लाल किले तक पहुंचा पानी, डूब रही दिल्ली, खतरे के निशान से ऊपर यमुना

–राष्ट्रीय राजधानी में बिगड़े हालात, हिमाचल में अभी भी कई रास्ते बंद

—3 वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बंद, भारी वाहनों की एंट्री पर लगी रोक

गुरुवार शाम 6 बजे

यमुना का जलस्तर 208.66 मीटर पर पहुंचा

खतरे के निशान 205 मीटर से 3 मीटर ज्यादा

एनडीआरएफ की 12 टीमें तैनात की गई

2,700 राहत शिविर लगाए गए


दिल्ली में यमुना उफान पर, जलस्तर 208.48 मीटर तक पहुंचा

नई दिल्ली। दिल्ली में यमुना का जलस्तर गुरुवार को सुबह बढ़कर 208.48 मीटर पर पहुंच गया, जिससे आसपास की सड़कें, सार्वजनिक व निजी बुनियादी ढांचे जलमग्न हो गए और नदी के पास रहने वाले लोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। पुराने रेलवे पुल पर जलस्तर बुधवार रात 208 मीटर के निशान को पार कर गया था और बृहस्पतिवार सुबह आठ बजे तक बढ़कर 208.48 मीटर पर पहुंच गया। केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के अनुसार, इसके और बढ़ने की आशंका है, उसने इसे ‘भीषण स्थिति’ करार दिया है। हर गुजरते घंटे के साथ स्थिति बिगड़ने के बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया और पुलिस ने एहतियाती तौर पर राष्ट्रीय राजधानी के बाढ़ के लिहाज से संवेदनशील इलाकों में बुधवार को धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी। इस धारा के तहत चार से अधिक लोगों के एक ही स्थान पर एकत्रित होने पर रोक होती है। उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने यमुना के बढ़ते जलस्तर को लेकर बृहस्पतिवार को दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) की बैठक बुलाई है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को लिखे पत्र में केजरीवाल ने अनुरोध किया, यदि संभव हो तो हरियाणा में हथिनीकुंड बैराज से पानी धीरे धीरे छोड़ा जाए। केजरीवाल ने गृहमंत्री अमित शाह का ध्यान आगामी जी-20 शिखर सम्मेलन की ओर आकर्षित करते हुए लिखा कि दिल्ली कुछ हफ्तों में जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने वाली है। उन्होंने कहा, देश की राजधानी में बाढ़ की खबर से दुनिया में अच्छा संदेश नहीं जाएगा। हम सबको मिलकर दिल्ली के लोगों को इस स्थिति से बचाना होगा। यमुना पर दो प्रमुख बैराज हैं, देहरादून में डाकपत्थर और यमुनानगर में हथिनीकुंड। नदी पर कोई बांध नहीं हैं और इसलिए अकसर मानसून के जल का इस्तेमाल नहीं हो पाता जिसके परिणामस्वरूप बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है। दिल्ली में पिछले तीन दिन में यमुना का जलस्तर तेजी से बढ़ा है। यह रविवार सुबह पूर्वाह्न 11 बजे 203.14 मीटर से बढ़कर सोमवार शाम पांच बजे 205.4 मीटर हो गया, जो उम्मीद से 18 घंटे पहले खतरे के निशान 205.33 मीटर को पार कर गया। सोमवार रात नदी का जलस्तर 206 मीटर के निशान को पार कर गया था। बुधवार दोपहर एक बजे तक नदी का जलस्तर 207.49 मीटर के निशान और रात 10 बजे यह 208 मीटर के निशान को पार कर गया। दिल्ली में बड़ी बाढ़ 1924, 1977, 1978, 1988, 1995, 1998, 2010 और 2013 में आईं। 1963 से 2010 तक के बाढ़ आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला कि सितंबर में बाढ़ आने की प्रवृत्ति बढ़ती है और जुलाई में घटती है। सीडब्ल्यूसी के अनुसार, हथिनीकुंड बैराज पर रात में जल के प्रवाह की दर 1.5 क्यूसेक से अधिक थी। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मुताबिक, दिल्ली में रविवार सुबह साढ़े आठ बजे तक पिछले 24 घंटे की अवधि में 153 मिलीमीटर (मिमी) बारिश दर्ज की गई, जो 1982 के बाद से जुलाई में एक दिन में हुई सर्वाधिक बारिश है। राष्ट्रीय राजधानी में सोमवार सुबह साढ़े आठ बजे समाप्त हुई 24 घंटे की अवधि में 107 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई थी।

पिछले साल भी खतरे के निशान पर गया था

पिछले साल सितंबर में यमुना ने दो बार खतरे के निशान को पार किया था और जलस्तर 206.38 मीटर तक पहुंच गया था। वर्ष 2019 में 18-19 अगस्त को नदी में 8.28 लाख क्यूसेक की दर से पानी छोड़ा गया और जलस्तर 206.6 मीटर तक बढ़ गया। 2013 में यह 207.32 मीटर के स्तर पर पहुंच गया था।

देश में 72 फीसदी जिलों में बाढ़

इधर, भारत में अनुमानित 72 प्रतिशत जिले भीषण बाढ़ से प्रभावित हैं, लेकिन उनमें से केवल 25 प्रतिशत में ही बाढ़ पूर्वानुमान केंद्र या प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (ईडब्ल्यूएस) मौजूद हैं। थिंक टैंक ‘द काउंसिल ऑन एनर्जी एनवायरन्मेंट एंड वॉटर’ (सीईईडब्ल्यू) की रिपोर्ट के अनुसार, बाढ़ के अधिक खतरे के बावजूद, असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम बाढ़-पूर्व चेतावनी प्रणाली के मामले में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले राज्य हैं। रिपोर्ट से पता चला कि इस समय भारी बाढ़ से जूझ रहे हिमाचल प्रदेश ईडब्ल्यूएस की सबसे कम उपलब्धता वाले राज्यों में से एक है। इसमें कहा गया है कि दूसरी ओर उत्तराखंड भीषण बाढ़ की घटनाओं से कुछ प्रभावित है, लेकिन इस राज्य में बाढ़ की पूर्व चेतावनी प्रणाली अधिक संख्या में उपलब्ध है। दिल्ली, उफनती यमुना के कारण भीषण बाढ़ की चपेट में है और ईडब्ल्यूएस की उपलब्धता मध्यम स्तर की है।

क्यों डूब रही दिल्ली

हरियाणा के हथनी कुंड बैराज से पानी छोड़े जाने के बाद दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर बढ़ने से बाढ़ जैसे हालात हैं। गुरुवार शाम 6 बजे तक यमुना का जलस्तर 208.66 मीटर पर पहुंच गया। यह खतरे के निशान 205 मीटर से 3 मीटर ज्यादा है। यह लेवल स्टेबल बना हुआ है।

क्या हुआ असर

यमुना में जलस्तर में वृद्धि के कारण सार्वजनिक और निजी बुनियादी ढांचे सहित सड़क और रेल यातायात प्रभावित हुआ। नदी के आसपास रहने वाले लोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। बाढ़ प्रभावित इलाकों में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी थी। दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने निर्देश दिया कि शहर के सभी गैर-जरूरी सरकारी कार्यालय, स्कूल और कॉलेज रविवार तक बंद रहेंगे।

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