चुनाव के बाद भी बंगाल में बवाल, सड़कों पर टीएमसी-भाजपा, राज्यपाल दिल्ली रवाना

—24 घंटे में 16 की मौत, शाह को आज रिपोर्ट सौंपेंगे राज्यपाल

—कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रीय राजमार्ग-12 को किया जाम

—निर्वाचन आयोग के कार्यालय में भाजपा ने किया प्रदर्शन

— राज्य मंत्री तजमुल हुसैन की कार में की तोड़फोड़

बंगाल में बवाल

इंट्रो

पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के दौरान हुई हिंसा और अनियमितताओं के आरोपों के खिलाफ रविवार को विरोध-प्रदर्शन हुए। भाजपा कार्यकर्ताओं ने एसईसी कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। पंचायत चुनाव के दौरान अब तक 16 लोगों की मौत की खबर है, वहीं एक महीने में जान गंवाने वालों की संख्या 35 हो गई। अब इस पर सियासत भी गरमा गई है।


तमलुक/चाकुलिया/मालदा। पूर्व मेदिनीपुर जिले में भाजपा के कार्यकर्ताओं ने नंदकुमार में हल्दिया-मेचेदा राज्य राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया। भाजपा आरोप लगाया कि श्रीकृष्णपुर हाई स्कूल में मतगणना केंद्र पर मतपेटियों के साथ छेड़छाड़ की जा रही है। तमलुक में भाजपा की युवा शाखा के नेता तमस डिंडा ने कहा, हमें तड़के तीन बजे सूचना मिली कि मतपेटियां बदली जा रही हैं। हम केंद्रीय बलों की सुरक्षा में क्षेत्र के सभी मतदान केंद्र पर पुनर्मतदान के अलावा मतदान केंद्रों पर ही मतों की गिनती कराने की मांग कर रहे हैं। नंदकुमार थाने के प्रभारी अधिकारी मनोज कुमार झा ने बताया कि मामला बढ़ने पर पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया। शनिवार को मतदान के दौरान हुई हिंसा के विरोध में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मालदा के रथबाड़ी इलाके में राष्ट्रीय राजमार्ग-12 को अवरुद्ध कर दिया। कांग्रेस के नेता एवं सांसद अबू हासेम खान चौधरी ने कहा, शनिवार को हुई हिंसा के विरोध में हम सड़कों पर उतरे हैं। हम इसके खिलाफ अदालत भी जाएंगे। मालदा के हरिश्चंद्रपुर इलाके के बस्ता गांव में शनिवार रात करीब 10 बजे कुछ बदमाशों ने राज्य मंत्री तजमुल हुसैन की कार में तोड़फोड़ की। पथराव के दौरान एक पुलिस वाहन में भी तोड़फोड़ की गई। हमले में एक पुलिसकर्मी घायल हो गया। पुलिस ने बताया कि ऐसा संदेह है कि इस घटना के पीछे बिहार के बदमाशों का हाथ है और जांच जारी है। उत्तर दिनाजपुर में दो कार में आग लगा दी गई और एक सरकारी बस सहित कई वाहनों में तोड़फोड़ की गई, जिससे चाकुलिया थाना क्षेत्र में विरोध-प्रदर्शन हिंसक हो गया। घटना सुबह रामपुर-चाकुलिया रोड और राष्ट्रीय राजमार्ग-31 पर हुई। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि वे डराने-धमकाने के कारण मतदान के दौरान वोट नहीं डाल पाए और प्रशासन से बार-बार अपील करने का भी कोई फायदा नहीं हुआ। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा में इसी तरह का विरोध-प्रदर्शन किया। कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया गया कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के समर्थक मतदाताओं को डराने-धमकाने और चुनाव के दौरान फर्जी मतदान कराने में शामिल थे। उत्तर-24 परगना के अमदंगा में इंडियन सेक्युलर फ्रंट और तृणमूल कांग्रेस के समर्थकों के बीच झड़प की खबर है। चुनाव संबंधी मौतों के लिए राज्य निर्वाचन आयुक्त को दोषी ठहराते हुए भाजपा ने शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक पत्र लिखकर राज्य में लोकतंत्र बहाल करने में उनके ‘हस्तक्षेप’ की मांग की। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने पत्र में आरोप लगाया कि राज्य में ‘सत्तारूढ़ दल द्वारा लोकतंत्र की हत्या’ कर दी गई, क्योंकि सुरक्षा बल मूकदर्शक बने रहे। वहीं, तृणमूल कांग्रेस ने विपक्षी दलों पर हिंसा कराने का आरोप लगाया और मतदाताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में ‘विफलता’ के लिए केंद्रीय बलों की आलोचना की।

भाजपा ने घेरा निर्वाचन आयोग का दफ्तर

कोलकाता। भाजपा के समर्थकों ने पंचायत चुनाव में हिंसा के विरोध में रविवार को यहां पश्चिम बंगाल राज्य निर्वाचन आयोग के कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया। राज्य में चुनाव संबंधी हिंसा में 16 लोगों की मौत हुई है। शहर में एसईसी कार्यालय के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई है, जहां भाजपा कार्यकर्ताओं ने शांतिपूर्वक चुनाव कराने में आयोग की कथित ‘अक्षमता’ के खिलाफ नारे लगाए। भाजपा के एक नेता ने कहा कि पार्टी की प्रदेश इकाई का एक प्रतिनिधिमंडल राज्य निर्वाचन आयुक्त राजीव सिन्हा से मिलने के लिए कार्यालय गया।

73,887 सीटों पर मतदान

राज्य की त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली की कुल 73,887 सीट पर शनिवार को मतदान हुआ, जिसमें 2.06 लाख उम्मीदवार मैदान में थे। अधिकारियों ने कहा कि अनंतिम रूप से 66.28 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। उन्होंने बताया कि दक्षिण 24 परगना में एक व्यक्ति के मृत पाए जाने और दो अन्य की चोटों के कारण मौत हो जाने के बाद पंचायत चुनावों के दौरान हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 16 हो गई।

राज्यपाल आज शाह को सौंपेंगे रिपोर्ट

कोलकाता। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से सोमवार को मिलेंगे। राज्य में पंचायत चुनाव के दौरान हुई हिंसा पर एक रिपोर्ट सौंपने की संभावना है। राज्यपाल ने शनिवार को मतदान के दौरान विभिन्न स्थानों, मुख्य रूप से उत्तरी 24 परगना जिले का दौरा करके स्थिति का जायजा लिया था। उन्होंने एक घायल व्यक्ति के परिवार के सदस्यों से मुलाकात की थी और एक अस्पताल भी गए थे, जहां उस व्यक्ति का इलाज किया जा रहा है।

ऐसी सियासत

भाजपा बोली-जहां केंद्रीय बल नहीं, वहां हिंसा

भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि अगर संवेदनशील स्थानों पर केंद्रीय बल तैनात किए गए होते तो इतनी हिंसा नहीं होती। लोग स्वतंत्र रूप से और बिना किसी डर के अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकते थे। केंद्रीय बलों को जानबूझकर संवेदनशील इलाकों में तैनात नहीं किया गया। दिलीप घोष ने आरोप लगाया कि मतदान केंद्रों पर बलों को तैनात करने के बजाय, उन्हें राजमार्गों पर गश्त करने के लिए मजबूर किया गया या पुलिस स्टेशनों पर रखा गया। उन्होंने दावा किया, यहां तक ​​कि जहां उन्हें तैनात किया गया था, वह भी हिंसा और वोटों की लूट के बाद ही किया गया था।

टीएमसी बोली- ऐसी कोई गारंटी नहीं

भाजपा के इस दावे पर टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि अगर बल तैनात होते तो हिंसा नहीं होती। उन्होंने आरोप लगाया कि साल 2021 विधानसभा चुनाव के दौरान कूच बिहार में केंद्रीय बलों की गोलीबारी में चार लोग मारे गए। पंचायत चुनाव में 61,000 से ज्यादा बूथों पर मतदान हुआ और करीब 60 बूथों पर ही हिंसा हुई और उनमें से आठ पर गंभीर घटनाएं हुईं। ज्यादातर मामलों में टीएमसी कार्यकर्ताओं की मौत हिंसा के कारण हुई।

इधर, बीएसएफ और ईसी में तकरार

पश्चिम बंगाल चुनाव में हिंसा को लेकर बीएसएफ के अफसर और चुनाव आयोग में तकरार हो गई। बीएसएफ के डीआईजी एसएस गुलेरिया ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग ने सिर्फ 7 जून को सेंसिटिव बूथ की संख्या बताई। उनकी लोकेशन या कोई और अन्य जानकारी नहीं दी गई। यहां पर सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स के 59 हजार ट्रूप और 25 राज्यों की आर्म्ड पुलिस भी मौजूद थी, लेकिन इसका ठीक तरीके से इस्तेमाल नहीं किया जा सका।

इधर, बंगाल चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा ने कहा कि यह जिम्मेदारी जिला प्रशासन की थी कि चुनाव के दौरान भीड़ को कंट्रोल करें। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्रीय बल बंगाल में समय रहते कंपनियां तैनात नहीं कर सका।

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