काले मेघों की वापसी के साथ आठ की देरी से दक्षिण-पश्चिम मानसून की विदाई

भारत में इस साल मानसूनी सीजन में औसत से कम बारिश रिकॉर्ड की गई


नई दिल्ली/रायपुर। भारत में 17 सितंबर की सामान्य तिथि से आठ दिन बाद सोमवार से मानसून की वापसी शुरू हो गई है। भारत मौसम विज्ञान विभाग ने यह जानकारी दी। आईएमडी ने एक बयान में कहा, दक्षिण पश्चिम मानसून आज दक्षिण पश्चिम राजस्थान के कुछ हिस्सों से लौटना शुरू हो गया। मानसून विदाई की रेखा नोखरा, जोधपुर, बाड़मेर तक है।

दक्षिण पश्चिम राजस्थान से इसके लौटने की सामान्य तिथि 17 सितंबर थी। इस साल मानसून की वापसी में देरी के साथ यह लगातार 13वीं बार है, जब मानसून देरी से लौट रहा है। उत्तर पश्चिम भारत से मानसून की वापसी भारतीय उपमहाद्वीप से इसकी वापसी की शुरुआत का प्रतीक है। मानसून की वापसी में किसी भी प्रकार की देरी का मतलब लंबे समय तक बारिश का मौसम बना रहना है जिसका कृषि उत्पादन पर उल्लेखनीय प्रभाव पड़ सकता है, विशेषकर उत्तर पश्चिम भारत में जहां रबी फसल उत्पादन में वर्षा की अहम भूमिका होती है। आम तौर पर दक्षिण पश्चिम मानसून केरल में एक जून को आता है और आठ जुलाई तक पूरे देश में छा जाता है। यह 17 सितंबर के आस पास उत्तर पश्चिम भारत से लौटने लगता है और 15 अक्टूबर तक पूरे देश से चला जाता है।

13वीं बार देरी से लौट रहा मानसून

इस साल मानसून लगातार 13वीं बार अपने निर्धारित समय से देरी से वापसी कर रहा है। मानसून की वापसी में किसी भी देरी का मतलब है कि किसी क्षेत्र में लंबे समय तक बारिश का मौसम रहना। लंबे समय तक बारिश रहने से कृषि उत्पादन पर काफी प्रभाव पड़ता है। उत्तर पश्चिम भारत में मानसून की बारिश रबी फसल उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

ऐसे होती है विदाई

1.5 किलोमीटर ऊंचाई पर एक प्रति चक्रवात

पिछले 5 दिनों तक क्षेत्र में मौसम शुष्क रहना

सार्थक रूप से जलवाष्प की मात्रा में कमी लगातार बने रहना

अगले 5 दिनों तक वर्षा की स्थिति ना होना

अब तक कितनी बारिश?

भारत में इस साल मानसूनी सीजन में औसत से कम बारिश रिकॉर्ड की गई है। अबतक 780.3 मिमी बारिश हुई, जबकि सामान्य बारिश 832.4 मिमी होती है। आमतौर पर चार महीने के मानसूनी सीजन के दौरान देश में औसतन 870 मिमी वर्षा होती है। जून से लेकर सितंबर के दौरान 94 प्रतिशत से लेकर 106 प्रतिशत की वर्षा को सामान्य माना जाता है।

छत्तीसगढ़ में आज गरज-चमक के साथ पड़ेंगे छींटे

एक उपरी हवा का चक्रीय चक्रवाती परिसंचरण दक्षिण छत्तीसगढ़ के ऊपर 4.5 किलोमीटर से 5.8 किलोमीटर ऊंचाई तक विस्तारित है। एक द्रोणिका दक्षिण छत्तीसगढ़ में स्थित चक्रीय चक्रवर्ती परिसंचरण से दक्षिण कोकण तक 4.5 किलोमीटर से 5.8 किलोमीटर ऊंचाई तक विस्तारित है। छत्तीसगढ़ में 26 सितंबर को अनेक स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा होने अथवा गरज चमक के साथ छींटे पड़ने की संभावना है। प्रदेश में एक दो स्थानों पर गरज चमक के साथ वज्रपात होने की भी संभावना है। प्रदेश में अधिकतम तापमान में कोई विशेष परिवर्तन होने की संभावना नहीं है।

000000

प्रातिक्रिया दे