संयुक्त राष्ट्र में रूस-यूक्रेन युद्ध रोकने को लेकर प्रस्ताव पारित

-भारत-चीन ने फिर बनाई वोटिंग से दूरी

-193 सदस्य देशों में से 141 ने प्रस्ताव के पक्ष में की वोटिंग, 7 विरोध में वहीं, 32 सदस्य नहीं हुए शामिल

-जंग के 24 फरवरी को हो गए हैं 1 साल पूरे

(फोट : )-

संयुक्त राष्ट्र। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे महायुद्ध को अब एक हो चुका है। रूस के आक्रमण के एक साल पूरे होने पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में युद्ध को रोकने को लेकर प्रस्ताव पारित किया गया और फिर वोटिंग हुई। युद्ध रोकने के प्रस्ताव में रूस से यूक्रेन में शत्रुता समाप्त करने और “तत्काल” अपनी सेना वापस लेने की मांग की गई थी। इस प्रस्ताव पर यूएनजीए के 193 सदस्य देशों में से 141 सदस्य देशों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया और 7 देशों ने प्रस्ताव का विरोध किया तो वहीं 32 सदस्यों ने इस मतदान में भाग नहीं लिया। इस बार फिर से भारत और चीन ने इस प्रस्ताव पर मतदान से दूरी बनाए रखी।

रूस को यूक्रेन में तुरंत युद्ध खत्म करने के इस प्रस्ताव के पक्ष में 141 सदस्य देशों ने मतदान किया, जबकि सात देशों — बेलारूस, कोरिया लोकतांत्रिक जन गणराज्य, ऐरीट्रिया, माली, निकारागुआ, रूस और सीरिया, ने विरोध में वोट डाले और भारत, चीन, पाकिस्तान समेत 32 देशों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया।

भारत ने फिर दोहराई शांति की बात

भारत ने राजनयिक माध्यमों से शांति की वकालत करते हुए एक बार फिर से यूएनजीए में पेश किए गए प्रस्तावों में रूस के खिलाफ मतदान से दूरी बनाई। भारत ने शांति को लेकर अपने संकल्पों को दोहराते हुए कहा कि जितनी जल्दी हो सके “संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के सिद्धांतों के अनुरूप यूक्रेन में एक व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति” तक पहुंचने की आवश्यकता है। भारत ने सदस्य देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से यूक्रेन में एक व्यापक, न्यायपूर्ण और स्थायी शांति प्राप्त करने के लिए राजनयिक प्रयासों के लिए समर्थन को दोगुना करने का भी आह्वान किया।

बता दें कि भारत यूक्रेन में व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति तक पहुंचने की आवश्यकता पर संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहा। गुरुवार को यूएनजीए में एक ‘ऐतिहासिक मतदान’ में, सदस्य देशों ने यूक्रेन पर आक्रमण के लिए रूस की निंदा की। असेंबली ने यूक्रेन में व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति के लिए रूस से अपील की है कि वह तुरंत यूक्रेन से अपनी सेना को वापस बुला ले और युद्ध को अब खत्म करे।

यूएनजीए में भारत की प्रतिनिधि रूचिरा कंबोज ने कही ये बात

यूएनजीए में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत की स्थिति को दोहराया और कहा कि बातचीत और कूटनीति ही एकमात्र व्यवहार्य रास्ता है। कंबोज ने कहा कि “भारत बहुपक्षवाद के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों का पालन करता है। हम हमेशा बातचीत और कूटनीति को एकमात्र व्यवहार्य तरीके से सहमत हैं। भारत स्थायी शांति हासिल करने की लगातार वकालत की है। हमारे प्रधानमंत्री का कहना है कि कोई भी समाधान मानव जीवन से कीमती नहीं हो सकता है।

कंबोज ने कहा कि हमारे प्रधान मंत्री का बयान है कि यह युद्ध का युग नहीं हो सकता है। शत्रुता का बढ़ना और हिंसा किसी के हित में नहीं है। इसके बजाय, बातचीत और कूटनीति के रास्ते पर तत्काल वापसी ही आगे का रास्ता है। भारत यूक्रेन की स्थिति को लेकर चिंतित है। युद्ध से काफी नुकसान हुआ है, विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के लिए, लाखों लोग बेघर हो गए हैं और पड़ोसी देशों में शरण लेने के लिए मजबूर हो गए हैं। नागरिकों और नागरिक बुनियादी ढांचे पर हमले भी बेहद चिंताजनक हैं।”

रूस-यूक्रेन युद्ध को हो गया एक साल

बता दें कि 24 फ़रवरी 2022 को यूक्रेन पर रूसी सैन्य बलों के आक्रमण का एक वर्ष पूरा हो रहा है और इस युद्ध में लगभग 20 हज़ार लोगों की मौत हुई है, लाखों लोग विस्थापित हुए हैं और यूक्रेन में बुनियादी ढांचे को भीषण नुक़सान पहुंचा है। यूएन महासभा का 11वां आपात विशेष सत्र बुधवार को आरम्भ हुआ और इस दौरान एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें युद्ध का अन्त किए जाने की मांग की गई है।

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यूक्रेन पर चल रही थी चर्चा, कश्मीर-कश्मीर करने लगा पाकिस्तान; भारत ने जमकर लताड़ा

संयुक्त राष्ट्र महासभा में रूस-यूक्रेन संघर्ष पर स्पेशल सत्र के दौरान, पाकिस्तान पहले की तरह इस बैठक में भी कश्मीर राग अलापने लगा। जम्मू-कश्मीर का जिक्र करने पर भारत ने पाकिस्तान को खूब लताड़ा। संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के दूत मुनीर अकरम ने आपातकालीन विशेष सत्र के दौरान यूक्रेन पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में मतदान के दौरान अपनी बात करते हुए जम्मू-कश्मीर का जिक्र किया, जिसके बाद माथुर ने बृहस्पतिवार को ‘उत्तर देने के अधिकार’ का इस्तेमाल किया। माथुर ने कहा, ”पाकिस्तान को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए जिसका आतंकवादियों को पनाह देने का पुराना रिकॉर्ड रहा है और वह बेधड़क ऐसा करता है। दो दिन की गहन वार्ता के बाद हम सभी इस बात पर सहमत हुए हैं कि शांति के मार्ग पर चलकर ही संघर्ष की स्थिति से निपटा जा सकता है। ऐसे में यह गलत समय पर की गई बात है।”

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