राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु छत्तीसगढ़ की पुरातात्विक वैभव से हुईं रू-ब-रू

राष्ट्रपति ने महंत घासीदास संग्रहालय का किया अवलोकन

तालागांव की रुद्रशिव प्रतिमा, रामगढ़ के सीताबेंगरा गुफा, सिरपुर के लक्ष्मण मंदिर, भोरमदेव के शिव मंदिर, बारसूर की गणेश प्रतिमा, सिरपुर की बौद्ध मूर्तियों तथा रतनपुर से मिले जैन तीर्थंकरों की प्रतिमाओं के बारे में विस्तार से जाना

राष्ट्रपति को मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने तालागांव की रुद्रशिव प्रतिमा की प्रतिकृति भेंट की

रायपुर. 31 अगस्त 2023

भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु

भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने अपने दो दिवसीय छत्तीसगढ़ प्रवास के पहले दिन आज रायपुर में महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय का अवलोकन किया। वे इस दौरान छत्तीसगढ़ की पुरातात्विक वैभव से रू-ब-रू हुईं। राष्ट्रपति ने इस बहुआयामी संग्रहालय में छत्तीसगढ़ और अन्य क्षेत्रों से प्राप्त प्राचीन मूर्तियों, अभिलेखों और ताम्रपत्रों के बारे में विस्तार से जाना। वे यहां की प्राचीन मूर्त धरोहर, राम वन गमन पथ तथा शिवनाथ नदी के दोनों ओर बसे गढ़ों से भी रू-ब-रू हुईं। संग्रहालय के भ्रमण के दौरान मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने राष्ट्रपति को तालागांव से प्राप्त रुद्रशिव प्रतिमा की प्रतिकृति भेंट की।

राज्यपाल श्री विश्वभूषण हरिचंदन और संस्कृति मंत्री श्री अमरजीत भगत ने भी राष्ट्रपति के साथ संग्रहालय का अवलोकन किया। देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने 21 मार्च 1953 को महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय भवन का उद्घाटन किया था। यह संग्रहालय न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि पूरे देश में अपनी प्राचीनता और पुरातनता के लिए प्रसिद्ध है।

भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने महंत घासीदास संग्रहालय में बिलासपुर जिले के तालागांव में देवरानी मंदिर से प्राप्त रुद्रशिव प्रतिमा, सरगुजा के रामगढ़ में पत्थरों को काटकर बनाई गई विश्व की प्राचीनतम नाट्यशाला के रूप में मशहूर सीताबेंगरा गुफा, सिरपुर में पक्के ईंटों से निर्मित लक्ष्मण मंदिर, शिल्प और स्थापत्य में समानता के कारण छत्तीसगढ़ का खजुराहो कहे जाने वाले भोरमदेव के शिव मंदिर और बारसूर में पत्थर से निर्मित भगवान गणेश की विशाल प्रतिमा की प्रतिकृतियों और तस्वीरों का अवलोकन किया। उन्होंने सिरपुर में वर्ष 1953 में टीलों की खुदाई में प्राप्त धातु निर्मित बौद्ध मूर्तियों जिनमें बौद्ध धर्म में ज्ञान के देवता मंजुश्री, भूमिस्पर्शमुद्रा व वरमुद्रा में बुद्ध और उनके अवतार वज्रपाणी की प्रतिमाएं शामिल हैं, उनको भी देखा। ये प्रतिमाएं केवल छत्तीसगढ़ ही नहीं, बल्कि देश की उत्कृष्ट धातु शिल्प की धरोहर हैं जिनका प्रदर्शन कई अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों में हो चुका है। इन मूर्तियों को यहां संग्रहालय में सुरक्षित ढंग से रखा गया है।
000

प्रातिक्रिया दे