बिलावल भुट्टो जरदारी पहुंचे गोवा, एससीओ सम्मेलन में लेंगे हिस्सा
बेनौलिम। पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए गुरुवार को गोवा पहुंचे। यह 2011 के बाद से पड़ोसी देश पाकिस्तान से भारत की यह पहली ऐसी उच्च स्तरीय यात्रा है। बिलावल भुट्टो जरदारी ऐसे समय में एससीओ विदेश मंत्रियों की परिषद (सीएफएम) की बैठक में हिस्सा लेने के लिये भारत आए हैं जब सीमा पार आतंकवाद को पाकिस्तान के निरंतर समर्थन सहित कई मुद्दों को लेकर दोनों देशों (भारत और पाकिस्तान) के बीच तनाव जारी है। सूत्रों ने बताया कि विदेश मंत्री एस जयशंकर और भुट्टो जरदारी के बीच द्विपक्षीय बैठक की फिलहाल कोई योजना नहीं है, क्योंकि अभी तक पाकिस्तानी पक्ष से इसके लिए कोई अनुरोध नहीं आया है। बिलावल ने संवाददाताओं से कहा, मैं एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक में पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए गोवा पहुंचकर बहुत खुश हूं। मुझे उम्मीद है कि एससीओ सीएफएम की बैठक सफल होगी। गोवा के लिए रवाना होने से पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल ने कहा, इस बैठक में हिस्सा लेने का मेरा फैसला एससीओ के चार्टर के प्रति पाकिस्तान की मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने कहा, मेरी यात्रा विशेष रूप से एससीओ पर केंद्रित है और इसमें मैं मित्र देशों के अपने समकक्षों के साथ रचनात्मक चर्चा की उम्मीद करता हूं। बिलावल 2011 के बाद से भारत की यात्रा करने वाले पाकिस्तान के पहले विदेश मंत्री होंगे। गौरतलब है कि भारत लगातार कहता रहा है कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते। पाकिस्तान को बातचीत की बहाली के लिए अनुकूल माहौल मुहैया कराना चाहिए। भारत द्वारा संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने, जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने और पांच अगस्त, 2019 को राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद दोनों देशों के बीच संबंध और खराब हो गए।
—
हिना रब्बानी ने 2011 में की थी भारत की यात्रा
बिलावल से पहले हिना रब्बानी खार ने 2011 में शांति वार्ता के लिए पाकिस्तान की विदेश मंत्री के रूप में भारत की यात्रा की थी। खार फिलहाल विदेश राज्य मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। वहीं, मई 2014 में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने के लिए भारत आए थे। इसके बाद दिसंबर 2015 में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान का दौरान किया था। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पड़ोसी देश की संक्षिप्त यात्रा पर गए थे।
–
कितना खास है ये दौरा
पाकिस्तान के विदेश मंत्री का भारत आना अपने आप में काफी अहम है। 12 साल बाद पाकिस्तान का कोई विदेश मंत्री भारत आया है। बिलावल भुट्टो से पहले उनके खानदान के तीन व्यक्ति भारत आ चुके हैं। 1972 में बिलावल भुट्टो के नाना और पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो भारत आए थे। 1971 की जंग के बाद वो 1972 में शिमला समझौते पर दस्तखत करने के लिए भारत आए थे। साल 2002 में बिलावल की मां और पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो भारत आई थीं। उस दौरे में उन्होंने भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से भी मुलाकात की थी। वही, 2012 में बिलावल के पिता आसिफ अली जरदारी भारत आए थे। उनके साथ बिलावल भुट्टो भी थे। आसिफ अली जरदारी ने उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की थी।
–
बड़ा सवाल….क्या बातचीत का सिलसिला शुरू हो पाएगा?
हालांकि, बिलावल भुट्टो भारत जरूर आ रहे हैं, लेकिन ये भी साफ है कि उनकी जयशंकर के साथ द्विपक्षीय बातचीत नहीं होगी। इससे साफ होता है कि भुट्टो का मकसद सिर्फ शंघाई सहयोग संगठन मीटिंग में आना है, न कि भारत से रिश्ते सुधारना या बातचीत का सिलसिला शुरू करना। हालांकि, इस दौरे को पाकिस्तान की ओर से संबंध सुधारने की कोशिश के तौर पर देखा जा सकता है।
000

