- पाक के प्रधान न्यायाधीश ने कहा
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश उमर अता बंदियाल ने बुधवार को कहा कि इमरान खान के खिलाफ तोशाखाना भ्रष्टाचार मामले में निचली अदालत के फैसले में प्रथम दृष्टया ‘खामियां’ थीं। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय मामले में हस्तक्षेप करने से पहले पूर्व प्रधानमंत्री की दोषसिद्धि और तीन साल की सजा के खिलाफ अपील पर इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के आदेश का इंतजार करेगा। प्रधान न्यायाधीश की टिप्पणी तब आई जब उनकी अध्यक्षता वाली उच्चतम न्यायालय की तीन-न्यायाधीशों की विशेष पीठ ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) प्रमुख की तोशाखाना भ्रष्टाचार मामले में निचली अदालत की कार्यवाही के खिलाफ याचिका पर सुनवाई की। इस पीठ में न्यायमूर्ति मजहर अली अकबर नकवी और न्यायमूर्ति जमाल खान मंडोखाइल भी शामिल थे। पीठ ने कहा कि फैसला जल्दबाजी में और आरोपी को बचाव का अधिकार दिए बिना दिया गया। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “प्रथम दृष्टया, निचली अदालत के फैसले में कमियां हैं।” शीर्ष अदालत ने हालांकि कोई भी आदेश देने से इनकार कर दिया और कहा कि वह आईएचसी द्वारा मामले की सुनवाई का इंतजार करेगी और उसके बाद मामले की सुनवाई करेगी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद, मुख्य न्यायाधीश बंदियाल ने कहा, ‘‘हम आज तोशाखाना मामले में हस्तक्षेप नहीं करेंगे… हम कल (बृहस्पतिवार) आईएचसी की सुनवाई देखेंगे और फिर कार्यवाही शुरू करेंगे।” शीर्ष अदालत में कार्यवाही और न्यायाधीशों की टिप्पणियों से पता चला कि अगर खान की सजा बृहस्पतिवार को आईएचसी द्वारा निलंबित कर दी गई तो उन्हें बड़ी राहत मिल सकती है। सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने ‘पीटीआई’ के वकील लतीफ खोसा और पाकिस्तान निर्वाचन आयोग (ईसीपी) के वकील अमजद परवेज की दलीलें सुनीं। खान की पार्टी ने उच्चतम न्यायालय में सुनवाई पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि अदालत ने सुनवाई बृहस्पतिवार दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी है और तीन सदस्यीय पीठ आईएचसी में कार्यवाही के बाद सुनवाई फिर से शुरू करेगी। पार्टी ने कहा, ‘‘अपनी टिप्पणियों में माननीय न्यायाधीशों ने देखा कि गवाहों और दोषसिद्धि की अनुमति न देकर बाधा डालने का निर्णय प्रथम दृष्टया जल्दबाजी में लिया गया प्रतीत होता है।” उसने कहा कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ को उम्मीद है कि देश का कानून कायम रहेगा जिसके परिणामस्वरूप खान को कैद से रिहा किया जाएगा। इस्लामाबाद की एक निचली अदालत ने पांच अगस्त को सरकारी उपहारों का विवरण छिपाने से संबंधित एक मामले में खान को ‘भ्रष्ट आचरण’ का दोषी पाया और उन्हें तीन साल जेल की सजा सुनाई। फैसले का यह भी मतलब है कि वह पांच साल के लिए आम चुनाव लड़ने से अयोग्य हो गए। इसके बाद, 70 वर्षीय खान ने अपनी दोषसिद्धि और सजा के खिलाफ इस्लामाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। एक दिन पहले उच्च न्यायालय ने मामले को बृहस्पतिवार तक के लिए स्थगित कर दिया था। बुधवार की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने मामले में खान को तीन साल की सजा देने के ट्रायल कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाए। यह मामला पिछले साल अक्टूबर में पाकिस्तान चुनाव आयोग (ईसीपी) की शिकायत पर शुरू किया गया था, जिसने पहले इसी मामले में खान को अयोग्य घोषित कर दिया था।
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