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–विशेष सत्र : पुरानी संसद में पीएम का आखिरी भाषण, आज नए संसद में प्रवेश
–पिछले 75 साल में संसद में हुए कार्यों का प्रधानमंत्री ने किया उल्लेख
–कांग्रेस ने सरकार पर साधा निशाना, लगाया विपक्ष को दबाने का आरोप
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इंट्रो
संसद का विशेष सत्र सोमवार से शुरू हो गया। स्पीकर के संबोधन के बाद पीएम मोदी ने सदन को संबोधित करते हुए पिछले 75 साल में संसद में हुए कार्यों का जिक्र किया और तमाम नेताओं को याद किया। इस सत्र पर पूरे देश की नजरें टिकी हुई हैं। दरअसल विशेष सत्र को लेकर कई तरह के कयासों और अटकलों का बाजार गर्म है। इस बीच, मंगलवार को पीएम मोदी के साथ सभी सांसद नए संसद भवन में प्रवेश करेंगे।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्रियों जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, पीवी नरसिंह राव, अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह समेत अनेक नेताओं के देश के निर्माण में योगदान की प्रशंसा करते हुए कहा कि पिछले 75 वर्ष में भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी उपलब्ध यह रही कि सामान्य जन का संसद पर विश्वास बढ़ता गया। उन्होंने संसद में पिछले 75 वर्षों में अर्जित अनेक उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए मनमोहन सिंह सरकार में सामने आए ‘नोट के बदले वोट’ घोटाले का भी जिक्र किया। लोकसभा में ‘संविधान सभा से शुरू हुई 75 वर्षों की संसदीय यात्रा – उपलब्धियां, अनुभव, यादें और सीख’ विषय पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने पुराने संसद भवन में कार्यवाही का अंतिम दिन होने का भी उल्लेख किया और कहा, हम सब इस ऐतिहासिक भवन से विदा ले रहे हैं। इस 75 वर्ष की हमारी यात्रा में अनेक लोकतांत्रिक परंपराओं और प्रक्रियाओं का उत्तम से उत्तम सृजन किया गया है और इस सदन में रहे सभी सदस्यों ने सक्रियता से इसमें योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि इस 75 वर्ष में सबसे बड़ी उपलब्ध यह रही कि सामान्य जनमानस का इस संसद पर विश्वास बढ़ता गया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत यही है कि इस महान संस्था, व्यवस्था के प्रति जनता का विश्वास अटूट रहे। उन्होंने कहा, हम भले नये भवन में जाएंगे, लेकिन पुराना भवन भी आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरणा देता रहेगा। ये भारत के लोकतंत्र की स्वर्णिम यात्रा का एक महत्वपूर्ण अध्याय है।प्रधानमंत्री ने कहा, सदन से विदाई लेना बहुत ही भावुक पल है। परिवार भी पुराना घर छोड़कर नये घर में जाता है तो बहुत सारी यादें कुछ पल के लिए उसे झकझोर देती हैं। हम जब इस सदन को छोड़कर जा रहे हैं तो हमारा मन मस्तिष्क भी उन भावनाओं, अनेक यादों से भरा है। खट्टे मीठे अनुभव रहे हैं, नोकझोंक की भी स्मृतियां हैं, कभी संघर्ष का तो कभी उत्सव और उमंग का माहौल रहा है। ये हम सबकी साझी विरासत और स्मृतियां हैं। इसका गौरव भी हम सबका साझा है। उन्होंने कहा, आजाद भारत के नव निर्माण से जुड़ी हुई अनेक घटनाएं इन 75 वर्षों में इसी सदन में आकार लेती हुई हमने देखी हैं। आज हम जब नये सदन की ओर प्रस्थान करने वाले हैं तब भारत के सामान्य जनमानस के प्रति सम्मान की अभिव्यक्ति का भी अवसर है। उन्होंने कहा, पंडित नेहरू, शास्त्री जी, अटल जी, मनमोहन सिंह जी तक देश का नेतृत्व करने वालों की बड़ी संख्या रही है। उन्होंने सदन के माध्यम से देश को दिशा दी है। देश को नये रंग रूप में ढालने का काम किया है। आज उनके गौरवगान का अवसर है। मोदी ने कहा कि राम मनोहर लोहिया, चंद्रशेखर, लालकृष्ण आडवाणी जैसे नेताओं ने सदन की चर्चाओं को समृद्ध किया। उन्होंने कहा कि देश को तीन प्रधानमंत्रियों- पंडित नेहरू, लालबहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी को उनके कार्यकाल के दौरान खोना पड़ा और सदन में उमंग तथा उत्साह के पलों के बीच आंसू भी बहे हैं। मोदी ने कहा कि यह वो सदन है जहां पंडित नेहरू के ‘ए स्ट्रोक ऑफ मिडनाइड’ भाषण की गूंज हम सभी को प्रेरित करती रहेगी। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी ने इसी सदन में कहा था कि, सरकारें आएंगी-जाएंगी, पार्टियां बनेंगी-बिगड़ेंगी लेकिन यह देश रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि पंडित नेहरू के प्रारंभिक मंत्रिपरिषद में मंत्री के रूप में डॉ भीमराम आंबेडकर दुनिया की सर्वश्रेष्ठ प्रक्रियाएं भारत में लाने में जोर देते थे और इसका परिणाम देश को आज भी लाभ के रूप में मिल रहा है। मोदी ने कहा कि आंबेडकर ने नेहरू सरकार में ‘जल नीति’ दी थी, तो शास्त्री ने ‘हरित क्रांति’ की नींव रखी थी, चौधरी चरण सिंह ने ग्रामीण विकास मंत्रालय का गठन किया तो नरसिंह राव की सरकार ने पुरानी आर्थिक नीतियों को छोड़कर नई आर्थिक नीतियों को अपनाने का साहस किया था। उन्होंने कहा कि यह सदन इस बात का साक्षी रहेगा कि इसी संसद ने मतदान की आयु 21 से 18 वर्ष करने का निर्णय लिया। इसी सदन के सामर्थ्य से वाजपेयी ने सर्वशिक्षा अभियान शुरू किया और आदिवासी कार्य मंत्रालय तथा पूर्वोत्तर विकास मंत्रालय के सृजन जैसे निर्णय लिये। मोदी ने कहा कि वाजपेयी ने परमाणु परीक्षण करके दुनिया को देश की ताकत भी दिखाई। उन्होंने कहा कि लेकिन इसी सदन में मनमोहन सिंह की सरकार के समय देश ने ‘नोट के बदले वोट’ कांड को भी देखा।
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छत्तीसगढ़ समेत नए राज्यों का उल्लेख
पीएम मोदी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के शासनकाल में तीन नये राज्य उत्तराखंड, झारखंड और छत्तीसगढ़ बनने पर हर तरफ उत्सव का माहौल था, लेकिन तेलंगाना के हक को दबोचने के भारी प्रयास हुए। उन्होंने कहा कि अलग राज्य बनने के बाद न तेलंगाना उत्सव मना पाया, न आंध्र उत्सव मना पाया। मोदी ने कहा, अच्छा होता कि उसी उत्सव के साथ तेलंगाना का निर्माण होता जिस तरह छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और झारखंड का हुआ था।
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अपनी सरकार की गिनाई उपलब्धियां
प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी सरकार के समय हुए कुछ निर्णय गिनाते हुए कहा कि ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मंत्र के साथ इस सदन में अनेक ऐतिहासिक निर्णय हुए और दशकों से लंबित विषयों का स्थायी समाधान भी इसी सदन में हुआ। उन्होंने इसमें अनुच्छेद 370 की समाप्ति, एक राष्ट्र एक कर, जीएसटी, वन रैंक वन पेंशन, गरीबों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण जैसे फैसले गिनाए। मोदी ने कहा कि इसी सदन में एक वोट से अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गिरी थी और पूर्व प्रधानमंत्री ने सत्ता गंवाने की चिंता किए बिना लोकतंत्र की गरिमा को बढ़ाया था।
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जी-20 की सफलता बताई
राष्ट्रीय राजधानी में पिछले दिनों आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन की सफलता को देश के 140 करोड़ देशवासियों की उपलब्धि बताते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इसी कारण से आज भारत ‘विश्वमित्र’ के रूप में अपनी जगह बना पाया है और पूरी दुनिया भारत में अपना मित्र खोज रही है। मोदी ने कहा, यह किसी व्यक्ति की सफलता नहीं है, किसी दल की सफलता नहीं है।
चंद्रयान-3 का भी जिक्र
पीएम मोदी चंद्रयान-3 की सफलता को भी रेखांकित करते हुए कहा, मैं इस सदन के माध्यम से देश के वैज्ञानिकों और उनके साथियों को कोटि कोटि बधाई देता हूं। उन्होंने संसद भवन में सांसद के रूप में अपने पहले प्रवेश का जिक्र करते हुए अपना अनुभव कुछ इस तरह से साझा किया, मैं जब पहली बार संसद सदस्य बनकर यहां आया था तो मैंने संसद भवन की सीढ़ियों पर शीश झुकाकर लोकतंत्र के मंदिर में श्रद्धा भाव से पैर रखा था। वह पल भावनाओं से भरा था।
कांग्रेस अध्यक्ष ने साधा निशाना
‘मजबूत विपक्ष’ को केंद्रीय एजेंसियों के जरिए कमजोर कर रही है सरकार
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को केंद्र सरकार पर एक ‘मजबूत विपक्ष’ को केंद्रीय एजेंसियों के इस्तेमाल के जरिए कमजोर करने का आरोप लगाया और साथ ही यह कहते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा कि वह ‘कभी-कभार’ संसद में आते हैं और जब आते भी हैं तो उसे ‘इवेंट’ बनाकर चले जाते हैं। देश की संसदीय यात्रा के बारे में उच्च सदन में चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल के दौरान किए गए विभिन्न कार्यों का हवाला देते हुए कहा कि उनकी पार्टी ने 70 सालों में लोकतंत्र को मजबूत किया और भारत को मजबूत बनाने की नींव डाली। प्रधानमंत्री मोदी पर तंज कसते हुए खरगे ने नेहरू की कार्यशैली का भी जिक्र किया और कहा कि एक तरफ वह जहां सभी को साथ लेकर चलते थे वहीं आज के प्रधानमंत्री ‘हमारी छाया’ भी नहीं देखना चाहते। उन्होंने कहा, ‘‘नेहरू जी प्रमुख मुद्दों पर सभी से बात करते थे। विपक्ष के साथियों से भी बात करते थे, सबकी राय लिया करते थे लेकिन आज होता क्या है? हमारी बात सुनने को कोई नहीं आता। खड़गे ने कहा, नेहरू जी मानते थे कि मजबूत विपक्ष ना होने का अर्थ है कि व्यवस्था में महत्वपूर्ण खामियां हैं। अगर मजबूत विपक्ष नहीं है तो वह ठीक नहीं है। आज जबकि एक मजबूत विपक्ष है तो ध्यान इस बात पर है कि उसे ईडी, सीबीआई से कमजोर कैसे करना है, उन्हें साथ ले लेना (अपनी पार्टी में शामिल करना) और फिर वाशिंग मशीन में डालना…जब वे धुल जाते हैं तो उन्हें स्थायी बना लेना (अपनी पार्टी में)।
पुराने से नए संसद में आज प्रवेश—
9:30 बजे फोटो सेशन
11 बजे सेंट्रल हाल में विशेष कार्यक्रम
11:30 बजे नए संसद भवन में प्रवेश
1:15 पर लोकसभा की कार्यवाही शुरू
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पीएम मोदी संग पैदल जाएंगे सभी सांसद
मंगलवार को सदन के विशेष सत्र की कार्रवाई नए सदन में होगी। इसके लिए विशेष तैयारियां की गई हैं। नई संसद में सांसदों के प्रवेश को खास बनाने की तैयारी है। सभी सांसद पुरानी संसद से नई बिल्डिंग तक पैदल जाएंगे। सभी सांसद अपने हाथ में संविधान की प्रति लेकर चलेंगे। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सांसदों को लीड करेंगे। इसके बाद नए सदन में प्रधानमंत्री मोदी और राज्यसभा के सभापति का भाषण होगा।
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कैबिनेट की बैठक में मंथन
संसद के विशेष सत्र के पहले दिन सोमवार को यहां केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक हुई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में यह बैठक ऐसे समय हुई जब ऐसी अटकलें है कि इस बैठक में कुछ महत्वपूर्ण विधायी प्रस्तावों को मंजूरी दी जा सकती है। कैबिनेट की बैठक के एजेंडे में शामिल बिंदुओं को लेकर कोई आधिकारिक पक्ष नहीं आया है। संसद के विशेष सत्र की घोषणा के बाद से ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि इस सत्र में सरकार महिला आरक्षण विधेयक या अन्य महत्वपूर्ण विधेयक ला सकती है।
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