प्राकृतिक कारणों से हुई पांच चीतों की मौत

पर्यावरण मंत्रालय का दावा

नई दिल्ली। पर्यावरण मंत्रालय ने रविवार को कहा कि नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 20 वयस्क चीतों में से पांच की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई। रेडियो कॉलर जैसे कारकों को मौत के लिए जिम्मेदार ठहराने वाली खबरें बिना वैज्ञानिक प्रमाण के अटकलों एवं अफवाहों पर आधारित हैं। मंत्रालय ने एक बयान में यह भी कहा कि चीता परियोजना का सहयोग करने के लिए कई कदमों की योजना बनाई गई है, जिसमें बचाव, पुनर्वास, क्षमता निर्माण सुविधाओं के साथ चीता अनुसंधान केंद्र की स्थापना भी शामिल है। बयान में कहा गया, नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से भारत लाए गए 20 वयस्क चीतों में से पांच वयस्क चीतों की मौत की सूचना मिली है। प्रारंभिक विश्लेषण के अनुसार सभी मौत प्राकृतिक कारणों से हुई हैं। मीडिया में ऐसी खबरें आई हैं जिनमें चीतों की मौत के लिए रेडियो कॉलर आदि को जिम्मेदार ठहराया गया है। ऐसी खबरें किसी वैज्ञानिक प्रमाण पर आधारित नहीं, बल्कि अटकलों और अफवाहों पर आधारित हैं। मंत्रालय ने कहा कि चीतों की मौत के कारणों की जांच के लिए अंतरराष्ट्रीय चीता विशेषज्ञों और दक्षिण अफ्रीका तथा नामीबिया के पशु चिकित्सकों के साथ परामर्श किया जा रहा है। बयान में कहा गया कि परियोजना के निगरानी प्रोटोकॉल, सुरक्षा उपाय, प्रबंधकीय सूचना, पशु चिकित्सा सुविधाएं, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पहलुओं की भी स्वतंत्र राष्ट्रीय विशेषज्ञों द्वारा समीक्षा की जा रही है।

बारीकी से हो रही निगरानी

मंत्रालय ने कहा कि केंद्र की चीता परियोजना संचालन समिति परियोजना की प्रगति की बारीकी से निगरानी कर रही है। इसके क्रियान्वयन पर संतुष्टि व्यक्त की है। इसने कहा कि सरकार ने क्षेत्रीय अधिकारियों के साथ मिलकर काम करने के लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की एक समर्पित टीम तैनात की है।

रेडियो कॉलर से मौत से इंकार

चीता परियोजना के कुछ विशेषज्ञों ने कहा कि हाल की कुछ मौतें संभवतः रेडियो कॉलर के कारण होने वाले संक्रमण के कारण हो सकती हैं। इसके बाद पर्यावरण मंत्रालय ने रविवार को कहा कि मीडिया में रेडियो कॉलर के कारण चीतों की मौत की रिपोर्ट्स आई हैं, लेकिन इसके साइंटिफिक सबूत नहीं मिले हैं।

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