सीजेआई चंद्रचूड़ ने की कानूनी पेशे में महिलाओं की सहभागिता की वकालत

-कहा- समान अवसर पैदा करने होंगे

मदुरै। भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने एक बार फिर कानूनी पेशे में महिलाओं की सहभागिता बढ़ाने की वकालत की है। शनिवार को मदुरै में एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कानूनी पेशे में महिलाओं और पुरुषों के अनुपात को “निराशाजनक” बताया। इस दौरान महिलाओं के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि देश में प्रतिभाशाली महिला वकीलों की कोई कमी नहीं है। वह यहां जिला अदालत परिसर में अतिरिक्त न्यायालय भवनों के शिलान्यास समारोह और जिला एवं सत्र न्यायालय और मयिलादुत्रयी में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत के उद्घाटन के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि युवा महिला अधिवक्ताओं की भर्ती के बारे में चैंबर्स को संदेह है। इसका कारण युवा प्रतिभाशाली महिलाओं की कमी नहीं है। बल्कि यह हमारी रूढ़िवादिता का परिणाम है जो हम महिलाओं के प्रति रखते हैं। उन्होंने कहा कि सबसे पहले भर्ती कक्षों का मानना है कि महिलाएं पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण काम पर लंबे समय तक काम करने में असमर्थ होंगी। हम सभी को सबसे पहले यह समझना चाहिए कि बच्चे पैदा करना और बच्चों की देखभाल करना एक विकल्प है और महिलाओं को यह ज़िम्मेदारी उठाने के लिए दंडित नहीं किया जाना चाहिए। कानूनी पेशे में महिला-से-पुरुष अनुपात का हवाला देते हुए न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि आंकड़े बताते हैं कि कानूनी पेशे में आने के लिए तमिलनाडु में 50,000 पुरुष नामांकन के अनुपात में केवल 5,000 महिला नामांकन हैं। उन्होंने कहा कि कानूनी पेशा महिलाओं के लिए समान अवसर प्रदाता नहीं है। ये आंकड़े केवल तमिलनाडु में नहीं हैं, बल्कि ऐसे आंकड़े पूरे देश में समान हैं।

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