4–5 minutes
इंफेक्शन से लेकर मेंटल डिजीज तक, हर बीमारी के कुछ लक्षण होते हैं। लेकिन कुछ बीमारियां ऐसी भी हैं, जो कोई संकेत नहीं देती। ऐसी बीमारियों को साइलेंट किलर कहा जाता है यानी ये बीमारियां बॉडी को चुपचाप डैमेज करने लगती हैं।
साइलेंट किलर के लक्षण: ये बीमारियां अपने लक्षण छिपाने में काफी माहिर होती हैं। जबतक ये गंभीर नहीं हो जाती, तबतक इन से गंभीर दिक्कत पैदा नहीं होती है। इस वक्त तक आपको सामान्य दिखने वाली तकलीफें होती रहेंगी। जिसे लोग नजरअंदाज कर देते हैं या फिर कोई अन्य बीमारी समझ लेते हैं।
डायबिटीज की बीमारी
यह एक लाइलाज बीमारी है, जिसकी वजह से किडनी और दिल को भारी नुकसान पहुंचता है। दुनिया में काफी ज्यादा लोग प्री-डायबिटिक हैं यानी इस बीमारी की शुरुआत हो चुकी हैं। लेकिन शुरुआत में लक्षण ना दिखने की वजह से उनको भनक भी नहीं है।
हाई कोलेस्ट्रॉल
शरीर में दो तरह के कोलेस्ट्रॉल होते हैं। एक्सपर्ट्स एचडीएल को अच्छा और एलडीएल को बुरा बताते हैं। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (ref.) के मुताबिक, हाई एलडीएल कोलेस्ट्रॉल का कोई लक्षण या संकेत नहीं होता। ऐसी बीमारियों को पकड़ने के लिए रेगुलर चेकअप जरूरी है।
साइलेंट हार्ट अटैक का इलाज
Silent Heart Attack Symptoms and treatment साइलेंट हार्ट अटैक को पहचानने का तरीका और इलाज
फैटी लिवर डिजीज
खाने में ज्यादा फैट का सेवन लिवर को सड़ा सकता है। यह काम इतना धीरे-धीरे होता है कि मरीज को भनक तक नहीं लगती। इस बीमारी को फैटी लिवर डिजीज कहा जाता है। जो शराब के अत्यधिक सेवन से गंभीर हो सकती है।
हाई ब्लड प्रेशर
नसों में सिकुड़न या ब्लॉकेज आने पर खून को बहने का रास्ता नहीं मिलता है। जिसकी वजह से दिल को ज्यादा प्रेशर से ब्लड पंप करना पड़ता है। इस वजह से ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और हार्ट अटैक व स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
ऑस्टियोपोरोसिस
यह बीमारी हड्डियों को खोखला बना देती है। कैल्शियम व विटामिन डी की कमी से यह बनती है। इसके कारण छोटी-सी चोट भी हड्डी फ्रैक्चर कर सकती है। यह हड्डियों की जान खींच लेती है।
कैंसर
कैंसर एक जानलेवा बीमारी है, जिसमें शरीर के अंदर हानिकारक विकास होने लगता है। इसके शुरुआती लक्षण काफी सामान्य होते हैं कि उसे थकान या कमजोरी समझ लिया जाता है। इसके पुख्ता संकेत आमतौर पर तब मिलते हैं जब बीमारी हाथ से निकल जाती है।
प एप्निया
यह एक जानलेवा स्लीप डिसऑर्डर है, जिसमें नींद के दौरान सांस अपने आप रुक जाती है और फिर शुरू हो जाती है। इसके मरीजों को स्ट्रोक या अचानक मौत का खतरा अधिक होता है। इसमें मरीज को तेज-तेज खर्राटे की दिक्कत भी हो सकती है।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

