एनसीपी पर अब अधिकार की लड़ाई, अजित गुट ने बनाई नई टीम

—एनसीपी पर अब अधिकार की लड़ाई, अजित गुट ने बनाई नई टीम

— शिवसेना जैसा हाल, सांसद सुनील तटकरे को बनाया प्रदेश अध्यक्ष

–कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने राष्ट्रीय अध्यक्ष को लिखा था पत्र

इंट्रो

महाराष्ट्र में राजनीतिक घमासान मचा हुआ है। एनसीपी की फूट के बाद अब दोनों गुट खुद को असली साबित करने में जुटे हुए हैं। शरद पवार ने बागी सांसद प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। उधर, अजीत पवार गुट ने खुद को असली एनसीपी बताते हुए नई टीम का ऐलान किया है। सांसद सुनील तटकरे को नया प्रदेश अध्यक्ष तो अनिल पाटिल को चीफ व्हिप बनाया गया है।

नई दिल्ली। एनसीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार ने कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले के लेटर पर सांसद प्रफुल्ल पटेल और सांसद सुनील तटकरे को पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने पर निष्कासित कर दिया है। साथ ही अनुशासन समिति ने सर्वसम्मति से अजीत पवार समेत 9 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने का प्रस्ताव पास किया है। तीनों नेताओं ने अजीत पवार के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लिया था। रविवार को शरद पवार के भतीजा अजीत पवार ने पार्टी से बगावत करते हुए बीजेपी के साथ जाने का फैसला लिया। बगावत के कुछ ही मिनट बाद वह राजभवन पहुंचे और महाराष्ट्र सरकार में उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। अजीत पवार के साथ 8 अन्य विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ली थी। शपथ लेने के बाद अजीत पवार ने दावा किया था कि एनसीपी में कोई फूट नहीं है, पूरी पार्टी एक साथ बीजेपी सरकार के समर्थन में आई है।

शरद पवार को लेटर में कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने लिखा, मैं आपको यह सूचित करने के लिए आग्रह कर रही हूं कि राकांपा के दो सांसदों, प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे ने हमारे संविधान, पार्टी के नियमों का उल्लंघन किया है। 9 विधायकों के शपथ समारोह की मेजबानी और नेतृत्व करके पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल हुए हैं। ये दल-बदल पार्टी अध्यक्ष की जानकारी या सहमति के बिना इतने गुप्त तरीके से किए गए थे, जो पार्टी छोड़ने के समान है, जो अयोग्यता को आमंत्रित करता है। यही नहीं इससे यह भी स्पष्ट है कि ये सांसद न तो एनसीपी के उद्देश्य या विचारधारा से ताल्लुक रखते हैं न ही पार्टी में अब शामिल हैं। इनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए।

इन नेताओं को किया बर्खास्त

एनसीपी ने सोमवार को पार्टी ने तीन नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया। इन पर आरोप है कि ये तीनों अजीत पवार के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे। एनसीपी ने मुंबई डिविजन के प्रमुख नरेंद्र राठौड़, अकोला शहर जिला प्रमुख विजय देशमुख और राज्यमंत्री शिवाजी गर्जे को पार्टी से निष्कासित कर दिया है।

नौ विधायकों को अयोग्य घोषित करने का प्रस्ताव पास

एनसीपी अनुशासन समिति ने पार्टी नौ विधायकों को अयोग्य घोषित करने का प्रस्ताव पास कर दिया है। यह वही विधायक हैं, जिन्होंने अजित पवार के साथ बीते दिन शपथ ग्रहण की थी। इसके अलावा एनसीपी की कार्यकारी अध्यक्ष और सांसद सुप्रिया सुले ने पार्टी प्रमुख शरद पवार को लिखे पत्र में सांसद प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की है।

इधर, अजित गुट ने खुद को बताया असली

अजित पवार गुट ने खुद को असली एनसीपी बताते हुए नई टीम का ऐलान किया है। सांसद सुनील तटकरे को नया प्रदेश अध्यक्ष तो अनिल पाटिल को चीफ व्हिप बनाया गया है। हालांकि, अजित पवार गुट से जब यह पूछा गया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर किसे नामित किया गया है तो पवार ने कहा कि क्या आप भूल गए हैं कि शरद पवार इस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि जयंत पाटिल को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी से हटाकर सुनील तटकरे को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। जबकि अनिल पाटिल को चीफ व्हिप की जिम्मेदारी दी गई है। एनसीपी विधायक दल के नेता एवं उप मुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा कि हमने स्पीकर को लेटर देकर जयंत पाटिल और जितेंद्र अवहाड को अयोग्य घोषित करने की मांग की है।

शरद ने भाजपा पर साधा निशाना

एनसीपी में बगावत के बीच शरद पवार सोमवार को गुरु पूर्णिमा के दिन सातारा के कराड में अपने गुरु पूर्व सीएम यशवंत राव चाव्हाण की समाधि पर पहुंचे और श्रद्धांजलि दी। सातारा में हुई रैली में शरद पवार ने कहा, भाजपा देशभर में चुनी हुई सरकारों को गिरा रही है। महाराष्ट्र में भी ऐसा ही हुआ है। महाराष्ट्र की जनता को एकजुट होकर अपनी ताकत दिखानी होगी। महाराष्ट्र में जातिवाद की राजनीति नहीं चलेगी। हमारे कुछ लोग भाजपा का शिकार हो गए। बड़ों के आशीर्वाद के साथ हम नई शुरुआत करेंगे। हमने 5 जुलाई को पार्टी के सभी नेताओं की मीटिंग बुलाई है। मीटिंग में सभी नेता एफिडेविट के साथ आएं।

दलबदल कानून लागू होगा?

इस कानून की दो शर्तें हैं। जिस दल को नेता छोड़ रहा है, उसका दूसरे दल में विलय हो जाए। दो तिहाई विधायक सहमत हों। दोनों स्थितियां अजित के पक्ष में हैं। अजित पवार का दावा है कि उन्हें राज्य विधानसभा में एनसीपी के कुल 53 विधायकों में से 40 से अधिक का समर्थन प्राप्त है। दलबदल विरोधी कानून के प्रावधानों से बचने के लिए अजित के पास 36 से अधिक विधायक होने चाहिए।

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