चंडीगढ़। खालिस्तान समर्थक, वारिस पंजाब दे के प्रमुख भगोड़े अमृतपाल सिंह को पंजाब पुलिस ने जरनैल सिंह भिंडरावाले के गांव माेगा से गिरफ्तार कर लिया। बताया गया कि गिरफ्तारी से कुछ घंटे पहले अमृतपाल ने आज सुबह मोगा में रोडेवाल गुरुद्वारे में श्रद्धालुओं को संबोधित किया। पुलिस ने उस पर एनएसए के तहत कार्रवाई कर असम की डिब्रूगढ़ जेल में भेज दिया जहां उसके साथी पहले से बंद हैं। वहीं अमृतपाल ने कहा कि उस पर झूठे केस दर्ज किए गए हैं।
अमृतपाल की गिरफ्तारी के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि पंजाब में किसी भी प्रकार अफवाह फैलाने या शांति भंग करने का प्रयास करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। पंजाब पुलिस ने अमृतपाल को रविवार सुबह करीब छह बजकर 45 मिनट पर रोडे गांव से गिरफ्तार कर लिया। अपने संबोधन में उसने कहा कि उनके ऊपर झूठे केस दर्ज किए गए। इसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर भी डाला गया है।
अजनाला थाने पर हमला कर हुआ फरार
ज्ञात हो कि अमृतपाल के समर्थकों द्वारा 23 फरवरी को अमृतसर में अजनाला पुलिस स्टेशन पर धावा बोलने के लगभग तीन सप्ताह बाद यह कार्रवाई हुई, जिसमें उनके एक सहयोगी लवप्रीत तूफान की रिहाई की मांग की गई थी। ज्ञात हो कि थाने में हमला करने के बाद अमृतपाल 18 मार्च से फरार था। अमृतपाल को गिरफ्तारी के बाद विशेष विमान से रविवार को असम के डिब्रूगढ़ हवाई अड्डे तथा वहां से जेल ले जाया गया। अमृतपाल को असम ले जाने के पीछे कई कारण हैं।
पांच ककार पहनकर गुरुद्वारे से दिया प्रवचन
खबरों के मुताबिक़, जरनैल सिंह भिंडरांवाले भी रोडे गांव के रहने वाले थे. अमृतपाल सिंह को इसी गांव में ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन का मुखिया बनाया गया था। रविंदर सिंह बताते हैं कि गिरफ़्तारी से पहले अमृतपाल सिंह ने गुरुद्वारे के ग्रंथी से पांच ककार (केश, कृपाण, कंघा, कड़ा और कच्छा) लेकर पहने और लोगों को संबोधित किया।
पुलिस ने बताया गिरफ्तारी का घटनाक्रम
पंजाब पुलिस के महानिरीक्षक सुखचैन सिंह गिल ने प्रेस कॉन्फ्रेन्स कर कहा कि अमृतपाल सिंह को रविवार की सुबह क़रीब 6.45 बजे गिरफ़्तार किया गया। पुलिस ने रोडे गांव को पूरी तरह से घेर लिया था, उस वक्त अमृतपाल सिंह गुरुद्वारा साहिब के भीतर था। गिल ने कहा गुरुद्वारा साहिब की इज्ज़त सबसे ऊपर है इसलिए पुलिस अंदर नहीं गई। बाहर से अमृतपाल के लिए संदेश भेजा गया कि वो चारों तरफ से घिरा हुआ है उसके पास बचने का कोई रास्ता नहीं है। पुलिस की घेराबंदी देख अमृतपाल बाहर निकला जिसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
स्पेशल चॉपर से भेजा गया असम
अमृतपाल को बठिंडा से एयरलिफ्ट किया गया है। केंद्र सरकार ने बठिंडा एयरफोर्स स्टेशन से पुलिस को एक स्पेशल चॉपर मुहैया करवाया है, जिससे उसे जेल ले जाया गया। डिब्रूगढ़ जेल में अमृतपाल के करीबी दिलजीत सिंह कलसी, भगवंत सिंह, गुरमीत सिंह और बजेका बंद हैं।
सिखों की भावनाएं भड़का रहा अमृतपाल
अमृतपाल को असम ले जाने के पीछे कई कारण है। अमृतपाल पंजाब में सिखों की भावनाओं को भड़काने की कोशिश कर सकता है। इसके अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने पंजाब पुलिस को जेल ब्रेकआउट का इनपुट दिया है इसी के आधार पर उसके सहयोगी को पंजाब से असम शिफ्ट कर दिया गया है। अब सभी एक ही जगह पर हैं, जहां जांच एजेंसियों और पुलिस को पूछताछ करने में मिलेगी।
देश की सबसे सुरक्षित जेलों में से एक
डिब्रूगढ़ जेल नॉर्थईस्ट की सबसे पुरानी जेलों में से एक है। 1860 में इसका निर्माण हुआ था। इस जेल में अलगाववादी संगठनों जैसे उल्फा के कई नेता कैद रहे हैं। स्थानीय पुलिस ने कई बार यह दावा किया है कि डिब्रूगढ़ जेल की गिनती राज्य की सबसे सुरक्षित जेलों में की जाती है। शहर के बीचों-बीच बनी यह जेल 76,203.19 वर्ग मीटर में फैली हुई है।
पंजाब-दिल्ली जेलों में बंद गैंगस्टर से खतरा
दिल्ली और पड़ोसी राज्यों की जेलों में पहले से पंजाब के कई गैंगस्टर और अलगाववादी हैं ऐसे में वहां अमृतपाल की सुरक्षा करना काफी कठिन हो जाता। इसलिए पंजाब सरकार ने अमृतपाल और उसके सहयोगियों को डिब्रूगढ़ जेल भेजा ताकि उन पर किसी प्रकार का कोई हमला न हो। एक वजह यह भी बताई गई है असम में ऐसे समर्थक नहीं हैं, इसलिए इन्हें वहां रखना सुरक्षित विकल्प है।
अमृत व समर्थकों पर कई मामले दर्ज
अमृतपाल तथा उसके साथियों पर विभिन्न वर्गों के बीच वैमनस्य पैदा करने, हत्या का प्रयास करने, पुलिसकर्मियों पर हमला करने और लोक सेवकों के काम में बाधा पैदा करने से जुड़े कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। अमृतपाल के खिलाफ रासुका की कार्रवाई की गई है। पुलिस अभी उन लोगों काे भी तलाश रही है जिन्होंने अमृतपाल का फरारी के दौरान मदद दी थी।
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