आईएएस की हत्या के दोषी बाहुबली आनंद समेत 27 की रिहाई, उठे सवाल

—-बिहार की जेलों में 14 साल से अधिक समय बिताने के बाद आनंद मोहन सहित 27 कैदी होंगे रिहा

— मायावती के किया कटाक्ष, भाजपा ने भी राज्य सरकार पर साधा निशाना

आईएएस अधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहन, राज्य की विभिन्न जेलों में 14 वर्ष से अधिक समय से बंद 26 अन्य कैदियों के साथ रिहा किया जाएगा। बिहार सरकार के इस फैसले पर सियासत गरमा गई है। नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने नीतीश सरकार के फैसले पर सवाल उठाए हैं, वहीं बसपा नेता मायावती ने कहा कि सरकार के इस फैसले से दलितों को दुख हुआ है।

पटना। बिहार सरकार ने रिहाई के संबंध में जब अधिसूचना जारी की, जब आनंद मोहन अपने बेटे चेतन आनंद की सगाई के कार्यक्रम में थे, जो राज्य में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनता दल के विधायक हैं। तेलंगाना में जन्मे आईएएस अधिकारी कृष्णैया दलित समुदाय से थे। वह बिहार में गोपालगंज के जिलाधिकारी थे और 1994 में जब मुजफ्फरपुर जिले से गुजर रहे थे तभी भीड़ ने पीट-पीट कर उनकी हत्या कर दी थी। हत्या की घटना के वक्त आनंद मोहन मौके पर मौजूद थे, जहां वह दुर्दांत गैंगस्टर छोटन शुक्ला की शवयात्रा में शामिल हो रहे थे। शुक्ला की मुजफ्फरपुर शहर में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। पूर्व सांसद की कथित तौर पर रिहाई का मार्ग प्रशस्त करने के लिए नियमों में बदलाव किये जाने को लेकर मायावती के बिफरने के बाद भाजपा के आईटी प्रकोष्ठ के प्रमुख अमित मालवीय की भी मिलती-जुलती प्रतिक्रिया देखने को मिली। जनता दल (यू) अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, पहले अपनी ‘बी’ टीम (बसपा प्रमुख की ओर परोक्ष रूप से इशारा) को लगाने के बाद भाजपा आनंद मोहन की रिहाई के मुद्दे पर अब खुल कर सामने आ गई है। ललन ने कहा, आनंद मोहन ने जेल की अपनी सजा काट ली है और नीतीश कुमार सरकार ने एक भेदभावपूर्ण प्रावधान हटा दिया है, जिसने कुछ कैदियों की रिहाई रोकी थी। यह, किसी बेकसूर को नहीं फंसाने और किसी दोषी को नहीं बख्शने की हमारे नेता की नीति के अनुरूप है। इस बीच, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी लेनिनवादी) लिबरेशन के विधायक महानंद सिंह ने उन लोगों को यह आम माफी देने की मांग की है जिनके खिलाफ 1990 के दशक में आतंकवादी एवं विध्वंसकारी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (टाडा) के तहत मामला दर्ज किया गया था, जब राज्य में नक्सली सिर उठा रहे थे। सिंह की पार्टी महागठबंधन सरकार को बाहर से समर्थन दे रही है। राज्य विधानसभा में अरवल का प्रतिनिधित्व कर रहे सिंह ने कहा, अकेले अरवल में, छह लोग 20 वर्षों से अधिक समय से जेल में हैं। वे राजनीतिक कार्यकर्ता थे। एक व्यक्ति को पहले ही रिहा किया जा चुका है, जिसपर टाडा के तहत मामला दर्ज था। सरकार को जेल में कैद अन्य लोगों के लिए भी ऐसा ही करने का विचार करना चाहिए। इसके लिए नियमों में संशोधन की जरूरत नहीं पड़ेगी। उन्होंने कहा, मैंने इस संबंध में 20 अप्रैल को मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन सौंपा था।

जेल मैन्युअल संशोधन का लाभ मिला

बिहार सरकार ने 10 अप्रैल 2023 को बिहार कारा हस्तक, 2012 के नियम-481(i) (क) में संशोधन करके उस वाक्यांश को हटा दिया। इसमें सरकारी सेवक की हत्या को शामिल किया गया था। इस संशोधन के बाद अब ड्यूटी पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या अपवाद की श्रेणी में नहीं गिनी जाएगी, बल्कि यह एक साधारण हत्या मानी जाएगी। इस संशोधन के बाद आनंद मोहन के परिहार की प्रक्रिया आसान हो गई, क्योंकि सरकारी अफसर की हत्या के मामले में ही आनंद मोहन को सजा हुई थी।

दो पूर्व विधायकों की भी रिहाई

आनंद मोहन के अलावा, जिन अन्य लोगों की रिहाई का आदेश दिया गया है उनमें राजद के पूर्व विधायक राज वल्लभ यादव, जद(यू) के पूर्व विधायक अवधेश मंडल शामिल हैं। यादव को एक नाबालिग लड़की से बलात्कार के मामले में दोषी ठहराया गया है, जबकि मंडल कई आपराधिक मामलों में नामजद है। मंडल की पत्नी बीमा भारती एक पूर्व मंत्री हैं।

आनंद बोले-बिलकिस गैंगरेप के दोषियों को भी छोड़ा गया था

आनंद मोहन अभी पैरोल पर जेल से बाहर हैं। उन्होंने संवाददाताओं से बात करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का आभार जताया। उन्होंने कहा कि गुजरात में हुए बिलकिस बानो गैंगरेप के दोषियों को भी छोड़ा गया था। रिहाई का आदेश मिलने के बाद यूपी की पूर्व सीएम मायावती ने कहा- सरकार के इस फैसले से दलितों को दुख हुआ है। इस पर आनंद मोहन ने कहा- मैं मायावती को नहीं जानता, मैं सिर्फ भगवान सत्यनारायण की कथा वाली कलावती को जानता हूं।

आईएएस अफसर की हत्या के दोषी

गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया की 4 दिसंबर 1994 को मुजफ्फरपुर में हत्या हुई थी। इस हत्याकांड में आनंद मोहन को अक्टूबर 2007 में उम्रकैद की सजा हुई थी। तब से वे जेल में हैं। जेल मैन्युअल के मुताबिक, उन्हें 14 साल की सजा पूरी करने के बाद परिहार मिल सकता था, लेकिन 2007 में जेल मैन्युअल में एक बदलाव की वजह से वे बाहर नहीं आ पा रहे थे।


विपक्ष बोला- बाहर आकर फैलाएंगे गुंडाराज

पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई पर बिहार में सियासत शुरू हो गई है। नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने नीतीश सरकार से सवाल पूछा कि 2016 में सरकार ने क्या संशोधन किया था। कहा था- किसी को नहीं छोड़ा जाएगा। आज क्या मजबूरी है। आनंद मोहन को वही लोग फंसाने वाले हैं। आज वो क्यों अपराधी को छोड़ रहे हैं। वे बताएं कि किसके दबाव में यह खेल रहे हैं। अपराधी बाहर आएंगे और गुंडाराज फैलाएंगे। ये गुंडे बाहर आएंगे तो क्या करेंगे। थाने में जाकर हाजिरी लगाएंगे?

मृतक आईएएस की पत्नी का छलका दर्द…

आईएएस जी.कृष्णैया की पत्नी टी. उमा देवी ने आनंद मोहन की रिहाई पर अफसोस जताया है। उन्होंने, पूर्व सांसद आनंद मोहन को बिहार जेल नियमों में हुए बदलाव के तहत रिहा करने के संबंध में कहा कि ईमानदार अधिकारी को मारने वाला छूट गया। उन्हों इसे अन्याय बताया है साथ ही कहा कि सरकार ने बहुत गलत फैसला लिया है। आईएएस कृष्णैया की पत्नी ने कहा कि एक ईमानदार अफसर की हत्या करने वाले को छोड़ा जा रहा है, इससे हम समझते हैं कि न्याय व्यवस्था क्या है? उन्होंने कहा कि राजपूत समुदाय सहित अन्य समुदायों में भी इस रिहाई का विरोध होना चाहिए। उसे रिहा नहीं किया जाना चाहिए, उसे दंडित किया जाना चाहिए और मौत की सजा दी जानी चाहिए। उमा देवी ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से इस मामले में हस्तक्षेप करने और इसे रोकने का अनुरोध करती हूं।

00

प्रातिक्रिया दे