—हाईकोर्ट ने बहाल किया जिला अदालत का फैसला, सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्ष
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इंट्रो
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ज्ञानवापी के सर्वे पर लगी रोक हटा ली है। कोर्ट ने गुरुवार को सुनाए अपने फैसले में कहा कि न्याय के हित में यह जरूरी है कि वैज्ञानिक सर्वे करने दिया जाए। चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर की बेंच ने कहा कि एएसआई का सर्वे कराने का वाराणसी जिला अदालत का आदेश एकदम सही है। उसमें कोई खामी नहीं है।
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प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का एएसआई द्वारा सर्वेक्षण कराए जाने के वाराणसी जिला अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी की याचिका गुरुवार खारिज कर दी। वाराणसी की जिला अदालत के 21 जुलाई के एक आदेश में शहर में स्थित ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से कराने का आदेश दिया था। अपने 16 पृष्ठ के आदेश में अदालत ने कहा, इस अदालत के विचार में प्रस्तावित वैज्ञानिक सर्वेक्षण न्यायहित में आवश्यक है। इससे वादी और प्रतिवादी दोनों लाभान्वित होंगे और निचली अदालत को निर्णय करने में मदद मिलेगी। निचली अदालत ने सर्वेक्षण का आदेश न्यायोचित तरीके से पारित किया था। अदालत ने आगे कहा, यदि कोई अंतरिम आदेश है तो उसे हटाया जाता है और वाराणसी की जिला अदालत द्वारा 21 जुलाई को पारित आदेश बहाल किया जाता है। संबंधित पक्षों को इस अदालत द्वारा कही गई बातों और एएसआई के हलफनामे को ध्यान में रखकर आदेश का अनुपालन करना होगा। अदालत ने कहा, चूंकि इस मुकदमे की सुनवाई लंबे समय से लटकती रही है, उचित होगा कि संबंधित अदालत सुनवाई को अनावश्यक टाले बगैर तेजी से पूरी करने का प्रयास करे। वाराणसी की जिला अदालत ने 21 जुलाई को एएसआई को एक विस्तृत वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया था जिससे यह निर्धारित हो सके कि काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण पुराने मंदिर के ढांचे के ऊपर हुआ है या नहीं। ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने इस आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया था जिसने 26 जुलाई की शाम पांच बजे तक सर्वेक्षण पर रोक लगाने के साथ ही कमेटी को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपील करने को कहा था। इस पर कमेटी ने 25 जुलाई को उच्च न्यायालय में अपील की थी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश प्रितिंकर दिवाकर ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद 27 जुलाई को मस्जिद कमेटी की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था और उन्होंने निर्णय आने तक एएसआई के सर्वेक्षण पर रोक लगा दी थी। अंजुमन इंतेजामिया की याचिका खारिज करते हुए अदालत ने कहा, एक बार जब पुरातत्व विभाग ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है कि विवादित संपत्ति को कोई क्षति नहीं होने जा रही, इस अदालत को उनके बयान पर संदेह करने का कोई कारण नजर नहीं आता है।अदालत ने कहा, हमें याचिकाकर्ता की इस दलील में कोई दम नहीं दिखता कि किसी दीवार को खोदे बगैर एएसआई द्वारा चीजों को अंतिम रूप नहीं दिया जा सकता। आज के इस आधुनिक दौर में कई नई चीजें विकसित की गई हैं। नई तकनीक की मदद और एएसआई के जिम्मेदार अधिकारियों के मार्गदर्शन की मदद से वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया जा सकता है। इससे पूर्व, सुनवाई के दौरान, एएसआई के अपर महानिदेशक आलोक त्रिपाठी ने अदालत को सूचित किया था कि एएसआई ढांचे की खुदाई करने नहीं जा रहा है। मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता एसएफए नकवी ने कहा था, हमने खुदाई के विभिन्न उपकरणों के फोटोग्राफ संलग्न किए हैं जिन्हें एएसआई की टीम मस्जिद परिसर लेकर पहुंची थी। यह दिखाता है कि उनका इरादा खुदाई करने का था। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि यद्यपि वे अपने साथ उपकरण ले गए, लेकिन इससे नहीं लगता कि उनका इरादा खुदाई करने का है। इसके बाद आलोक त्रिपाठी ने स्पष्ट किया था कि चूंकि टीम पहली बार मस्जिद वाले स्थान पर गई थी, इसलिए वे अपने साथ कुछ उपकरण लेकर गए, लेकिन खुदाई के लिए नहीं, बल्कि स्थल से मलबा हटाने के लिए।
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हिंदू पक्ष बोला-बहुत महत्वपूर्ण निर्णय
उच्च न्यायालय का निर्णय आने के बाद हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने इसे ‘बहुत महत्वपूर्ण निर्णय’ बताया। हुए कहा कि अंजुमन इंतेजामिया कमेटी ने दलील दी थी कि इस सर्वेक्षण से ढांचा प्रभावित होगा, लेकिन अदालत ने उन सारी दलीलों को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि इससे पूर्व अंजुमन इंतेजामिया कमेटी की दलील थी कि उसे उच्च न्यायालय जाने का मौका नहीं मिला, इसलिए अदालत ने उसकी दलीलों पर सुनवाई की।
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सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पख
इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। मुस्लिम पक्ष के वकील मुमताज अहमद ने यह जानकारी दी। इससे पहले श्रृंगार गौरी मुकदमे की मुख्य याचिकाकर्ता राखी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट पिटीशन दाखिल कर दी। मतलब मुस्लिम पक्ष की याचिका पर किसी फैसले से पहले उनका पक्ष भी सुना जाए।
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500 मीटर के दायरे में 1600 जवान
ज्ञानवापी परिसर के आसपास हलचल बढ़ गई है। ज्ञानवापी और काशी विश्वनाथ के 500 मीटर के दायरे में करीब 1600 जवान सुरक्षा में तैनात हैं। पुलिस भी अलर्ट पर है। बैरिकेडिंग बढ़ाई गई है।
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हाईकोर्ट में पांच याचिकाएं
ज्ञानवापी परिसर के स्वामित्व को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में कुल 5 याचिकाएं दाखिल हैं। राखी सिंह और तीन अन्य महिलाओं ने वाराणसी कोर्ट में ज्ञानवापी परिसर स्थित स्वयंभू विश्वेश्वर नाथ मंदिर के स्वामित्व को लेकर सिविल वाद दायर किया है। वाराणसी जिला और सत्र न्यायालय ने इस मामले में 8 अप्रैल 2021 को ज्ञानवापी का एएसआई सर्वे कराने का आदेश दिया था।
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इधर, बौद्ध गुरु का दावा-यह मठ है
वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद मामले में गुरुवार को बड़ा मोड़ सामने आ गया। बौद्ध धर्म ने सुप्रीम कोर्ट पहुंचकर दावा करते हुए कहा कि यह हमारा मठ है। उन्होंने याचिका दायर कर कहा कि यह ना तो मंदिर और ना ही मस्जिद है, यह बौद्ध का मठ है। बौद्ध धर्म गुरु सुमित रतन भंते ने कहा कि देश में ऐसे तमाम मंदिर हैं, जो बौद्ध मठ को तोड़कर मंदिर बनाए गए हैं। उन्होंने याचिका दायर कर कहा कि यह ना तो मंदिर और ना ही मस्जिद है, यह बौद्ध का मठ है। बौद्ध धर्म गुरु सुमित रतन भंते ने कहा कि देश में ऐसे तमाम मंदिर हैं, जो बौद्ध मठ को तोड़कर मंदिर बनाए गए हैं।

