- भारत में जी20 सम्मेलन का आयोजन माना जा रहा बेहद सफल
(फोटो : अमिताभ कांत)
नई दिल्ली। भारत में जी20 सम्मेलन का आयोजन बेहद सफल रहा। इससे जुड़ी विभिन्न चीजों की वर्ल्ड लेवल पर तारीफ हो रही है। इसके साथ ही साथ रणनीतिक लिहाज से भी इस जी20 सम्मेलन को काफी अहम माना गया है। खासतौर पर यूक्रेन पर आम सहमति बनाने के लिए काफी कोशिशें की गईं। जी-20 के शेरपा अमिताभ कांत ने दिल्ली घोषणा जारी होने के बाद बताया कि जी-20 बैठक में कई मुद्दों पर दुनिया के देशों में असहमति थी। पूरे जी20 शिखर सम्मेलन का सबसे जटिल हिस्सा रूस-यूक्रेन पर आम सहमति बनाना था। यह 200 घंटे से अधिक समय तक लगातार बातचीत, 300 द्विपक्षीय बैठकों, 15 ड्राफ्ट्स के साथ किया गया। इस सिलसिले में अमिताभ कांत ने अपने अधिकारियों की टीम का भी जिक्र किया, जिन्होंने दिल्ली डिक्लेरेशन पर आम सहमति बनाने में अहम भूमिका निभाई…
अभय ठाकुर
विदेश मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव के पद पर तैनात अभय ठाकुर 1992 बैच के आईएफएस अधिकारी हैं। कई देशों नाइजीरिया, बेनिन, केमरून, चाड आदि में राजदूत रह चुके हैं। वे जी-20 के साउस शेरपा भी हैं जो अमिताभ कांत के बाद वरिष्ठता में दूसरे नंबर पर कामकाज देखते हैं।
नागराज नायडू काकानूर
इस टीम के सदस्यों में से एक हैं नागराज नायडू काकानूर। वह विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव हैं और आजकल जी-20 का काम देख रहे हैं। नागराज विदेश सेवा के 1998 बैच के अधिकारी हैं और अपने लंबे करियर के दौरान वह संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत के स्थायी उप प्रतिनिधि के रूप में भी कार्य कर चुके हैं। वे आर्थिक कूटनीति के विशेषज्ञ माने जाते हैं तथा मंत्रालय की इससे संबंधित विभाग का नेतृत्व कर चुके हैं। नागराज की एक खासियत यह भी है कि वह चीनी भाषा में पारंगत हैं तथा 2000-2015 के बीच चार बार विभिन्न भूमिका में चीन में भारतीय मिशन में सेवाएं दे चुके हैं।
आशीष सिन्हा
डिप्लोमैट्स की टीम में आशीष सिन्हा भी अहम सदस्य हैं। सिन्हा विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव के रूप में तैनात हैं। वह 2005 बैच के विदेश सेवा के अधिकारी हैं। इससे पूर्व सिन्हा राजनयिक के रूप में अमेरिका में भारतीय मिशन में कार्य कर चुके हैं। अभी जी-20 से जुड़े हैं। सिन्हा की खासियत की बात करें तो जलवायु से जुड़े मामलों में उनकी समझ काफी अच्छी है।
ईनाम गंभीर
ईनाम गंभीर विदेश मंत्रालय में बतौर संयुक्त सचिव जी-20 का कामकाज देख रही हैं। इससे पहले वह संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में भी शांति एवं सुरक्षा सलाहकार के रूप में कार्य कर चुकी हैं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा में जिनेवा विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री हासिल की है। वह दिल्ली के हिन्दू कॉलेज से भी साइंस में एमए भी हैं। वे लातिन अमेरिकी देशों मैक्सिको, अर्जेंटीना में भी भारतीय दूतावासों में सेवाएं दे चुकी हैं। वह स्पेनिस भाषा में एक्सपर्ट हैं।
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