अनुलोम-विलोम प्राणायाम करने के हैं बहुत लाभ, खून साफ होता, शरीर में आता हल्का पन

शरीर के बेहतर स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए प्राणायाम का नियमित अभ्यास करना सबसे आसान और बेहतर विकल्प माना जाता है। प्राणायाम मन और शरीर, दोनों को स्वस्थ रखने के साथ आपको कई तरह की गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम से सुरक्षित रखने में सहायक हो सकते हैं। रोजाना दिन में प्राणायाम का थोड़े समय के लिए अभ्यास भी आपकी सेहत को गजब का बूस्ट दे सकता है, इसमें भी अनुलोम-विलोम के अभ्यास को बेहद फायदेमंद माना जाता है।

अनुलोम-विलोम प्राणायाम दोनों नासिक से क्रमवार सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया है, जिसे शोध में कई तरह की गंभीर बीमारियों के इलाज में कारगर पाया गया है। मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं जैसे तनाव, अवसाद और चिंता विकार के लक्षणों को कम करने के साथ हृदय, फेफड़े और शरीर के अन्य अंगों को स्वस्थ रखने में भी रोजाना इस प्राणायाम के अभ्यास के लाभ देखे गए हैं। आइए जानते हैं कि अनुलोम-विलोम प्राणायाम का अभ्यास किस तरह से आपकी सेहत के लिए फायदेमंद हो सकता है?

अनुलोम-विलोम प्राणायाम कैसे किया जाता है?

प्राणायाम के अभ्यास काफी आसान और प्रभावी माने जाते हैं, पर अगर आप अभी इसकी शुरुआत करने जा रहे हैं तो सही विधि के बारे में किसी विशेषज्ञ से सहायता जरूर ले लें। सांस लेने का यह अभ्यास कुछ ही समय में आपके शरीर में सकारात्मक परिवर्तन लाने में सहायक हो सकता है।

अनुलोम-विलोम का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले ध्यानपूर्वक अवस्था में बैठ जाएं। बाएं हाथ से ज्ञान मुद्रा बनाकर दाएं हाथ के अंगूठे से दाईं नासिका को बंद करें और बाईं नासिका से लंबी सांस भरें। अब बाई नासिका बंद करें और दाईं नासिका से श्वास छोड़ें। इस क्रिया को अब दूसरी नाक से दोहराएं। रोजाना 5-10 मिनट तक इस अभ्यास को करने का प्रयास करें।

अनुलोम-विलोम प्राणायाम के क्या लाभ हैं?

शारीरिक-मानसिक दोनों तरह की सेहत के लिए अनुलोम-विलोम प्राणायाम का दैनिक अभ्यास करना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। यह मनोविकारों के जोखिम से बचाने के साथ कई तरह की गंभीर बीमारियों के खतरे को भी कम करने में सहायक अभ्यास है।
तंत्रिका संबंधी विकारों को रोकने के साथ सिरदर्द/माइग्रेन से राहत दिला सकता है।
बहुत अधिक गुस्सा के शिकार लोगों के लिए फायदेमंद।
नींद की गुणवत्ता में सुधार करता है।
अवसाद, तनाव और चिंता को दूर करने में मदद करता है।
अस्थमा, ब्रोंकाइटिस जैसे श्वसन विकारों के इलाज में इसका नियमित अभ्यास बहुत उपयोगी माना जाता है।

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