—‘मन की बात’ की 100वीं कड़ी में भावुक हुए प्रधानमंत्री
—एक हजार से अधिक प्लेटफॉर्म पर ब्रॉडकास्ट
— भारत के साथ यूएन और अमेरिका में भी सुना गया एपिसोड
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इंट्रो
प्रधानमंत्री मोदी के मन की बात कार्यक्रम के आज 100 एपिसोड पूरे हो गए। आज का एपिसोड टीवी चैनलों, निजी रेडियो स्टेशनों और सामुदायिक रेडियो सहित एक हजार से अधिक प्लेटफॉर्म पर ब्रॉडकास्ट किया गया। पीएम मोदी के इस कार्यक्रम की ख्याति अमेरिका तक पहुंच गई है। संयुक्त राष्ट्र के न्यूयॉर्क स्थित हेडक्वार्टर पर भी 100वीं मन की बात सुनी गई।
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को आकाशवाणी पर प्रसारित अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ को भारतीयों की भावनाओं की अभिव्यक्ति और उनकी ‘आध्यात्मिक यात्रा’ का विषय करार दिया, जिसने वर्ष 2014 में उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद महसूस किए गए ‘खालीपन’ को भर दिया और यह सुनिश्चित भी किया कि वह कभी भी लोगों से कटे नहीं रहें। ‘मन की बात’ की 100वीं कड़ी प्रधानमंत्री के लिए पुरानी स्मृतियों में खो जाने के अवसर के रूप में आयी और उन्हें याद करते हुए वह भावुक भी हुए। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनके लिए यह महज एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि आस्था, पूजा और व्रत है। अपने विचार साझा करते हुए मोदी ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री बनने के बाद परिस्थितिजन्य विवशता के कारण उनके पास जनता से कट जाने की चुनौती थी, लेकिन ‘मन की बात’ ने इसका समाधान दिया और सामान्य लोगों से जुड़ने का रास्ता दिया। केंद्रीय मंत्रियों सहित भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने विभिन्न स्थानों पर मोदी के संबोधन को सुना। सत्तारूढ़ भाजपा ने 100 वीं कड़ी को सार्वजनिक जुड़ाव में एक बड़ी कवायद बनाने के लिए हर संभव प्रयास किया। भाजपा ने इससे पहले कहा था कि प्रधानमंत्री के प्रसारण को सुनने के लिए लोगों के लिए करीब चार लाख स्थलों पर व्यवस्था की गई है। मोदी ने कहा, मन की बात कोटि-कोटि भारतीयों के ‘मन की बात’ है। यह उनकी भावनाओं का प्रकटीकरण है। ‘मन की बात’ देशवासियों की अच्छाइयों और उनकी सकारात्मकता का एक अनोखा पर्व बन गया है।’ मोदी ने कहा कि यह एक ऐसा पर्व है, जो हर महीने आता है और जिसका सभी इंतजार करते हैं तथा उन्हें यकीन नहीं होता है कि वे इस कार्यक्रम के 100वें पड़ाव पर पहुंच गए हैं। उन्होंने कहा, हम इसमें सकारात्मकता और लोगों की भागीदारी का जश्न मनाते हैं। ‘मन की बात’ जिस विषय से जुड़ा वह जन आंदोलन बन गया और लोगों ने इसे जन आंदोलन बना दिया। इस क्रम में प्रधानमंत्री ने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’, स्वच्छ भारत अभियान, आजादी का अमृत महोत्सव, खादी को लोकप्रिय बनाने और प्रकृति से जुड़े कार्यक्रमों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम की हर कड़ी अपने आप में ‘खास’ रही और हर बार इसमें नए उदाहरणों की नवीनता देखने को मिली और हर बार देशवासियों की नई सफलताओं का इसमें विस्तार हुआ। उन्होंने कहा कि ‘मन की बात’ में पूरे देश के कोने-कोने से हर आयु वर्ग के लोग जुड़े। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम उनके लिए दूसरों के गुणों की पूजा करने की तरह रहा है। मोदी ने कहा कि जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब वहां आम जन से मिलना-जुलना स्वाभाविक रूप से हो ही जाता था, लेकिन जब वह प्रधानमंत्री बने, तो वह जीवन अलग था, क्योंकि काम का स्वरूप अलग था, दायित्व अलग थे और साथ ही परिस्थितियों का बंधन व सुरक्षा का तामझाम भी था। उन्होंने कहा, ऐसे में मैं खाली-खाली सा महसूस करता था। 50 साल पहले मैंने अपना घर इसलिए नहीं छोड़ा था कि एक दिन अपने ही देश के लोगों से संपर्क भी मुश्किल हो जाएगा। जो देशवासी मेरा सब कुछ हैं, मैं उनसे ही कटकर जी नहीं सकता था। ‘मन की बात’ ने मुझे इस चुनौती का समाधान दिया। आम लोगों से जुड़ने का रास्ता दिया। इस कार्यक्रम ने मुझे कभी भी आपसे दूर नहीं होने दिया। मोदी ने कहा, मन की बात ने मुझे लोगों से जुड़ने का जरिया मुहैया कराया। मेरे लिए ‘मन की बात’ एक कार्यक्रम नहीं है, मेरे लिए एक आस्था, पूजा, व्रत है। जैसे लोग, ईश्वर की पूजा करने जाते हैं, तो प्रसाद की थाल लाते हैं। मेरे लिए ‘मन की बात’ ईश्वर रूपी जनता जनार्दन के चरणों में प्रसाद की थाल की तरह है। ‘मन की बात’ मेरे मन की आध्यात्मिक यात्रा बन गया है। प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ को ‘स्व से समष्टि’ और ‘अहम् से वयम्’ की यात्रा बताया और कहा कि यह उनके लिए ‘संस्कार साधना’ है। पुरानी यादों को ताजा करते हुए प्रधानमंत्री भावुक भी हुए और कहा कि इस कार्यक्रम की रिकॉडिंग के दौरान वे जब देशवासियों की कहानियां लोगों को सुनाते तो इस दौरान कई ऐसे अवसर भी आए, जब वह इतने भावुक हो गए कि इस कार्यक्रम को फिर से रिकॉर्ड करना पड़ा। उन्होंने कहा, देशवासी 40-40 साल से निर्जन पहाड़ी और बंजर जमीन पर पेड़ लगा रहे हैं, कितने ही लोग 30-30 साल से जल-संरक्षण के लिए बावड़ियां और तालाब बना रहे हैं, उसकी साफ़-सफाई कर रहे हैं। कोई 25-30 साल से निर्धन बच्चों को पढ़ा रहा है, कोई गरीबों के इलाज में मदद कर रहा है। कितनी ही बार ‘मन की बात’ में इनका जिक्र करते हुए मैं भावुक हो गया। आकाशवाणी के साथियों को कितनी ही बार इसे फिर से रिकॉर्ड करना पड़ा है। उन्होंने कहा कि देशवासियों के इन प्रयासों ने उन्हें लगातार खुद को खपाने की प्रेरणा दी है। इस दौरान प्रधानमंत्री ने हरियाणा के भाई सुनील जगलान से बात की और ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान का उल्लेख करते हुए कहा कि जीवन में बेटी का स्थान कितना बड़ा होता है, इस अभियान से यह भी प्रकट हुआ। उन्होंने कहा, ‘मन की बात’ में हमने ऐसे कितने ही लोगों के प्रयासों को रेखांकित किया है, जो नि:स्वार्थ भाव से काम कर रहे हैं। मुंबई में अमित शाह, दिल्ली में राजनाथ सिंह और कर्नाटक में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने लोगों के साथ इस कार्यक्रम के प्रसारण को सुना। पार्टी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और राज्यपालों ने कार्यक्रम के दौरान अपने आधिकारिक आवासों पर प्रतिष्ठित नागरिकों के साथ इसमें हिस्सा लिया।
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हर महीने का आखिरी रविवार
प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने तीन अक्टूबर 2014 को ‘मन की बात’ कार्यक्रम की शुरुआत की थी। इसके माध्यम से वह हर महीने के आखिरी रविवार को विभिन्न मुद्दों पर लोगों के साथ अपने विचार साझा करते हैं। ‘मन की बात’ के लिए श्रोताओं से राष्ट्रीय महत्व से जुड़े मुद्दों पर सुझाव और विचार भी आमंत्रित किए जाते हैं। कार्यक्रम की 100वीं कड़ी से पहले प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा कि ‘मन की बात’ कार्यक्रम उनके लिए ‘एक विशेष यात्रा’ रहा है।
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ऐसा लगा ‘शतक’
3 अक्टूबर 2014 शुरुआत
30 अक्टूबर 2016 को 25वीं बात
30 दिसंबर 2018 को अर्धशतक
30 अप्रैल 2023 को 100 एपिसोड पूरे
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केंद्रीय मंत्रियों, भाजपा नेताओं बताया प्रेरक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ की ‘ऐतिहासिक’ 100वीं कड़ी को सुनने के लिए केंद्रीय मंत्रियों सहित भाजपा के नेता रविवार को देश और विदेश के विभिन्न स्थानों पर पहुंचे। आकाशवाणी के इस मासिक रेडियो कार्यक्रम को जनता से जुड़ने की प्रधानमंत्री की एक ‘प्रेरणादायक’ पहल बताया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुंबई में भाजपा सदस्यों और अन्य लोगों के साथ कार्यक्रम सुनने के बाद कहा कि ‘मन की बात’ के माध्यम से मोदी ऐसे संदेश देते हैं जो देश के कोने-कोने में जाते हैं। इससे लोगों और सरकार के बीच सेतु का निर्माण होता है। उन्होंने कहा कि मासिक रेडियो कार्यक्रम ने रविवार को अपनी 100वीं कड़ी पूरी कर ली है और इसने प्रभावशाली नेतृत्व के कई शानदार उदाहरण पेश किए हैं।
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परदेश में भी पहुंची मन की बात
विदेश मंत्री एस जयशंकर ‘मन की बात’ के 100वें एपिसोड को सुनने के लिए अमेरिका के न्यूजर्सी में प्रवासी भारतीयों के साथ शामिल हुए।
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न्यूयार्क में मन की बात
भारतीय मूल के नेताओं ने पेश किया संकल्प पत्र
न्यूयॉर्क की सीनेट और असेंबली में 26 अप्रैल 2023 को मन की बात कार्यक्रम के सम्मान संकल्प पत्र जारी किया गया। यह संकल्प पत्र मन की बात कार्यक्रम के 100 एपिसोड पूरे होने के उपलब्ध में जारी किया गया। भारतीय अमेरिकी सीनेटर केविन थॉमस और भारतीय अमेरिकी असेंबली वुमन जेनिफर राजकुमार ने पेश किया। वहीं न्यूजर्सी जनरल असेंबली में यह संकल्प पत्र भारतीय मूल के राज मुखर्जी और एडिसन के मेयर साम जोशी ने पेश किया।
यह भी बोले पीएम
00 मन की बात एक अनोखा पर्व बन गया
00 ओबामा के साथ मन की बात की तो दुनिया में इसकी चर्चा होने लगी
00 देशवासी से कटकर नहीं रह सकता
00 मन की बात से खड़े हुए जन आंदोलन
00 पर्यावरण को लेकर मन की बात का प्रयास भी जारी
00 2030 तक हम हर जगह अच्छी शिक्षा पहुंचाना चाहते हैं
00 कल्चरल प्रिजर्वेशन के प्रयासों को भी जगह दी
00 मन की बात ईश्वर रूपी जनता के चरणों में प्रसाद की थाल जैसे
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इधर, कांग्रेस का तंज, कहा- मौन की बात
कांग्रेस ने ‘मन की बात’ को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष करते हुए इसे मौन की बात कहा। कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया था, आज ‘फेंकूमास्टर’ स्पेशल है। ‘मन की बात’ की 100वीं ‘कड़ी’ को लेकर खूब हो-हल्ला हो रहा है। लेकिन यह चीन, अडाणी, बढ़ी आर्थिक असमानता, जरूरत की चीजों की बढ़ती कीमतों, जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमले, महिला पहलवानों का अपमान, किसान संगठनों से वादा खिलाफी, कर्नाटक जैसे राज्यों में तथाकथित डबल इंजन की सरकार में भ्रष्टाचार, भाजपा के साथ ठगों के करीबी संबंध जैसे विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर यह ‘मौन की बात’ है। रमेश ने लिखा, आईआईएम रोहतक ने ‘मन की बात’ के प्रभाव पर मनगढ़ंत अध्ययन किया है, जबकि उसके निदेशक की शिक्षा पर शिक्षा मंत्रालय ने ही सवालिया निशान लगाए हैं। कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से भी मोदी पर तंज कसा और आरोप लगाया कि वह चीन की आक्रमकता, बेरोजगारी, कीमतों में वृद्धि (महंगाई), गौतम अडाणी के कारोबार और महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं।
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