रक्षा मंत्रालय पर भड़के चंद्रचूड़, बोले भेज देंगे मानहानि का नोटिस

-सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय एरियर भुगतान की समय-सीमा में किया था बदलाव

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय के आदेश के बावजूद वन रैंक वन पेंशन स्कीम के तहत रिटायर्ड जवानों को एरियर भुगतान की समय सीमा बढ़ाने के रक्षा मंत्रालय के फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने मामले पर सुनवाई करते हुए रक्षा मंत्रालय के सचिव से पर्सनल एफिडेविट मांगा है और उनसे स्पष्टीकरण देने को कहा है कि आखिर सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देश और टाइम लाइन के बावजूद भुगतान की समय सीमा आखिर क्यों बढ़ाई गई।

सुप्रीम कोर्ट ने रक्षा मंत्रालय को सेवानिवृत्त जवानों को मार्च के दूसरे सप्ताह तक वन रैंक वन पेंशन स्कीम के एरियर भुगतान का आदेश दिया था। इसी बीच जनवरी में रक्षा मंत्रालय ने एक पत्र जारी कर कहा कि जवानों को 4 इंस्टॉलमेंट में एरियर का भुगतान किया जाएगा।

सेवानिवृत्त जवानों की तरफ से पेश सीनियर एडवोकेट हुजैफा अहमदी ने दलील देते हुए कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने डेडलाइन तय कर दी तो आखिर केंद्र सरकार इसमें बदलाव कैसे कर सकती है? उन्होंने सवाल किया कि जब कोर्ट ने एक आदेश पारित कर दिया तो क्या डिपार्टमेंट के पास इसे बदलने का अधिकार है? अब तो 4 लाख जवानों का निधन हो गया है, क्या वे अपना पेंशन क्लेम कर सकते हैं?

यह कोई जंग का मैदान नहीं

मामले की सुनवाई कर रहे चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ भी रक्षा मंत्रालय के इस फैसले से नाखुश नजर आए। बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि ‘यह कोई जंग का मैदान नहीं है। सब कुछ दुरुस्त करिए, वरना हम रक्षा मंत्रालय को अवमानना का नोटिस भेजेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में रक्षा मंत्रालय के सचिव से व्यक्तिगत एफिडेविट फाइल करने का आदेश देते हुए पूछा कि जब उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया था तो अचानक ऐसा आदेश जारी करने की क्या जरूरत पड़ गई? सुप्रीम कोर्ट यहीं नहीं रुका, बल्कि रक्षा मंत्रालय को चेताते हुए कहा कि कोर्ट द्वारा निर्धारित 15 मार्च की समय सीमा के अंदर अगर सुरक्षाकर्मियों को एरियर का भुगतान नहीं किया गया तो 9% की दर से ब्याज का भुगतान भी करना होगा।

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