-सीवीसी ने 27 मामलों में कार्रवाई की दी थी सलाह
- रेलवे, स्टेट बैंक, कोयला मंत्रालय जैसे कई सरकारी विभागों ने जताई असहमति
नई दिल्ली। केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने एक रिपोर्ट जारी की थी जिसमें उसने भ्रष्ट अधिकारियों को दंडित करने के लिए सरकारी विभागों को सुझाव दिए थे। एक आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार, 27 मामले ऐसे हैं जिसमें सरकारी विभाग केंद्रीय सतर्कता आयोग की सलाह से सहमत नहीं हैं, जिनमें सबसे ज्यादा सात अकेले रेल मंत्रालय के हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सीसी (इंडिया) लिमिटेड द्वारा भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की सीवीसी की सलाह का पालन न करने के तीन मामले थे। वहीं भारतीय स्टेट बैंक, कोयला मंत्रालय और न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के दो-दो मामले थे।
सीवीसी की 2022 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसा एक-एक मामला दिल्ली जल बोर्ड, दिल्ली ट्रांसको लिमिटेड, दिल्ली राज्य औद्योगिक और बुनियादी ढांचा विकास निगम (डीएसआईआईडीसी), कपड़ा मंत्रालय, बर्ड ग्रुप ऑफ कंपनीज, भारत कोकिंग कोल लिमिटेड, भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) सहित भारतीय औद्योगिक विकास बैंक का था। साथ ही न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, वीओ चिदंबरम पोर्ट अथॉरिटी और भारत संचार निगम लिमिटेड द्वारा सीवीसी की सलाह का पालन न करने का एक-एक मामला सामने आया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आयोग द्वारा सलाह किसी विशेष मामले से संबंधित सभी तथ्यों, दस्तावेजों और रिकॉर्ड की तर्कसंगत सराहना के आधार पर दी जाती है, जो संबंधित संगठन द्वारा उसके ध्यान में लाए जाते हैं।
रेलवे बोर्ड मामूली जुर्माना लगाया
केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की हाल ही में जारी वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार रेलवे को शिकायतें मिलीं। जिनमें रेलवे ने 9,663 शिकायतों का निपटारा कर दिया है, जबकि 917 शिकायतें लंबित हैं, जिनमें नौ शिकायतें तीन महीने से अधिक समय से लंबित थीं। वहीं इनमें सात ऐसे मामले में जिनमें रेलवे कार्रवाई को लेकर सीवीस की रिपोर्ट से सहमत नहीं है। आयोग ने बड़ा जुर्माना लगाने की सलाह दी थी। हालाँकि, रेलवे बोर्ड ने केवल मामूली जुर्माना लगाया।
जमकर हुई अनियमितताएं
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय स्टेट बैंक के अधिकारियों द्वारा एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को लेटर ऑफ क्रेडिट (एलसी) जारी करने में अनियमितताएं देखी गईं। रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंक को अनुमानित नुकसान 22.04 करोड़ रुपये था। सभी पांच अधिकारियों पर बड़ा जुर्माना लगाने के बाद, अपीलीय समिति ने जुर्माने को मामूली जुर्माने में बदल दिया।
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