राजपक्षे पर सामूहिक कब्र के पुलिस रिकॉर्ड नष्ट कराने का आरोप

कोलंबो, 23 जून (एपी) श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे पर आरोप है कि उन्होंने 1988-89 के मार्क्सवादी विद्रोह के दौरान सैन्य समन्वयक रहते हुए देश में मिली एक सामूहिक कब्र के पुलिस रिकॉर्ड कथित रूप से नष्ट करा दिये थे। एक अंतरराष्ट्रीय अधिकार समूह ने यह आरोप लगाया। ‘सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स डेवलपमेंट’, ‘इंटरनेशनल ट्रूथ एंड जस्टिस प्रोजेक्ट’, ‘जर्नलिस्ट्स फॉर डेमोक्रेसी इन श्रीलंका’ और ‘फैमिलीज ऑफ द डिसएपियर्ड’ द्वारा लिखित रिपोर्ट ‘मास ग्रेव्स एंड फेल्ड एक्स्युमेशन्स इन श्रीलंका’ बृहस्पतिवार को जारी की गयी। सामूहिक कब्र 2013 में मध्य श्रीलंका के मटाले जिले में खोजी गई थी।

रिपोर्ट के अनुसार, राजपक्षे की कथित कार्रवाई ‘राजनीतिक हस्तक्षेप का प्रमुख उदाहरण है’।

रिपोर्ट में कहा गया है कि श्रीलंका को ‘इंटरनेशनल कन्वेंशन ऑन द प्रोटेक्शन ऑफ पीपुल फ्रॉम एनफोर्स्ड डिसएपियरेंसिस’ के अनुच्छेद 12(4) के तहत राजपक्षे के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘रक्षा मंत्रालय में तत्कालीन सचिव गोटबाया राजपक्षे ने कथित तौर पर मटाले सहित मध्य प्रांत के थानों में पांच साल से अधिक पुराने सभी पुलिस रजिस्टर और रिकॉर्ड नष्ट करने का आदेश दिया था।” गौरतलब है कि जुलाई 1989 और जनवरी 1990 के बीच मटाले जिले के सैन्य समन्वय अधिकारी थे और बाद में वह श्रीलंका के राष्ट्रपति बन गये। दक्षिणपंथी समूह ‘द इंटरनेशनल ट्रूथ एंड जस्टिस प्रोजेक्ट’ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकारियों ने कभी इस रिपोर्ट को खारिज नहीं किया। रिपोर्ट के मुताबिक, जब सामूहिक कब्र की खोज की गई और जांच शुरू हुई, तो न्यायाधीशों और फॉरेंसिक विशेषज्ञों को अचानक स्थानांतरित कर दिया गया, परिवारों के वकीलों को उन स्थानों तक पहुंच से वंचित कर दिया गया, जीवित गवाहों को खोजने का कोई प्रयास नहीं किया गया, कोई पोस्टमार्टम आंकड़ा एकत्र नहीं किया गया और बहुत ही दुर्लभ मामलों में जहां किसी को दोषी ठहराया गया, बाद में उसे माफ कर दिया गया। राजपक्षे 2019 में श्रीलंका के राष्ट्रपति चुने गये थे। उन्हें देश में जारी आर्थिक संकट को ठीक से संभाल नहीं पाने के लिए जनता की नाराजगी का सामना करना पड़ा। भाषा वैभव सुरेश

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