नई दिल्ली। केंद्र सरकार की बहुचर्चित अग्निपथ योजना में नेपाल के गोरखाओं की भारतीय सेना में भर्ती फिलहाल रुकी हुई है। लेकिन यह मामला अभी बंद नहीं हुआ है। यह जानकारी बीते दिनों भारत में नेपाल के राजदूत शंकर प्रसाद शर्मा ने दी। एक कार्यक्रम के दौरान मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि दोनों देशों की सरकारों के बीच इस मामले को लेकर वर्तमान में कोई गंभीर चर्चा नहीं हुई है। लेकिन मुझे नहीं लगता कि ये मामला बंद हो चुका है। भारत ने अग्निपथ योजना में कोई व्यवस्था विकसित की है। जिसके तहत वह नेपाल से भी भर्ती करना चाहते हैं। लेकिन नेपाल कुछ और कह रहा है। जिसमें हम पुराने सिस्टम (भारतीय सेना में की जाने वाली गोरखाओं की स्थायी भर्ती) को बहाल किए जाने के पक्ष में हैं। हां मैं इतना जरूर कह सकता हूं कि यह अभी रुका हुआ है।
4 साल के लिए की जाएगी भर्ती
गौरतलब है कि भारत सरकार ने पिछले साल जून 2022 में अग्निपथ योजना की घोषणा की थी। जिसके तहत साढ़े 17 साल से लेकर 21 साल तक के युवाओं को सेना में 4 साल के लिए भर्ती किया जाएगा। इनमें से 25 फीसदी को सेना में स्थायी कमीशन दी जाएगी और बाकी बचे हुए 75 फीसदी को चार साल के बाद बल से बाहर कर दिया जाएगा। अग्निपथ योजना की भारत में घोषणा के बाद ही नेपाल सरकार ने अगस्त 2022 से गोरखाओं की भारतीय सेना में भर्ती पर रोक लगा दी थी। साथ ही उसका कहना था कि भारत का ये फैसला गोरखाओं की भर्ती से जुड़े हुए ब्रिटेन-भारत-नेपाल के त्रिपक्षीय समझौते के प्रावधानों की पुष्टि नहीं करता है।
सेना में 60 फीसदी नेपाली गोरखा सैनिक
आजादी के समय पर वर्ष 1947 में देश में भारतीय सेना में कुल 6 गोरखा रेजिमेंट थीं। इसके बाद सेना द्वारा सातवीं गोरखा रेजिमेंट की स्थापना की गई थी। गोरखा सैनिकों में मुख्य रूप से भारत और नेपाल के संबंधित समुदाय के लोग ही शामिल किए जाते रहे हैं। लेकिन इसमें भी एक खास बात यह रही कि भारतीय सेना की गोरखा रेजिमेंट में 60 फीसदी गोरखा सैनिक नेपाल से भर्ती किए जाते रहे हैं। नेपाल के राजदूत ने हालांकि ये भी कहा कि कुछ राजनीतिक, सीमाई मुद्दों के अलावा भारत और नेपाल के संबंध मजबूत बने हुए हैं। चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) को लेकर शर्मा ने कहा कि बीआरआई के तहत 9 परियोजनाओं का चयन किया गया है। लेकिन अभी तक इनमें से एक के लिए भी फंड जारी नहीं किया गया है। उधर इन सबके बीच नेपाली मीडिया में यह खबरें जारी हैं कि नेपाली गोरखाओं की चीन ने भर्ती करना शुरू कर दिया है।
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