-बकाया राशि का करेगा भुगतान
पेरिस, 12 जून (एपी) संयुक्त राष्ट्र की सांस्कृतिक और वैज्ञानिक एजेंसी यूनेस्को ने सोमवार को घोषणा की कि अमेरिका ने फिर से उससे जुड़ने और 60 करोड़ अमरीकी डॉलर से अधिक की बकाया राशि का भुगतान करने का फैसला किया है। यूनेस्को के फलस्तीन को एक सदस्य के तौर पर शामिल करने के विरोध में करीब एक दशक तक चले विवाद के बाद अमेरिका का यह कदम सामने आया है। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि वापसी का निर्णय इस चिंता से प्रेरित था कि चीन यूनेस्को नीति निर्माण में अमेरिका के न रहने से बनी जगह को भर रहा था, विशेष रूप से दुनिया भर में कृत्रिम बुद्धिमत्ता और प्रौद्योगिकी शिक्षा के लिए मानक स्थापित करने के संदर्भ में। प्रबंधन एवं संसाधन मामलों के लिये अमेरिकी विदेश विभाग के उप मंत्री रिचर्ड वर्मा ने पिछले हफ्ते यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्रे एजोले को फिर से शामिल होने की योजना को औपचारिक रूप देने के लिए एक पत्र दिया था। एजोले द्वारा सोमवार को एक विशेष बैठक में राजदूतों के समक्ष इस बारे में घोषणा करते ही यूनेस्को के सभागार में तालियां बजने लगीं और एक के बाद एक प्रतिनिधियों ने खड़े होकर फैसले तथा नए सिरे से रकम आने की जानकारी का स्वागत किया। यूनेस्को के एक राजनयिक के अनुसार, कभी एजेंसी के सबसे बड़े धन प्रदाता रहे अमेरिका की वापसी को अगले महीने इसके 193 सदस्य राष्ट्रों द्वारा एक वोट का सामना करने की उम्मीद है। यह निर्णय संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) के लिए एक बड़ा वित्तीय प्रोत्साहन है, जो अपने विश्व विरासत कार्यक्रम के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन से लड़ने तथा लड़कियों को पढ़ाने के लिए परियोजनाओं के वास्ते जाना जाता है। फलस्तीन को एक सदस्य देश के रूप में शामिल करने के लिए 2011 में मतदान करने के बाद अमेरिका और इजराइल ने यूनेस्को को धन देना बंद कर दिया और दोनों देशों ने 2013 में अपना मतदान अधिकार खो दिया। ट्रंप प्रशासन ने 2017 में इजरायल विरोधी पूर्वाग्रह और प्रबंधन समस्याओं का हवाला देते हुए इससे अगले साल एजेंसी से पूरी तरह से अलग होने का फैसला किया था। एपी प्रशांत मनीषा
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