—
- 500 करोड़ रुपए के लोन पर आधा ब्याज भी सरकार भरेगी
- इस भूमि का उपयोग अन्य प्रयोजनों के लिए नहीं किया जा सकेगा
बिलासपुर। राज्य में अब पीपीपी मॉडल में कॉलेजों का संचालन किया जाएगा। इस व्यवस्था के तहत यदि कोई भी संस्था राज्य के आदिवासी पिछड़े क्षेत्र एवं अति पिछड़े क्षेत्र इन क्षेत्रों में कालेज खोलती है तो उसे शासन की ओर से ढाई करोड़ रुपए तक का अनुदान दिया जाएगा। इसके साथ ही अधोसंरचना निर्माण के लिए ली गई अधिकतम 500 करोड़ रुपए की ऋण पर ब्याज की राशि का 50 प्रतिशत भुगतान शासन द्वारा किया जाएगा। इसी तरह सरकार कम से कम 10 एकड़ जमीन 30 वर्ष की लीज पर 50 प्रतिशत की रियायती दर पर उपलब्ध कराएगी। शर्त ये रहेगी की इस भूमि का उपयोग अन्य प्रयोजनों के लिए नहीं किया जा सकेगा।
ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में 17 अक्टूबर 2022 को हुई कैबिनेट की बैठक में इस पर फैसला लिया गया था। इसमें उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ावा देने और राज्य के पिछड़े और अति पिछड़े क्षेत्र के युवाओं को उच्च शिक्षा की सुविधा देने पीपीपी मॉडल के तहत राज्य में कालेज स्थापना के प्रारूप का अनुमोदन किया गया था। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में पी.पी.पी मॉडल पर प्रारंभ किए जाने वाले महाविद्यालय प्रदेश के लिए एक नवाचार है। पूर्व में इस प्रकार की कोई योजना लागू नहीं की गई है और न ही कोई निजी महाविद्यालय इस योजना में दी गई व्यवस्था के तहत संचालित हो रहे हैं।
30 साल की लीज पर मिलेगी जमीन
पीपीपी योजना के अनुसार निजी महाविद्यालयों को दी जाने वाली रियायतों में निश्चित पूंजी निवेश पर अधिकतम सब्सिडी 2.50 करोड़ रुपए अति पछड़ा क्षेत्र के लिए और 1.75 करोड़ रुपए सब्सिडी पिछड़ा क्षेत्र में स्थापित होने वाले कालेजों को दिया जाएगा। इसी तरह कम-से-कम 10 एकड़ भूमि 30 वर्ष की लीज पर 50 प्रतिशत रियायती दर से शासन द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा। भूमि का उपयोग अन्य प्रयोजनों के लिए नहीं किया जाएगा। योजना के अनुसार लीज की अवधि की समाप्ति होने पर शासन इसे बढ़ा भी सकता है। कालेज में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को राज्य शासन द्वारा छात्रवृत्ति भी दी जाएगी। कालेज को समस्त शैक्षणिक स्टाफ एवं कर्मचारियों की वेतन व्यवस्था स्वयं के द्वारा करनी होगी।
नैक ग्रेडिंग कराने पर मिलेगी प्रोत्साहन राशि
वहीं नैक द्वारा ए ++, ए+ या ए ग्रेड प्राप्त करने वाले महाविद्यालयों को 1 लाख 51 हजार रुपए प्रोत्साहन राशि एवं प्रमाणपत्र राज्य शासन द्वारा दिया जाएगा। पीपीपी मॉडल के तहत खोले जाने वाले उच्च शिक्षण संस्थाओं को नैक/एनआईआरएफ गुणवत्ता प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए कुल फीस का 50 प्रतिशत या अधिकतम 3 लाख रुपए (जो भी कम हो) राशि का वहन राज्य शासन द्वारा किया जाएगा। ज्ञात हो कि फिलहाल अनुदान केवल उन्हीं निजी महाविद्यालयों को मिलता है जिनका संचालन न्यूनतम 10 वर्ष पूर्ण हो चुका है, लेकिन प्रस्तावित पीपीपी मॉडल में यह व्यवस्था प्रारंभ से ही निजी महाविद्यालयों को दी जाएगी।
अभी 16 कालेजों को मिलता है अनुदान
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश अशासकीय महाविद्यालय और संस्था (स्थापना एवं विनियमन) अधिनियम के तहत प्रदेश में कुल 12 निजी महाविद्यालयों को शत्-प्रतिशत् नियमित अनुदान के तहत संचालित किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के पश्चात चार निजी महाविद्यालयों को छत्तीसगढ़ अशासकीय महाविद्यालय और संस्था (स्थापना एवं विनियमन) अधिनियम, 2006 के तहत कैबिनेट की मंजूरी के बाद 50 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। इसके अतिरिक्त इस अधिनियम के तहत तीन वर्ष में एक बार तदर्थ अनुदान अधिकतम पांच लाख रुपए तक की राशि भवन विस्तार, फर्नीचर, उपकरण क्रय के लिए दी जाती है। विभाग के मुताबिक आवेदन के आधार पर अनुदान की स्वीकृति दी जाती है।
योजना पर काम जारी
प्रस्तावित योजना उच्च शिक्षा के क्षेत्र में राज्य के सकल प्रवेश अनुपात की वृद्धि में सहायक होगी। साथ ही राज्य के पिछड़े क्षेत्र एवं अति पिछड़े क्षेत्र के युवाओं को गुणवत्ता मूलक शिक्षा की सुविधा उपलब्ध होगी। उपर्युक्त उद्देश्यों की पूर्ति के लिए इस योजना को प्रदेश में लागू किए जाने के लिए प्रस्तुत किया गया है। इस योजना पर काम जारी है। कुछ प्रक्रियाएं बाकी हैं। इसके बाद विस्तृत नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। पीपीपी माडल के तहत पिछडे़ क्षेत्रों में काॅलेज स्थापना करने पर सरकार पूरी मदद करेगी।
- शारदा वर्मा, कमिश्नर, उच्च शिक्षा
0000

