सुप्रीम कोर्ट से मांगी सॉलीसिटर जनरल नेएक और तारीख तो भड़के जज
नई दिल्ली। कर्नाटक के मुस्लिमों को ओबीसी कोटे में मिल रहे आरक्षण को खत्म करने के मामले में सॉलीसिटर जनरल ने एक और तारीख देने के लिए दरखास्त की तो सुप्रीम कोर्ट का पारा चढ़ गया। जजों ने कहा कि हम तारीख तो दे देते हैं। लेकिन पहले आप लिखित में दो कि आरक्षण को खत्म करने वाला बोम्मई सरकार का फैसला अगली सुनवाई तक लंबित रहेगा। तुषार मेहता ने कहा कि वो आदेश पहले ही रोक दिया गया है। जजों ने कहा कि नहीं आप लिखित आश्वासन दो। हम उसे कोर्ट के रिकार्ड में लगाएंगे। मेहता ने जब कोर्ट के कहे मुताबिक किया तो उन्हें अगली तारीख मिली। ध्यान रहे कि कर्नाटक के मुस्लिमों को ओबीसी कोटे में चार फीसदी का आरक्षण मिलता था। लेकिन बोम्मई सरकार ने इस पर कैंची चला दी। सरकार ने ये आदेश कर्नाटक हाईकोर्ट के एक फैसले को आधार बनाकर जारी किया था।
चुनाव तक सुनवाई टालने की कोशिश
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरथ्ना की बेंच इस मामले में उस याचिका पर सुनवाई कर रही है। इससे पहले अप्रैल में मामले की सुनवाई हुई थी। तब तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वस्त किया था कि सरकार के नए आदेश के मुताबिक कर्नाटक में कोई भी दाखिला और नियुक्ति नहीं होगी। मामले की सुनवाई आज फिर से होनी थी। लेकिन तुषार मेहता बोले कि उन्हें संवैधानिक बेंच के सामने पेश होना है। लिहाजा एक और तारीख दी जाए। हालांकि मेहता का ये रवैया दूसरे पक्ष की पैरवी कर रहे सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे को रास नहीं आया। तल्ख लहजे में उनका कहना था कि कर्नाटक में चुनाव होने हैं। ये मामले की सुनवाई चुनाव तक टालना चाहते हैं। ये अब तक चार बार सुनवाई को टलवा चुके हैं। ये बार बार इसी काम के लिए कोर्ट में आते हैं। दवे का कहना था कि एक बार मामले की सुनवाई और टली तो गर्मी की छुट्टियां शुरू हो जाएंगी। मामला मुस्लिम समुदाय के लोगों के हित से जुड़ा है। उन्हें मिल रहा आरक्षण सरकार ने खत्म कर दिया है। मेहता का कहना था कि उन्होंने चार नहीं दो तारीख ली हैं।
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