‘भारत को इस्लामिक देश बनाने की साजिश’, पीएफआई के खिलाफ एनआईए की पहली चार्जशीट

-कई राज्यों से चल रही हैं इस संगठन की गतिविधियां

(फोटो : पीएफआई)

नई दिल्ली। भारत में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी कि पीएफआई को बैन कर रखा है। लेकिन जमीन पर कई राज्यों से उसकी गतिविधियां अभी भी चल रही हैं, उसे फंडिंग भी लगातार मिल रही है। इस बीच खबर आई थी कि पीएफआई 2047 तक भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाना चाहता है। इस उदेश्य के लिए वो मुस्लिम युवाओं को गुमराह कर रहा है, उन्हें हथियारों की ट्रेनिंग दे रहा है। अब उसी मामले में जांच एजेंसी एनआईए ने अपनी चार्जशीट दायर कर दी है। पीएफआई के ही दो सदस्यों को इस मामले में आरोपी बनाया गया है।

बताया जा रहा है कि पिछले साल सितंबर में पीएफआई ने एक बड़ी साजिश रचा थी। उस साजिश के तहत अलग-अलग समुदायों के बीच नफरत पैदा करने की कोशिश थी। इसके साथ मुस्लिम युवाओं का माइंड ब्रेनवॉश किया जा रहा था, उन्हें हथियारों में ट्रेनिंग दी जा रही थी। ये सब कर 2047 तक इस्लामिल राष्ट्र बनाने की तैयारी थी। इस मामले में जांच एजेंसी ने मोहम्मद आसिफ और सादिक सरफ को आरोपी बनाया है। ये दोनों ही आरोपी ना सिर्फ मुस्लिम युवाओं को ट्रेनिंग दे रहे थे, बल्कि ट्रेनिंग कैंप भी लगातार आयोजित करवा रहे थे। इनका सिर्फ एक काम था, मुस्लिम युवाओं में ये डर पैदा कर देना कि इस्लाम खतरे में है। उस डर के जरिए ही ये अपनी दुकान चलाना चाहते थे, देश को बांटने की तैयारी कर रहे थे। उसी कड़ी में 2047 तक इस्लामिक राष्ट्र बनाने की बात भी की जा रही थी। लेकिन एनआईए ने इस साजिश का पर्दाफाश कर दिया और अब पहली चार्जशीट भी दायर कर दी गई है। वैसे इस समय एनआईए एक नहीं कई मामलों में अपनी जांच कर रही है। कुछ दिन पहले ही जांच एजेंसी पीएफआई के हवाला नेटवर्क का खुलासा किया था। उस मामले में पांच आरोपियों की गिरफ्तारी भी हुई थी। असल में बिहार के फुलवारी शरीफ में जो पीएफआई के कार्यकर्ता थे, उन्होंने ऐलान कर रखा था कि हर हालत में पीएफआई का काम रुकना नहीं चाहिए और फंडिंग भी लगातार होती रहे. आरोप ये भी था कि बिहार के चंपारन में एक खास जाति के शख्स को मारने के लिए इन लोगों ने हथियार का इंतजाम किया था। इसी मामले में पिछले महीने में भी तीन आरोपियों की गिरफ्तारी हुई थी, फिर पांच और पकड़े गए, यानी कि के आंकड़ा 8 पर पहुंच गया. जानकारी के लिए बता दें कि पिछले साल जुलाई में बिहार के फुलवारी शरीफ में पीएफआई ने एक ट्रेनिंग रखी थी। आरोप ये था कि उस ट्रेनिंग के जरिए हिंसा के लिए प्रोत्साहित किया गया था।

2006 में बना था पीएफआई

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई 22 नवंबर 2006 को तीन मुस्लिम संगठनों के मिलने से बना था। इनमें केरल का नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु का मनिता नीति पसरई साथ आए। पीएफआई खुद को गैर-लाभकारी संगठन बताता है। पीएफआई में कितने सदस्य हैं, इसकी जानकारी संगठन नहीं देता है। 2012 में केरल सरकार ने हाई कोर्ट में बताया था कि पीएफआई और कुछ नहीं, बल्कि प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) का ही नया रूप है। पीएफआई के कार्यकर्ताओं के अलकायदा और तालिबान जैसे आतंकी संगठनों से लिंक होने के आरोप भी लगते रहे हैं। हालांकि, पीएफआई खुद को दलितों और मुसलमानों के हक में लड़ने वाला संगठन बताता है। सीएए कानून को लेकर जब देश में बवाल हुआ था, उस समय भी इस संगठन पर हिंसा भड़काने के गंभीर आरोप लगे थे।

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