ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और बदलते मौसम का आर्थिक प्रभाव पर्यावरण के अनुकूल बुनियादी ढांचे की मांग पैदा करता है। हमारे सभी साझेदार देशों की मजबूरियों और दृष्टिकोणों को समझने के साथ-साथ विशेषज्ञता और संसाधनों को साझा करने की आवश्यकता है।

वैश्विक चुनौतियों का समाधान

उन्होंने कहा कि मित्र देशों के साथ मजबूत सैन्य साझेदारी बनाने की दिशा में भारत के प्रयास न केवल अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने की हमारी प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हैं, बल्कि हम सभी के सामने आने वाली महत्वपूर्ण वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए भी हैं। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा साझा सुरक्षा और समृद्धि के लिए स्वतंत्र, खुले, समावेशी और नियम आधारित हिंद-प्रशांत क्षेत्र के पक्ष में खड़ा रहा है। उन्होंने कहा कि पुराने समय से हमारी संस्कृति की आधारशिला ‘नेबरहुड फर्स्ट’ रहा है।

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विवादों के शांतिपूर्ण हल पर जोर देता है भारत’ : सेना प्रमुख

इंडो-पैसिफिक चीफ की मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन हुआ, जिसमें सेना प्रमुख जनरल पांडे ने मीडिया को संबोधित किया। उन्होंने क्षेत्र में चीन की आक्रामक सैन्य ताकत पर बढ़ती वैश्विक चिंताओं के बीच कहा कि हिंद-प्रशांत के लिए भारत का दृष्टिकोण सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर जोर देता है। इंडो-पैसिफिक सेनाओं के प्रमुखों को संबोधित करते हुए कहा कि हाल के वर्षों में इंडो-पैसिफिक निर्माण समकालीन भू-रणनीतिक परिसर में केंद्रीय स्थान पर आ गया है। इसका महत्व आज की दुनिया की राजनीतिक सुरक्षा, आर्थिक और पर्यावरणीय क्षेत्रों में उभरती गतिशीलता का प्रतिबिंब है। जनरल पांडे ने यह भी कहा कि क्षेत्र में सभी हितधारकों को सकारात्मक रूप से शामिल करने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता अटूट और स्थायी रही है। उन्होंने कहा, कि इंडो-पैसिफिक के लिए भारत का दृष्टिकोण विवादों के शांतिपूर्ण समाधान, बल प्रयोग से बचने और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के पालन पर जोर देता है।

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