नई दिल्ली। गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो से गैंगरेप के 11 दोषियों की रिहाई से जुड़ी फाइलें केंद्र और राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पेश करने पर सहमति जताई है। दोनों सरकारों ने कहा कि वे इस मामले से जुड़े असली रिकॉर्ड्स को अदालत के सामने रखेंगी और वे इसे लेकर किसी भी तरह के विशेषाधिकार का दावा नहीं कर रही हैं। मंगलवार को जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच के सामने सरकारों ने यह बात कही। बीते साल 15 अगस्त को बिलकिस बानो के 11 रेपिस्टों को जेल से रिहा कर दिया गया था, जिन्हें उम्रकैद की सजा मिली थी। इन लोगों को कई हत्याओं और बिलकिस बानो से रेप के मामले में उम्रकैद की सजा मिली थी। इनकी रिहाई के बाद शीर्ष अदालत में फैसले को चुनौती दी गई थी, जिस पर सुनवाई के दौरान बेंच ने सवाल खड़े किए थे। यहां तक कि अदालत ने यह भी कहा था कि यह गंभीर मामला है और गुजरात सरकार को इस फैसले को लेकर दिमाग का इस्तेमाल करना चाहिए था। अदालत ने कहा था कि आज बिलकिस बानो के दोषियों के साथ ऐसा हुआ है। कल किसी और के साथ भी इस तरह का फैसला लिया जा सकता है। इसके अलावा अदालत ने गुजरात और केंद्र सरकार से यह भी कहा था कि वे उन फाइलों को पेश करें, जिनके जरिए रिहाई की प्रकिया को अंजाम दिया गया। कोर्ट ने कहा था कि अहम सवाल यह है कि क्या इस फैसले को लेकर गुजरात सरकार ने सभी पहुलओं पर विचार किया और दिमाग लगाया? अदालत ने कहा कि आखिर किन फैक्टर्स पर विचार के बाद इन लोगों की रिहाई पर फैसला लिया गया। क्या इस फैसले में दिमाग का इस्तेमाल किया गया। कानून तो एकदम स्पष्ट है और राज्य सरकार कोई फैसला लेते वक्त अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकती।
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