- इसरो का एक और कमाल,
नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो ने एक और कामयाबी अपने नाम दर्ज की है। भारत की स्पेस एजेंसी ने शनिवार को सिंगापुर की दो सैटेलाइट को पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया। इसरो ने यह जानकारी दी। इसने कहा कि सिंगापुर की दो सैटेलाइट को लेकर पीएसएलवी सी55 रॉकेट ने शनिवार को अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी। इस मिशन को न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) के जरिए पूरा किया गया है। न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की कॉमर्शियल ब्रांच है। इसरो ने कहा कि पीएसएलवी C55 रॉकेट प्राइमरी सैटेलाइट के रूप में ‘टेलीओएस-2’ और सह-यात्री सैटेलाइट के रूप में ‘ल्यूमलाइट-4’ को लेकर रवाना हुआ था। इसने दोनों ही सैटेलाइट को पृथ्वी की निचली कक्षा में सफलतापूर्वक स्थपित कर दिया। पीएसएलवी यानी पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो द्वारा डिजाइन किया गया एक बेहद सफल लॉन्च वाहन है। इसके जरिए सिंगापुर के दो सैटेलाइट का प्रक्षेपण करने के लिए शुक्रवार को यहां सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में 22.5 घंटे की उलटी गिनती शुरू हुई थी। मिशन के तहत चेन्नई से लगभग 135 किलोमीटर दूर स्थित अंतरिक्ष केंद्र से 44.4 मीटर लंबा रॉकेट दोनों सैटेलाइट को लेकर प्रथम लॉन्च पैड से रवाना हुआ और बाद में इसने दोनों सैटेलाइट को इच्छित कक्षा में स्थापित कर दिया।
खास है यह मिशन
सिंगापुर के लिए दोनों सैटेलाइट बेहद खास हैं। जानकारी के मुताबिक, इन सैटेलाइट का उद्देश्य सिंगापुर के ई-नेविगेशन, समुद्री सुरक्षा को बढ़ाना और वैश्विक शिपिंग समुदाय को लाभ पहुंचाना है। दोनों सैटेलाइट का संयुक्त वजन लगभग 757 किलोग्राम है। TeLEOS-2 सैटेलाइट को DSTA (सिंगापुर सरकार की कंपनी) और ST इंजीनियरिंग के बीच एक साझेदारी के तहत तैयार किया गया है। सिंगापुर अपनी इस सैटेलाइट के जरिए हॉटस्पॉट निगरानी और धुंध प्रबंधन, हवाई दुर्घटना के दौरान खोज और बचाव कार्यों आदि के लिए कर सकता है। यह हर मौसम में दिन और रात कवरेज प्रदान करेगा।
पीएसएलवी सी55 की खासियत
इसरो के मुताबिक, पीएसएलवी-सी55 सिंगापुर की सैटेलाइट को स्पेस में भेजने के लिए न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) द्वारा तैयार किया गया एक समर्पित कॉमर्शियल पीएसएलवी मिशन है। वैसे ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण वाहन (पीएसएलवी) अपने आप में बेहद खास है। इसको द्वारा डिजाइन इस व्हीकल को रिमोट ऑपरेशन, नेविगेशन, कम्युनिकेशन और बड़े अंतरिक्ष मिशन के लिए सफलतापूर्वक तैनात किया गया है। इस व्हीकल ने अंतरराष्ट्रीय बाजारों में काफी तारीफ बटोरी है। क्योंकि इसके जरिए दुनिया भर के सैकड़ों सैटेलाइट को इसरो ने अंतरिक्ष में भेजा है।
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