- आतंकी संगठन के जाल में लगातार फंस रहे जवान
- आराम से हथियार लूट कर, वीडियो बनाकर जा रहे आतंकवादी
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठन, एक जैसे पैटर्न पर सुरक्षा बलों को निशाना बना रहे हैं। इन हमलों में भारतीय सेना के 13 जवान शहीद को चुके हैं। हमले के दौरान शहादत देने वाले जवानों के हथियार लूट कर आतंकी भाग निकलते हैं। कुछ दिन बाद उस हमले का कथित वीडियो जारी किया जाता है। हैरानी की बात है कि आतंकियों को मुठभेड़ का वीडियो बनाने का वक्त मिल जाता है। आतंकी संगठन, ‘पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट’ (पीएएफएफ) यह दावा करता है कि सुरक्षा बल उनकी चाल में फंस कर नुकसान झेल रहे हैं। वे जैसा चाहते हैं, सुरक्षा बलों को उसी तरफ आने पर मजबूर कर देते हैं। पुंछ हमला हो या राजौरी अटैक, आतंकियों ने दोनों ही हमलों में सुरक्षा बलों को चकमा दिया है। चार अगस्त को कुलगाम के हलान जंगल में आतंकियों की मुठभेड़ में सेना के तीन जवान शहीद हो गए थे। अब उस हमले का भी वीडियो जारी किया गया है। उसमें कहा गया है कि उन्हें सेना के इंटेल से नए कैंप की जानकारी मिली। भारी बरसात के बीच दो सप्ताह तक हर पल उस कैंप की गतिविधि को स्ट्डी किया गया।
अमेरिकी और जर्मनी मेड गन का क्या हुआ?
बता दें कि अगस्त के पहले सप्ताह में कुलगाम के हलान जंगल में आतंकी हमला हुआ था। आतंकियों ने सेना के टैंट पर फायरिंग की। उसमें सेना के तीन जवान शहीद हो गए थे। आतंकियों ने शहीद हुए जवानों के हथियार लूट लिए थे। पीएएफएफ ने इस हमले का वीडियो जारी किया है। हालांकि सेना द्वारा ऐसे किसी वीडियो की पुष्टि नहीं की गई है। वीडियो के प्रारंभ में आतंकी संगठन पीएएफएफ ने कुछ पंक्तियां भी लिखी हैं। इनमें बताया गया है कि उन्होंने किस तरह से इस हमले को अंजाम दिया था। हथियार कैसे छीने गए। हमले का पैटर्न क्या था। जंगल में सेना का कैंप स्थापित हुआ है, इसकी जानकारी जुटाई गई। उसके बाद सेना के इंटेलिजेंस पैटर्न को स्ट्डी किया। हमले में किसकी गन नहीं चल सकी। अमेरिकी और जर्मनी मेड गन का क्या हुआ। आतंकी संगठन ने दो सप्ताह तक भारी बरसात के बीच रहते हुए कैंप की बारीक से बारीक गतिविधियों को देखा। कैंप में हर समय कितने जवान रहते हैं। बाहर से कब और किस तरह की मदद पहुंचती है। किस समय पर कैंप में कम से कम जवान रहते हैं। हलान जंगल में सेना के टैंट की अतिरिक्त सुरक्षा की क्या व्यवस्था है, आतंकियों ने यह सब जानकारी एकत्रित की।
इन दो हमलों में शहीद हो गए थे 10 जवान
जम्मू कश्मीर में ‘जी20’ की बैठक से पहले आतंकियों ने पुंछ हमले को अंजाम दिया था। उसमें सेना के पांच जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद राजौरी के कंडी जंगलों में बनी गुफाओं में छिपे आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ में भी सेना के पांच जवानों ने शहादत दी। जंगल में छिपे आतंकियों ने पहले आईईडी ब्लास्ट और फिर जवानों पर अंधाधुंध फायरिंग की थी।
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