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—-दिल्ली में पहलवानों का दंगल जारी, समर्थन में जुटे कई संगठन
—पूर्व राज्यपाल मलिक भी पहुंचे, साधा निशाना
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दिल्ली में पहलवानों का धरना जारी है। इस बीच, बुधवार को प्रदर्शनकारी पहलवानों ने पीएम मोदी से पूछा कि आप हमारे मन की बात क्यों नहीं सुन रहे हैं? उन्होंने बृजभूषण शरण सिंह पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों पर चर्चा के लिए पीएम से समय मांगा। इधर, 1430 गांव की खाप पंचायतों ने पहलवानों को समर्थन दिया है। बुधवार को विभिन्न किसान संगठन, खाप नेता, राजनेता और महिला संगठन धरनास्थल पर पहुंचे।
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नई दिल्ली। देश के शीर्ष पहलवानों ने गंभीर आरोपों की जांच के लिए निगरानी समिति के गठन के बाद अपना धरना समाप्त करने के तीन महीने बाद रविवार को कुश्ती महासंघ के प्रमुख के खिलाफ अपना विरोध फिर से शुरू कर दिया। खेल मंत्रालय ने छह सदस्यीय निगरानी पैनल के निष्कर्षों को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया है, जिसने पांच अप्रैल को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। पहलवानों ने बुधवार को कहा कि था कि वे हैरान हैं कि जब वे पदक जीतते हैं तो प्रधानमंत्री मोदी उनका सम्मान करते हैं और उनके साथ तस्वीरें खिंचवाते हैं लेकिन अब जब वे न्याय मांग रहे हैं तो उन्होंने उनकी दुर्दशा पर आंखें मूंद ली हैं। रियो ओलंपिक खेलों की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक ने मीडिया से कहा, प्रधानमंत्री मोदी जी ‘बेटी बचाओ’ और ‘बेटी पढ़ाओ’ के बारे में बात करते हैं और सबके ‘मन की बात’ सुनते हैं। क्या वे हमारे ‘मन की बात’ नहीं सुन सकते? जब हम पदक जीतते हैं तो वह हमें अपने घर आमंत्रित करते हैं और हमें बहुत सम्मान देते हैं और हमें अपनी बेटियां कहते हैं। आज हम उनसे अपील करते हैं कि वह हमारे ‘मन की बात’ सुनें।
गौरतलब है कि साक्षी ने प्रधानमंत्री के लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के साथ तुलना की जिसके 100 कार्यक्रम पूरे हो रहे हैं। इस उपलब्धि को चिह्नित करने के लिए सरकार द्वारा कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। साक्षी ने कहा, मैं स्मृति ईरानी (केंद्रीय मंत्री) से पूछना चाहती हूं कि वह अब चुप क्यों हैं? चार दिन हो गए हैं, हम सड़क पर सो रहे हैं, मच्छरों के काटने को सह रहे हैं। हमें (दिल्ली पुलिस द्वारा) भोजन बनाने और ट्रेनिंग करने की अनुमति नहीं दी जा रही है, आप चुप क्यों हैं? मैं सिर्फ इतना कहना चाहती हूं कि आप यहां आओ, हमारी बात सुनो और हमारा समर्थन करो। साक्षी को लगता है कि शायद उनकी बात प्रधानमंत्री तक नहीं पहुंच रही है। उन्होंने कहा, शायद हमारी सच्चाई उन तक नहीं पहुंच रही है इसलिए हम उनसे मिलना चाहते हैं और उन्हें हमारे मुद्दों से अवगत कराना चाहते हैं। विश्व चैंपियनशिप पदक विजेता विनेश फोगाट ने कहा, हमारे पास संबंधित लोगों के टेलीफोन नंबर तक नहीं हैं जिससे कि हम उन तक पहुंच सकें इसलिए हम मीडिया के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी से मुद्दों को उठाने की अपील कर रहे हैं। शायद तब वह हमारी पुकार सुनें। हमारी आत्मा लगभग मर चुकी है, शायद वह देख लें। विनेश ने यह भी कहा कि वे शाम को ‘कैंडल मार्च’ (मोमबत्ती जलाकर यात्रा) निकालेंगे। उन्होंने कहा, शायद अधिकारियों को नहीं दिख रहा है इसलिए हम कुछ रोशनी देने के लिए कैंडल मार्च निकालेंगे। शायद वे देख सकें कि भारत की बेटियां जो सिर्फ पहलवान नहीं हैं, बल्कि कई महिलाओं की भावनाओं का प्रतिनिधित्व करती हैं, सड़कों पर हैं।
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धरनास्थल पर पहुंचे पूर्व राज्यपाल मलिक
जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक भी धरना स्थल पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि यह शर्मनाक है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कामयाबी पाने के लिये सम्मानित खिलाड़ियों को न्याय की लड़ाई सड़कों पर लड़नी पड़ रही है। मलिक ने कहा, जब हमारी बेटियां पदक जीतती हैं और तिरंगा लहराती हैं तो उस समय हम बेशर्मों की तरह उन्हें चाय पर बुलाते हैं और उनके साथ तस्वीरें खींचते हैं लेकिन आज वे सड़कों पर हैं। हमें शर्म से डूब मरना चाहिए। उन्होंने कहा, मैं आप सभी से उनका साथ देने की अपील करता हूं। यहां अधिक से अधिक लोगों को जुटना चाहिए।
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क्या है आरोप
देश के शीर्ष पहलवानों ने भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग करते हुए रविवार को जंतर मंतर पर धरना फिर शुरू किया। बृजभूषण पर उन्होंने महिला पहलवानों को धमकाने और यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं।
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पूनिया ने कहा- डराने की कोशिश
टोक्यो खेलों के कांस्य पदक विजेता बजरंग पूनिया ने भी प्रधानमंत्री से गुहार लगाई। उन्होंने यह भी कहा कि डब्ल्यूएफआई प्रमुख के लोगों द्वारा उन्हें डराने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा, ये भारत की बेटियां आपसे अपील कर रही हैं, कृपया इनके साथ न्याय करें। बजरंग ने कहा, अभ्यास के लिए हम कुश्ती मैट लाए थे लेकिन हमें अनुमति नहीं दी गई, यहां तक कि हम यहां अपना खाना भी नहीं बना सकते क्योंकि अनुमति नहीं है। अब क्या हमें सांस लेने के लिए भी अनुमति लेनी होगी।
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सबसे बड़ी खाप पहलवानों के साथ
सर्वखाप के प्रवक्ता जगबीर मलिक ने कहा कि हमें लगा था इंटरनेशनल और नेशनल लेवल की कमेटी बन रही है। सही जांच होगी, लेकिन कुछ नहीं हुआ तो पहलवान फिर धरने पर आ गए। अब इस लड़ाई में हम उनके साथ हैं। ये देश की सबसे बड़ी खाप पंचायत है। इसमें हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के 1430 गांव आते हैं। जनवरी में भी पहलवानों ने जंतर-मंतर पर धरना दिया था। तब खाप पंचायतें इससे दूर रही थीं।
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सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली पुलिस…
एफआईआर से पहले जांच जरूरी
दिल्ली पुलिस ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ सात महिला पहलवानों द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों पर प्राथमिकी दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच की जरूरत है। प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा की पीठ को दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि अगर शीर्ष अदालत को लगता है कि सीधे प्राथमिकी दर्ज की जानी है तो ऐसा किया जा सकता है। मेहता ने कहा, प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि प्राथमिकी दर्ज किए जाने से पहले प्रारंभिक जांच किए जाने की जरूरत है। मेहता ने कहा कि ऐसी धारणा कायम न होने दें कि अदालत के कहने के बावजूद प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई। पीठ ने मेहता की दलीलों का संज्ञान लिया और कहा कि दिल्ली पुलिस 28 अप्रैल को पहलवानों की याचिका पर सुनवाई के दौरान प्राथमिकी दर्ज करने को लेकर अपने विचार रख सकती है।
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