- समान नागरिक संहिता पर देशभर में मचा है सियासी घमासान
-कई दल समर्थन में तो कई कर रहे हैं इसका विरोध
-एनसीपी न्यूट्रल है वहीं आप ने दिया है समर्थन
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर दिए बयान के बाद से देशभर में सियासी घमासान मच गया है। इस मुद्दे पर सियासी दल भी दो गुटों में बंटते नजर आ रहे हैं। जहां दिल्ली-पंजाब की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी ने समान नागरिक संहिता को सैद्धांतिक समर्थन देने का ऐलान किया। तो वहीं, कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल मुखालफत पर उतर आए और पीएम मोदी पर राजनीतिक लाभ के लिए यूसीसी का मुद्दा उठाने का आरोप लगा रहे हैं। वहीं, शरद पवार की पार्टी एनसीपी ने यूसीसी पर न्यूट्रल रुख अपनाते हुए कहा कि हम इसका न विरोध करेंगे और न समर्थन।
पीएम मोदी के बयान से पहले लॉ कमीशन ने यूसीसी पर धार्मिक संगठनों और जनता की राय मांगी थी। लॉ कमीशन के इस कदम के बाद शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे ने भी यूसीसी का समर्थन किया था। उन्होंने कहा था कि हम समान नागरिक संहिता का समर्थन करते हैं, लेकिन जो लोग इसे ला रहे हैं, उन्हें ये नहीं सोचना चाहिए कि इससे सिर्फ मुसलमानों को परेशानी होगी, बल्कि इससे हिंदुओं को भी दिक्कत होगी और कई सवाल उठेंगे।
आप, एनसीपी का भी सशर्त समर्थन
आम आदमी पार्टी के संगठन महासचिव संदीप पाठक ने कहा कि वह समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का सैद्धांतिक समर्थन करती है। लेकिन इस मुद्दे पर सभी धर्म और राजनीतिक दलों से बातचीत होनी चाहिए। सबकी सहमति के बाद ही इसे लागू किया जाना चाहिए। एनसीपी राष्ट्रीय सचिव नसीम सिद्दीकी ने कहा, यूसीसी का तुरंत विरोध नहीं होना चाहिए। इस पर व्यापक चर्चा की जरूरत है।
यूसीसी के विरोध में ये विपक्षी दल
यूसीसी के मुद्दे पर कांग्रेस, टीएमसी, जदयू, राजद, एआईएमआईएम, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, सपा, डीएमके ने मोदी सरकार की आलोचना की है। उधर, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि विपक्षी दल भाजपा को सार्वजनिक मुद्दों से ध्यान भटकाने नहीं देंगे।
999
विरोध नहीं करेंगे मुस्लिम संगठन!
प्रस्तावित समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लेकर मुस्लिम नेताओं और संगठनों ने रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाया है। ऐसा माना जा रहा है कि मुस्लिम संगठन सार्वजनिक रूप से समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का विरोध नहीं करेंगे। न्यूज18 की रिपोर्ट के मुताबिक, संगठनों का मानना है कि यूसीसी का विरोध करने से आगामी विधानसभा चुनावों और 2024 के लोकसभा चुनावों में सत्तारूढ़ भाजपा को फायदा हो सकता है। मंगलवार को एक बैठक में, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने निर्णय लिया कि वह जल्द ही विधि आयोग को एक मसौदा दस्तावेज प्रस्तुत करेगा।
–
999
यूसीसी पर यह कहता संविधान
भारत के संविधान के आर्टिकल 44 में कहा गया है कि राज्य को अपने नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए प्रयास करने चाहिए। संविधान निर्माताओं ने अपने दौर में इसे लागू नहीं किया था और भविष्य में इसका फैसला संसद पर छोड़ दिया था ताकि सहमति के बाद इसे बनाया जा सके। संविधान लागू होने के बाद से अब तक 7 दशकों में कई बार सरकारों ने समान नागरिक संहिता की बात कही है, लेकिन इस पर फैसला नहीं लिया जा सका। अब तक यह एक संवेदनशील और विवादित मुद्दा बना हुआ है। भाजपा, शिवसेना जैसे दलों के अलावा तमाम राजनीतिक पार्टियां इसे लागू करने से परहेज ही करती रही हैं। अभी भारत में अलग-अलग पर्सनल लॉ लागू हैं। मुस्लिम पर्सनल लॉ और हिंदू मैरिज ऐक्ट समेत अलग-अलग संप्रदायों के लिए शादी, तलाक जैसे मामलों के लिए नियम अलग हैं।
99999
00000


 
                                                    
                                                                                                 
                                                    
                                                                                                 
                                                    
                                                                                                 
                                                    
                                                                                                 
                                                    
                                                                                                