बेंगलुरु। यूनाइटेड स्टेट्स एयर फोर्स (यूएसएएफ) के नवीनतम पांचवीं पीढ़ी के एफ-35 लड़ाकू विमानों ने एशिया के सबसे बड़े एयर शो एयरो इंडिया में अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन किया। स्टेल्थ (रडार की पकड़ से बचने में सक्षम), सुपरसोनिक, बहुउद्देशीय ‘एफ-35ए लाइटनिंग टू’ और ‘एफ-35ए ज्वाइंट स्ट्राइक फाइटर’ ने वायु सेना स्टेशन येलहंका में पांच दिवसीय एयरोस्पेस और रक्षा प्रदर्शनी में पहली बार प्रदर्शन किया। अमेरिका के उताह में हिल वायुसैनिक अड्डे से यात्रा के बाद, एफ-35ए लाइटनिंग टू टीम ने मंगलवार को अपनी हवाई क्षमताओं के प्रदर्शन के साथ यहां मौजूद लोगों की भीड़ को दांतों तले उंगली दबाने पर मजबूर कर दिया। अलास्का के ईल्सन वायुसैनिक अड्डे से आए एफ-35ए लाइटनिंग टू को प्रदर्शन के लिए रखा गया है।
एफ-35 के अलावा ‘एफ-16 फाइटिंग फाल्कन’ ने भी हवाई प्रदर्शन में हिस्सा लिया और अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन किया। एफ/ए-18ई और एफ/ए-18एफ सुपर हॉर्नेट बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान को भी प्रदर्शनी के लिए रखा गया है।
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अमेरिका ने बी-1बी लांसर बमवर्षक विमानों को किया शामिल
अमेरिकी वायुसेना के दो बी-1बी लांसर बमवर्षक विमान येलहंका वायुसेना अड्डे पर ‘एयरो इंडिया 2023′ में शामिल हुए। ‘द बोन’ नाम से पुकारा जाने वाला बी-1बी लांसर अमेरिका स्थित अपने अड्डों और अग्रिम मोर्चों से विश्वभर में अभियान को अंजाम देने में सक्षम है। यह निर्देशित और गैर-निर्देशित, दोनों तरह के सबसे बड़े पारंपरिक आयुध ले जाने में सक्षम है तथा इसे अमेरिका की लंबी दूरी के हमलावर बल (वायुसेना) की रीढ़ माना जाता है। यूक्रेन में संघर्ष की पृष्ठभूमि में तथा भारत और अमेरिका के अपनी रक्षा एवं सुरक्षा साझेदारी प्रगाढ़ करने के नए संकल्प के बीच विश्व में सर्वाधिक घातक माने जाने वाले दो लड़ाकू विमान यहां आए हैं। अमेरिकी वायुसेना के सहायक उप अवर सचिव मेजर जनरल जूलियन सी चीटर ने कहा, ‘बी-1 लड़ाकू कमांडरों को अनुकूलन वाले विकल्प उपलब्ध कराता है। क्षेत्र में हमारे साझेदारों के साथ व्यापक समन्वय व्यापक अंतरनिर्भरता की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।अधिकारियों ने बताया कि कई अमेरिकी लड़ाकू विमान पहले से एयरो इंडिया शो में भाग ले रहे हैं, जो दोनों देशों के बीच संबंधों की मजबूती को प्रदर्शित करता है। फरवरी 2021 में, बी-1बी पहली बार भारत में उतरा था।
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भारत सहायता चाहने वाले देशों को उपदेश देने में विश्वास नहीं करता : राजनाथ
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा कि भारत जरूरतमंद देशों को उपदेश या पूर्व निर्धारित समाधान देने में विश्वास नहीं करता है और यह मानता है कि बेहतर सैन्य शक्ति वाले देशों को दूसरों पर अपने समाधान थोपने का अधिकार नहीं है। उनके यह बयान स्पष्ट तौर पर चीन के आक्रामक व्यवहार के संदर्भ में था।
‘एयरो इंडिया’ में लगभग 30 देशों के अपने समकक्षों और उप रक्षा मंत्रियों को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि भारत हमेशा एक नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था के लिए खड़ा रहा है,जिसमें सभी संप्रभु राष्ट्रों के बीच सही होने की संभावना की मौलिक प्रवृत्ति को निष्पक्षता, सम्मान और समानता से प्रतिस्थापित किया जाता है। सिंह ने चीन या किसी अन्य देश का नाम लिए बिना कहा कि समस्याओं को हल करने के लिए “ऊपर से आदेश देने” (टॉप डाउन अप्रोच) की अवधारणा कभी टिकाऊ नहीं रही है, अक्सर यह कर्ज के जाल, स्थानीय आबादी की ओर से प्रतिक्रिया तथा संघर्ष की ओर जाती है। ‘टॉप डाउन अप्रोच’ एक ऐसी रणनीति है,जिसमें निर्णय लेने की प्रक्रिया उच्चतम स्तर पर होती है और फिर शेष टीम को उस फैसले के बारे में बताया जाता है।
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