पीएम मोदी पर आधारित बीबीसी की बैन डॉक्यूमेंट्री दिखाएंगे केरल के दल

  • कांग्रेस, भाकपा, माकपा, डीवाईएफआई, केपीसीसी जैसे दलों ने प्रदर्शित करने का किया ऐलान
  • भाजपा ने जताई आपत्ति, बताया ‘राजद्रोह’, सीएम से हस्तक्षेप की मांग
  • 26 जनवरी को सभी जिला मुख्यालयों में दिखाया जाएगा यह वृत्तचित्र
  • तिरुवनंतपुरम। केरल में कई राजनीतिक दलों ने बीबीसी का वृत्तचित्र ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ प्रदर्शित करने की मंगलवार को घोषणा की, जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मुख्यमंत्री पिनराई विजयन से मामले में हस्तक्षेप करने और इस पर रोक की मांग की है। सत्तारूढ़ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की छात्र इकाई डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई) ने मंगलवार अपने सोशल मीडिया मंच फेसबुक पेज पर घोषणा की कि राज्य में इसे दिखाया जाएगा। माकपा से संबद्ध वामपंथी छात्र संगठन एसएफआई और युवा कांग्रेस सहित केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) की विभिन्न इकाइयों ने ऐसी ही घोषणा की है। केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ ने कहा कि गणतंत्र दिवस पर राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में वृत्तचित्र दिखाया जाएगा।

भाजपा ने इस कदम को ‘‘राजद्रोह” करार देते हुए मुख्यमंत्री से तत्काल मामले में हस्तक्षेप करने और इस तरह के प्रयासों को रोकने की मांग की। भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने विजयन के समक्ष इसकी शिकायत करते हुए उनसे राज्य में वृत्तचित्र दिखाए जाने की अनुमति न देने की मांग की। सुरेंद्रन ने अपनी शिकायत में कहा कि वृत्तचित्र को दिखाया जाना देश की एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले विदेशी कदमों को माफ करने के समान होगा। उच्चतम न्यायालय द्वारा खारिज किए गए आरोपों को फिर से पेश करना देश की सर्वोच्च अदालत की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने जैसा है। इसे दिखाना राजद्रोह है।

केंद्र ने लगाया है बैन

केंद्र ने वृत्तचित्र के कई यूट्यूब वीडियो और उसके लिंक साझा करने वाले ट्विटर पोस्ट को ‘ब्लॉक’ करने का निर्देश दिया है। बीबीसी का यह वृत्तचित्र दो भाग में है, जिसमें दावा किया गया है कि यह 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित कुछ पहलुओं की पड़ताल पर आधारित है। 2002 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे। सरकार ने शुक्रवार को सोशल मीडिया मंच ट्विटर और यूट्यूब को ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ नामक वृत्तचित्र के लिंक ब्लॉक करने का निर्देश दिया था।

विपक्ष ने की थी आलोचना

विदेश मंत्रालय ने वृत्तचित्र को ‘‘दुष्प्रचार का हिस्सा” बताते हुए खारिज कर दिया और कहा कि इसमें निष्पक्षता का अभाव है तथा यह एक औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाता है। हालांकि, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस जैसे विपक्षी दलों ने सरकार के इस कदम की कड़ी आलोचना की है।

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