-शिवसेना विवाद : पांच जजों की संविधान पीठ ने राज्यपाल की भूमिका पर जताई चिंता
-पूरे मामले पर कहा, लोकतंत्र में यह एक दुखद तस्वीर है
–शिंदे कैंप के रवैये पर उठाया सवाल
(फोटो : विवाद, कोश्यारी)
नई दिल्ली। शिवसेना विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को महाराष्ट्र के राज्यपाल पर उठाए बड़े सवाल उठाए और कहा कि वे इस मामले में राज्यपाल की भूमिका को लेकर चिंतित हैं। पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा, ‘राज्यपाल को इस क्षेत्र में प्रवेश नहीं करना चाहिए, जहां उनकी कार्रवाई से एक विशेष परिणाम निकलेगा। सवाल यह है कि क्या राज्यपाल सिर्फ इसलिए सरकार गिरा सकते हैं क्योंकि किसी विधायक ने कहा कि उनके जीवन और संपत्ति को खतरा है?’
शीर्ष न्यायालय ने कहा, ‘क्या विश्वास मत बुलाने के लिए कोई संवैधानिक संकट था? सरकार को गिराने में राज्यपाल स्वेच्छा से सहयोगी नहीं हो सकते। लोकतंत्र में यह एक दुखद तस्वीर है। सुरक्षा के लिए खतरा विश्वास मत का आधार नहीं हो सकता। ’ प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी. वाई. चंद्रचूड़ ने राज्यपाल से कहा कि उन्हें इस तरह विश्वास मत नहीं बुलाना चाहिए था। सीजेआई ने कहा, ‘उनको खुद ये पूछना चाहिए था कि तीन साल की सुखद शादी के बाद क्या हुआ? राज्यपाल ने कैसे अंदाजा लगाया कि आगे क्या होने वाला है?’
-तीन साल क्यों साथ रहा शिंदे कैंप
सुनवाई में कोर्ट ने इस बात पर सवाल उठाया कि अगर शिंदे कैंप के विधायकों को उद्धव के कांग्रेस-एनसीपी से गठबंधन पर एतराज था तो वह 3 साल तक सरकार के साथ क्यों रहे। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड ने कहा कि अचानक से 34 लोगों कहने लगते हैं कि यह सही नहीं है।
ये है मामला
बता दें कि एकनाथ शिंदे ने पिछले साल जून में बगावत कर दी थी। इसके बाद उन्होंने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली। इस कारण उद्धव ठाकरे की सरकार गिर गई। इसके बाद ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। तत्कालीन गर्वनर भगत सिंह कोश्यारी के उद्धव ठाकरे को फ्लोर टेस्ट करने के लिए कहने और विधायकों को बर्खास्तगी नोटिस जारी करने सहित अन्य मुद्दों को लेकर इस समय सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।
वहीं चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को असली शिवसेना को रूप में मान्यता देते हुए एकनाथ शिंदे को ‘तीर-कमान’ चुनाव चिह्न दे दिया है।
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चुनाव चिह्न पर ईसी ने दिया जवाब
शिवसेना के दो गुट होने के बाद इसके चुनाव चिह्न को लेकर विवाद पर चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल कर दिया है। चुनाव आयोग ने चुनाव आयोग ने शिंदे खेमे को चुनाव चिह्न आवंटित करने के अपने फैसले को सही ठहराया और कहा कि यह एक तर्कसंगत आदेश था और इसमें उद्धव खेमे के उठाए गए सभी मुद्दे शामिल हैं।
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उद्धव को झटका, पूर्व मंत्री सावंत शिंदे गुट में शामिल
मुंबई। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को झटका देते हुए राज्य के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री दीपक सावंत ने बुधवार को एकनाथ शिंदे-नीत शिवसेना का दामन थाम लिया। सावंत मुख्यमंत्री शिंदे की मौजूदगी में शिवसेना में शामिल हुए। सावंत तत्कालीन एकीकृत शिवसेना के विधान पार्षद थे और 2014 से 2018 तक देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार में सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्री थे। उन्हें कैबिनेट से हटा दिया गया था और 2018 में उद्धव ठाकरे ने विधान परिषद चुनाव के लिए टिकट से भी वंचित कर दिया था।
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