–मणिपुर हिंसा पर सुप्रीम आदेश, राहत एवं पुनर्वास की निगरानी के लिए बनाई कमेटी
— 42 एसआईटी करेगी हिंसा की जांच, 11 मामले सीबीआई के जिम्मे
इंट्रो
मणिपुर में हिंसा की आग अब तक नहीं बुझी है। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हिंसा की जांच की निगरानी का जिम्मा महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी दत्तात्रेय पटसालगिकर को सौंपा है। वे सीबीआई के अलावा राज्य सरकार की तरफ से बनाई गई 42 एसआईटी के कामकाज पर भी नजर रखेंगे और सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट करेंगे। राहत और पुनर्वास का काम देखने के लिए तीन पूर्व हाईकोर्ट महिला जजों की कमेटी भी बनाई है।
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हिंसा में प्रभावित लोगों के राहत और पुनर्वास कार्यों की निगरानी के लिए विभिन्न उच्च न्यायालयों की तीन पूर्व महिला न्यायाधीशों की एक समिति गठित करने की सोमवार को घोषणा की। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की पूर्व मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल तीन-सदस्यीय समिति की अध्यक्ष होंगी। पीठ ने कहा कि न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) शालिनी पी जोशी और न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) आशा मेनन समिति की दो अन्य सदस्य होंगी। पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल हैं। पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत का प्रयास राज्य में कानून के शासन में विश्वास की भावना बहाल करना है। उसने कहा कि न्यायिक समिति राहत एवं पुनर्वास कार्यों के अलावा अन्य चीजों की निगरानी करेगी। शीर्ष अदालत ने कहा कि इसके अलावा वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को उन आपराधिक मामलों की निगरानी करने को कहा जाएगा, जिनकी जांच राज्य एसआईटी करेगी। पीठ ने कहा कि इस मामले में विस्तृत आदेश शाम को शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाएगा।
मणिपुर के पुलिस महानिदेशक राजीव सिंह जातीय हिंसा और प्रशासन द्वारा इससे निपटने के लिए उठाए गए कदमों तथा प्रभावी जांच के उद्देश्य से मामलों को अलग-अलग करने संबंधी प्रश्नों के उत्तर देने के लिए पीठ के समक्ष पेश हुए। केंद्र और राज्य सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले अलग-अलग करने सहित विभिन्न मामलों पर शीर्ष अदालत द्वारा एक अगस्त को मांगी गई रिपोर्ट उसे सौंपी। अटॉर्नी जनरल ने पीठ से कहा, सरकार बहुत परिपक्व तरीके से हालात से निपट रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने संवेदनशील मामलों की जांच के लिए जिला स्तर पर पुलिस अधीक्षकों की अध्यक्षता में एसआईटी गठित करने का प्रस्ताव रखा है। इसके अलावा 11 मामलों की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) करेगा। इससे पहले मणिपुर की स्थिति पर नाराजगी जताते हुए उच्चतम न्यायालय ने एक अगस्त को कहा था कि वहां कानून-व्यवस्था एवं संवैधानिक तंत्र पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है। शीर्ष अदालत ने जातीय हिंसा की घटनाओं, खासतौर पर महिलाओं को निशाना बनाने वाले अपराधों की ‘धीमी’ और ‘बहुत ही लचर’ जांच के लिए राज्य पुलिस की खिंचाई की थी और उसके सवालों का जवाब देने के लिए डीजीपी को तलब किया था।
केंद्र ने पीठ से आग्रह किया था कि भीड़ द्वारा महिलाओं के यौन उत्पीड़न के वीडियो से संबंधित दो प्राथमिकी के बजाय, 6,523 प्राथमिकियों में से महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा से संबंधित 11 मामलों को सीबीआई को सौंपा जाए। मुकदमे की सुनवाई मणिपुर के बाहर कराई जाए। पीठ हिंसा से संबंधित लगभग 10 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
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मई से जारी है मणिपुर में हिंसा
3 मई को आदिवासी समाज की एक रैली के बाद मणिपुर में हिंसा भड़क गई थी। ये रैली मणिपुर में मैतेई समाज को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने के अदालत के आदेश के विरोध में निकाली गई थी। इसके बाद भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि सैकड़ों लोग घायल हैं। 50 हजार से ज्यादा लोगों को घरों से निकलकर आश्रय स्थलों में शरण लेनी पड़ी है। मणिपुर में 5 अगस्त को पांच और लोगों की मौत के बाद 800 और सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई है।
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सरकार की ऐसी दलील—-
जिला स्तर पर एसआईटी गठित
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि इन एसआईटी की अध्यक्षता पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी करेंगे। यह एसआईटी हिंसा की जांच करेगी। महिलाओं से संबंधित अपराधों की जांच के लिए सिर्फ महिला पुलिस अधिकारियों वाली एसआईटी गठित की जाएगी। डीआईजी और डीजीपी स्तर के पुलिस अधिकारी इन एसआईटी के कामकाज की निगरानी करेंगे।
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महिला अपराधों की जांच करेगी सीबीआई
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सीबीआई महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़ी 12 मामलों की जांच करेगी। उन्होंने ये भी कहा कि अगर महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़े अन्य मामले भी जांच के दौरान सामने आए तो उनकी जांच भी सीबीआई द्वारा की जाएगी। वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने कोर्ट को बताया कि भारत म्यांमार सीमा पर कई उग्रवादी संगठन मौजूद हैं। ये विदेशी उग्रवादी हथियारों से लैस हैं।
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सुप्रीम आदेश…
सीबीआई जांच की होगी निगरानी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आईपीएस अधिकारी सीबीआई जांच की निगरानी करें। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि जांच के मामले को सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया है, लेकिन कानून के शासन में विश्वास सुनिश्चित करने के लिए यह निर्देश देने का प्रस्ताव है कि कम से कम डिप्टी एसपी रैंक के पांच अधिकारी होंगे, जिन्हें विभिन्न राज्यों से सीबीआई में लाया जाएगा।
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हाईकोर्ट जजों की कमेटी
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह हाईकोर्ट के तीन पूर्व महिला जजों की एक कमेटी बनाने का आदेश देंगे। यह कमेटी जांच, राहत कार्यों, उपचार, मुआवजे, पुनर्वास आदि कामों की निगरानी करेगी। तीन पूर्व न्यायाधीशों की समिति की अध्यक्षता न्यायमूर्ति गीता मित्तल करेंगी और इसमें न्यायमूर्ति शालिनी जोशी, न्यायमूर्ति आशा मेनन भी शामिल होंगी।
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