- मणिपुर में फिर भड़की हिंसा
(फोटो : मणिपुर)
इंफाल। मणिपुर में एक बार फिर हिंसा भड़क गई है। इम्फाल पश्चिम जिले में भीड़ ने 15 घरों में आग लगा दी और जमकर उत्पात मचाया। हिंसा के दौरान एक 45 वर्षीय व्यक्ति को गोली मार दी गई। उसकी जांघ पर गोली लगी है। उसे तुरंत क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में भर्ती कराया गया है। फिलहाल, युवक की हालत से खतरे से बाहर है। यह घटना शनिवार शाम लैंगोल खेल गांव में हुई है। सूचना मिलने पर सुरक्षाबल के जवान पहुंचे और भीड़ को हालात पर काबू पाने के लिए मोर्चा संभाला। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षाकर्मियों ने कई राउंड आंसू गैस के गोले दागे. रविवार सुबह स्थिति में सुधार हुआ, लेकिन प्रतिबंध जारी हैं।
चेकोन इलाके में भी हिंसा
अधिकारियों ने बताया कि इम्फाल पूर्वी जिले के चेकोन इलाके में भी हिंसा की खबर मिली है। वहां शनिवार को एक बड़े व्यावसायिक प्रतिष्ठान में आग लगा दी गई। आसपास के तीन घरों में भी आग लग गई। दमकलकर्मियों ने आग पर काबू पाया।
मणिपुर में 3 मई को पहली बार हुई थी हिंसा
- मणिपुर में 3 मई को सबसे पहले जातीय हिंसा की शुरुआत हुई थी। मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल किए जाने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किया था। तब पहली बार मणिपुर में जातीय झड़पें हुईं। हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की जान चली गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए। मणिपुर की आबादी में मैतेई समुदाय की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं। कुकी और नागा समुदाय की आबादी 40 प्रतिशत से ज्यादा है। ये लोग पहाड़ी जिलों में रहते हैं।
विवाद के कारण
कुकी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिला है, लेकिन मैतेई अनूसूचित जनजाति का दर्जा मांग रहे हैं। नागा और कुकी का साफ मानना है कि सारी विकास की मलाई मूल निवासी मैतेई ले लेते हैं। कुकी ज्यादातर म्यांमार से आए हैं। मणिपुर के चीफ मिनिस्टर ने मौजूदा हालात के लिए म्यांमार से घुसपैठ और अवैध हथियारों को ही जिम्मेदार ठहराया है। करीब 200 सालों से कुकी को स्टेट का संरक्षण मिला। कई इतिहासकारों का मानना है कि अंग्रेज नागाओं के खिलाफ कुकी को लाए थे। नागा अंग्रेजों पर हमले करते तो उसका बचाव यही कुकी करते थे। बाद में अधिकतर ने इसाई धर्म स्वीकार कर लिया जिसका फायदा मिला और एसटी स्टेटस भी मिला।
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